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नई दिल्ली: भारत-भूटान सीमा (India Bhutan Border) से सटे देश के आखिरी गांव मयनागुड़ी (Maynaguri) के लोगों के सामने पहाड़ जैसी समस्याएं हैं. भूटान सीमा के नजदीक पहुंचते ही यहां की सड़कें दम तोड़ देती हैं. मयनागुड़ी गांव में दाखिल होते ही लोग इस बात से खुश दिखे कि ज़ी मीडिया की टीम उनका हालचाल लेने आई है.
गांव के लोगों ने हमें बताया कि इन इलाकों में पीने के साफ पानी से लेकर सड़कों की एक बड़ी समस्या है, जिसकी वजह से उन्हें यहां तक आने जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मयनागुड़ी (Maynaguri) गांव के लोगों ने हमें यह भी बताया कि भारत-भूटान सीमा (India Bhutan Border) के पास बरसात के दौरान नदियों में काफी ज्यादा पानी भर जाता है जिसकी वजह से आए दिन यहां बाढ़ का खतरा बना रहता है. यही नहीं तेज बहाव के चलते नदियों के किनारे पर बने घर बह जाते हैं.
वैसे देखा जाए तो भारत भूटान सीमा पर स्तिथ Gelephu घूमने के लिए असम (Assam) के साथ-साथ देश की दूसरी जगहों से पर्यटक घूमने आते हैं लेकिन पिछले एक साल से कोविड-19 (Coronavirus) की वजह से भारत-भूटान का ये बॉर्डर अक्सर बंद रहता है जिसकी वजह से पर्यटकों का आना अब काफी कम हो चुका है. यहां रहने वाले लोगों की कमाई इन पर्यटकों पर ही निर्भर है ऐसे में अब कमाई का कोई जरिया भी नहीं रहा.
असम के चिरांग जिले में स्थित मयनागुड़ी के ये इलाके लंबे समय से उग्रवाद से प्रभावित रहे हैं. उग्रवाद की वजह से इन इलाकों में विकास की गति सुस्त रफ्तार से चल रही थी लेकिन पिछले कुछ सालों में अब स्थितियां बदल रही हैं. यहां के युवा भी देश के दूसरे युवाओं की तरह पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी करना चाहते हैं. मयनागुड़ी गांव के लोग चाहते हैं कि यहां विकास की सारी योजनाएं पहुंचें और सड़कों से लेकर कॉलेज और अस्पताल बनें.
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भूटान से सटे बॉर्डर के इन इलाकों के जंगलों में बड़ी तादाद में हाथी पाए जाते हैं. साथ ही जो खुली सीमा की वजह से एक जगह से दूसरी जगह आराम से घूमते हैं. गांव के लोगों ने हमें बताया कि सरकार यहां जल्द से जल्द इन इलाकों को नदियों के तेज बहाव से सुरक्षित करें जिससे उनकी जिंदगी आसान हो सके.
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