भारत की सॉफ्ट पावर कैसे बनती चली गई दिवाली? अमेरिका से मलेशिया तक मची धूम
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भारत की सॉफ्ट पावर कैसे बनती चली गई दिवाली? अमेरिका से मलेशिया तक मची धूम

दिवाली (Diwali 2021) अब केवल भारत का ही नहीं बल्कि एक ग्लोबल त्योहार बन चुका है. अमेरिका से लेकर मलेशिया तक दुनिया के तमाम देशों में गुरुवार को धूमधाम से दिवाली मनाई गई.

भारत की सॉफ्ट पावर कैसे बनती चली गई दिवाली? अमेरिका से मलेशिया तक मची धूम

नई दिल्ली: दिवाली (Diwali 2021) अब केवल भारत का ही नहीं बल्कि एक ग्लोबल त्योहार बन चुका है. जिस तरह से हमारे देश में क्रिसमस, न्यू ईयर, ईद मनाई जाती है, ठीक उसी तरह दुनिया के अलग अलग देशों में अलग अलग धर्मों के लोगों ने दिवाली का त्योहार मनाया. 30 से ज्यादा देशों के राष्ट्र प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने भारत को दिवाली की शुभकामनाएं दीं.

  1. अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी मनाई दिवाली
  2. बराक ओबामा ने की थी शुरुआत
  3. मॉरीशस का राष्ट्रीय त्योहार है दिवाली

अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी मनाई दिवाली

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने White House में दीया जला कर दिवाली (Diwali 2021) मनाई तो ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री Scott Morrison ने हिन्दी में दिवाली की शुभकामनाएं दुनिया को दी. पश्चिमी देशों से लेकर मिडिल ईस्ट के देशों तक इस बार दिवाली पर पटाखे भी फोड़े गए और दीये भी जलाए गए. अब तक हम क्रिसमस और नए साल के मौक़े पर ही दुनिया को एक साथ जश्न मनाते देखते थे. अब ऐसा लगता है कि दुनिया ने दिवाली  और इसके अंधकार पर प्रकाश की विजय वाले विचार को भी अपना लिया है. 

अमेरिका की संसद में एक बिल भी पेश किया गया है, जिसमें दिवाली पर National Holiday यानी राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग की गई है. इस बिल को Deepavali Day Act नाम दिया गया है. अगर ये बिल पास हो गया तो भारत की तरह अमेरिका में भी दिवाली के दिन सरकार और लोगों की छुट्टी हुआ करेगी. अभी अमेरिका के New York, Pennsylvania और Houston जैसे राज्यों में दिवाली के दिन स्कूलों की तो छुट्टी होती है और कुछ प्राइवेट कम्पनियों के दफ्तर भी बन्द रहते हैं. हालांकि पूरे देश में राष्ट्रीय अवकाश नहीं होता.

अमेरिकी की कुल आबादी 33 करोड़ है, जिनमें 40 लाख लोग भारतीय मूल के हैं. इस हिसाब से कुल आबादी में भारतीय मूल की हिस्सेदारी सिर्फ़ 1.2 प्रतिशत की है, जो काफ़ी कम है. लेकिन अमेरिका की राजनीति और वहां के समाज में भारतीय मूल के लोगों का बहुत बड़ा योगदान है. जैसे अमेरिका में हर 10 में से एक इंजीनियर भारतीय मूल का है. 9 प्रतिशत डॉक्टर्स भी इसी समुदाय से हैं और हर तीन Start Ups में से एक का संस्थापक भारतीय है.

बराक ओबामा ने की थी शुरुआत

दो दशक पहले तक White House में दिवाली (Diwali 2021) का त्योहार नहीं मनाया जाता था. इसकी शुरुआत पहली बार वर्ष 2009 में हुई, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने White House में दीया जलाकर दिवाली का त्योहार मनाया था. इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने भी अपने कार्यकाल में दिवाली सेलिब्रेट की. अब जो बाइडेन ने भी इस त्योहार के ऐतिहासिक महत्व को स्वीकार किया है.

दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जहां दीवाली के त्योहार को National Holiday यानी राष्ट्रीय अवकाश होता है. इनमें Malaysia, Fiji, नेपाल, Mauritius, Singapore और श्रीलंका जैसे देश प्रमुख हैं. 

मलेशिया में तो दिवाली (Diwali 2021) को हरी दिवाली कहा जाता है. इस दिन वहां लोग पानी और तेल से सन्नान करने के बाद मन्दिरों में पूजा अर्चना करते हैं. मलेशिया की कुल आबादी 3 करोड़ 24 लाख है, जिनमें लगभग साढ़े 6 प्रतिशत हिन्दू हैं. मलेशिया की तरह सिंगापुर में भी दिवाली पर राष्ट्रीय अवकाश होता है और वहां इस मौक़े पर बाज़ारों को खास तौर पर सजाया जाता है. 

