आज जो स्टाइलिश कपड़े पहने जाते हैं, उनकी नींव दिनशॉ मानेकजी ने ही रखी थी.
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नई दिल्ली: दिनशॉ मानेकजी पेटिट (Dinshaw Maneckji Petit) के बारे में कम लोग ही जानते हैं लेकिन आधुनिक भारत के निर्माण में इनका बहुत बड़ा योगदान है. भारत में पहले हथकरघों से कपड़ा बनाया जाता था. दिनशॉ मानेकजी पेटिट वो शख्स थे, जिन्होंने वर्ष 1855 में भारत में पहली कपड़ा मिल की स्थापना की थी. आज जो स्टाइलिश कपड़े पहने जाते हैं, उनकी नींव दिनशॉ मानेकजी ने ही रखी थी.
दिनशॉ मानेकजी पेटिट का जन्म आज ही के दिन 1823 में बॉम्बे में एक पारसी परिवार में हुआ था. उन्होंने एक ब्रोकर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और बाद में देश में कपड़ा मिलों की स्थापना की. उनके नेतृत्व में देश में कपड़ा मिलों की संख्या 43 से बढ़कर 82 हो गई थी. साल 1886 में दिनशॉ मानेकजी पेटिट गवर्नर-जनरल की विधान परिषद के सदस्य नामित किए गए. जहां उन्होंने ब्रिटेन द्वारा औपनिवेशिक बनाए जाने की नीति पर सवाल उठाए. हालांकि साल 1887 में उन्हें नाइटहुड की उपाधि से नवाजा गया.
इतिहास में आज के दिन हुई प्रमुख घटनाएं:
दुनिया के पहले इमरजेंसी टेलीफोन नंबर 999 की शुरुआत आज ही के दिन वर्ष 1937 में हुई थी. इसे सबसे पहले लंदन में शुरु किया गया था. इमरजेंसी टेलीफोन नंबर एक ऐसी सेवा है जो किसी भी कॉलर को इमरजेंसी के वक्त तुरंत मदद पहुंचाने के लिए काम करती है.
'ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर दादा भाई नौरोजी का निधन आज ही के दिन वर्ष 1917 में हुआ था. वो भारत की आजादी की लड़ाई के प्रमुख नेताओं में से एक थे. दादा भाई नौरोजी ने ए. ओ. ह्यूम और दिनशॉ एदुलजी वाचा के साथ मिलकर साल 1985 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) की स्थापना की थी.
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वर्ष 1905 में आज ही के दिन अल्बर्ट आइंस्टीन का आर्टिकल 'On the Electro-dynamics of Moving Bodies' पब्लिश हुआ था. इसमें Theory of Special Relativity के बारे में बताया गया था. आज से ठीक 5 साल पहले लंदन में पूरी दुनिया की घड़ियों में एक सेकंड अतिरिक्त जोड़ा गया था. इसे लीप सेकंड (Leap Second) भी कहा जाता है. आपका यह सोचना स्वाभाविक है कि आखिर घड़ियों में एक सेकंड जोड़ने की जरूरत क्यों पड़ी? तो हम आपको बता दें कि धरती के घूमने की गति में लगातार फर्क आता रहता है और इसकी वजह से समय में भी फर्क आ जाता है. ऐसे में अगर लीप सेकंड नहीं जोड़ा जाएगा तो हमारी घड़ियों में दिखने वाला समय धीरे-धीरे गलत साबित हो जाएगा. यही वजह है कि वैज्ञानिक लगातार धरती के घूमने के वक्त पर नजर रखते हैं और उसे एटॉमिक घड़ी से मिलाते रहते रहते हैं. जब भी समय में कोई फर्क दिखाई देता है, तो वैज्ञानिक घड़ियों में लीप सेकंड जोड़ देते हैं.
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