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नई दिल्ली: अमेरिका (US) में किसानों (Farmers) को अपनी फसलें बेचने के लिए बिचौलियों का सहारा नहीं लेना पड़ता है. इससे किसानों को भी फायदा होता है और फसलों की कीमतें भी स्थिर रहती हैं. अमेरिका के कृषि मॉडल (Agricultural Model) से भारत क्या सीख सकता है. अमेरिका और भारत (India) के किसानों की स्थिति का तुलनात्मक विश्लेषण करने के लिए हमारी रिपोर्टिंग टीम अमेरिका के न्यू जर्सी पहुंची, जो राजधानी Washington DC से लगभग 200 किलोमीटर दूर है. हम ये समझना चाहते थे कि अमेरिका में खेती किस तरह से जाती है, फसल को बाजार में कैसे पहुंचाया जाता है और क्या वहां भी किसानों और ग्राहकों के बीच बिचौलिए की कोई व्यवस्था है.
इन सवालों का जवाब ढूंढते हुए हम न्यू जर्सी में एक किसान परिवार के घर पहुंचे. यहां पहुंचने पर सबसे पहले हमने एक बोर्ड देखा, जिस पर ये लिखा था कि यहां कौन-कौन सी ताजी सब्जियां और फल लोग खरीद सकते हैं. यानी जहां किसान सब्जियां और फल उगाते हैं, वहीं वो इसे ग्राहकों को भी बेच सकते हैं और उन्हें कहीं जाने की भी जरूरत नहीं होती. लेकिन भारत में इस तरह की व्यवस्था और परम्परा नहीं है.
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भारत ही नहीं दूसरे देशों की तुलना में भी अमेरिका के किसान कहीं ज्यादा समृद्ध और विकसित माने जाते हैं. वैसे आंकड़ों का शास्त्र कहता है कि अमेरिका की तुलना में भारत में 57 गुना अधिक किसान आबादी है. लेकिन बाजार का शास्त्र कहता है कि अमेरिका की तुलना में भारत का किसान काफी कमजोर और पुरानी तकनीक पर निर्भर है. सबसे अहम अमेरिका के किसान जहां सब्जियां और फल उगाते हैं, वहीं उसे सीधे ग्राहकों को भी बेच भी सकते हैं.
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हमारी टीम जब न्यू जर्सी के इस किसान परिवार से मिली तो हमें कई और दिलचस्प बातें पता चलीं. जैसे इस किसान परिवार में सभी लोग खेतीबाड़ी का काम करते हैं. जैसे परिवार में एक सदस्य की ड्यूटी है कि वो फसलों के बीज लेकर आएगा. कुछ सदस्य खेतों में काम करते हैं और ऐसा नहीं है कि पूरे दिन उन्हें काम करना होता है. दफ्तर की शिफ्ट की तरह ही उनके काम का समय तय होता है. फिर कुछ सदस्य सब्जियां और फल बेचने के लिए घर के बाहर Stall पर काम करते हैं.
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इस महिला किसान से बातचीत के दौरान वहां हमारी मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से भी हुई, जो भारतीय मूल के हैं और भारत के ही एक किसान परिवार से आते हैं. इसलिए अमेरिका और भारत के किसानों को लेकर उनका नजरिया भी आपको जानना चाहिए.
अमेरिका में कृषि की परम्परा को समय दर समय बदला गया है. वहां किसान बनने के लिए लोग Agriculture की पढ़ाई करते हैं. इस क्षेत्र में उनके पास डिग्रियां होती हैं. किसान परिवार से आने वाले लोग भी अपने बच्चों को इस क्षेत्र में पढ़ाई करने के लिए दूसरे राज्यों में भेजते हैं और यही वजह है कि वहां खेती मॉनसून से ज्यादा नई तकनीक पर निर्भर है.
अमेरिका और भारत के किसानों की स्थिति को आप कुछ आंकड़ों से भी समझ सकते हैं. अमेरिका में एक किसान परिवार औसतन सालाना 83 हजार Dollars यानी 65 लाख रुपये कमाता है. लेकिन भारत में एक किसान परिवार की औसतन सालाना आय 1 लाख 25 हजार रुपये है. भारत की 135 करोड़ की आबादी में लगभग 15 करोड़ किसान हैं और देश की 60 प्रतिशत आबादी किसी ना किसी रूप में कृषि से जुड़ी हुई है. जबकि अमेरिका में किसानों की कुल आबादी सिर्फ 26 लाख है. जमीन के मामले में भी अमेरिका के किसान काफी समृद्ध हैं. वहां एक किसान के पास औसतन 444 Hectare जमीन है.
और भारत में एक किसान के पास औसतन ढाई Hectare जमीन है. भारत की कुल GDP में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत की है. जबकि अमेरिका में ये आंकड़ा 5 प्रतिशत के आसपास है.