मॉरीशस का राष्ट्रीय त्योहार है दिवाली

इसके अलावा Mauritius में भी हिंदू समुदाय की लगभग 50 प्रतिशत आबादी रहती है. इसलिए वहां भी दिवाली बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाई जाती है. इसी तरह Thailand, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान में भी दिवाली के त्योहार का काफी महत्व है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 2019 में दुनिया के 90 से ज़्यादा देशों में दिवाली का त्योहार मनाया गया था. इसमें नोट करने वाली बात ये है कि दिवाली (Diwali 2021) सेलिब्रेट करने वाले कई देश ऐसे रहे, जहां हिन्दू आबादी ना के बराबर है. इसलिए आपको ये बात समझनी जरूरी है कि इसका मतलब क्या है? 

हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व

हिन्दू धर्म में दिवाली को सबसे बड़ा त्योहार माना गया है और इसे लेकर कई सारी मान्यताएं हैं. हम दिवाली इसलिए मनाते हैं क्योंकि इसी दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे. ये भी मान्यता है कि दिवाली से ही एक दिन पहले भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार दिवाली के दिन ही लक्ष्मी जी केसर सागर में प्रकट हुई थीं.

इसके अलावा प्राचीन ग्रंथों में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि जब राक्षसों का वध करने के बाद देवी काली का क्रोध कम नहीं हुआ तो भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए थे. उनके स्पर्श मात्र से ही उनका क्रोध समाप्त हो गया था. इसलिए दिवाली की रात देवी काली की पूजा का भी विधान हमारे देश में हैं.

दुनिया को एकजुट कर रही दिवाली

ये सारी मान्यताएं दिवाली (Diwali 2021) के त्योहार को एक विचार में पिरोती हैं और वो विचार है, अंधकार पर प्रकाश की जीत. यानी इस त्योहार का संकल्प धर्म, जाति और दूसरे बंधनों को तोड़कर दुनिया को साथ जोड़ने की ताक़त रखता है. यही वजह है कि जब दूसरे देशों में ये त्योहार मनाया जाता है तो इससे भारत वैचारिक और सांस्कृतिक रूप से खुद को काफ़ी मजबूत पाता है. आप कह सकते हैं कि मौजूदा समय में दिवाली का त्योहार भारत के लिए उसकी सबसे बड़ी Soft Power में से एक है. जैसे क्रिसमस का त्योहार पश्चिमी देशों के लिए उनकी Soft Power रहा है.

आज भारत समेत दुनिया के 160 देशों में Christmas के त्योहार पर राष्ट्रीय अवकाश होता है. इनमें Egypt, Jordan और सीरिया जैसे देश भी हैं, जो खुद को इस्लामिक राष्ट्र कहते हैं. यानी जहां ईसाई धर्म की आबादी ना के बराबर है, वहां भी उनके कल्चर और उनके त्योहारों के Footprints हैं. सबसे बड़ी बात इन देशों में अलग अलग धर्मों के लोग भी इस त्योहार को सेलिब्रेट करते हैं. आपने भारत में ही ऐसा होते हुए देखा है.

दिवाली बन रही ग्लोबल फेस्टिवल

असल में जब कोई त्योहार ग्लोबल बन जाता है, तो वो ना सिर्फ़ अपने सांस्कृतिक महत्व को दुनिया तक पहुंचाता है बल्कि उस देश की ऐतिहासिक पहचान का भी विस्तार करता है. जैसा कि अब तक पश्चिमी देश करते आए हैं. उदाहरण के लिए आपमें से बहुत सारे लोग हर साल 14 फरवरी को Valentine's Day मनाते होंगे . हालांकि क्या आप Valentine's Day मनाते समय ये सोचते हैं कि ये एक Roman Festival है, जिसकी शुरुआत पांचवीं शताब्दी में हुई थी. आज ये Festival भारत जैसे देश में भी लोकप्रिय हो चुका है. इसे ही त्योहारों की Soft Power कहते हैं. दिवाली ने इसमें एक अहम स्थान हासिल किया है.

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'दुनिया अपना रही, हम भूलते जा रहे'

हालांकि एक कड़वा सच ये भी है कि दुनिया दिवाली (Diwali 2021) को अपना रही है तो हमारे ही देश के लोग आधुनिकवाद से आकर्षित होकर अपनी परम्पराओं को भूल रहे हैं. हमारे देश में माता पिता अपने बच्चों को ये बताते हैं कि क्रिसमस के त्योहार पर Santa Claus तोहफे लेकर आता है. वे ये नहीं बताते कि लक्ष्मीजी भी दिवाली पर उनके लिए तोहफे ला सकती हैं. 

इसी तरह जिन मिठाइयों से पहले त्योहारों की मिठास होती थी, अब उनकी जगह चॉकलेट ने ले ली है. अब बच्चे मिठाइयां नहीं त्योहारों पर चॉकलेट खाना पसंद करते हैं. हमारे त्योहारों से जुड़ी ये वो छोटी छोटी परम्पराएं जिन्हें हमारे देश के लोग तो भूल रहे हैं लेकिन दुनिया इनका स्मरण कर रही है और इन्हें अपना रही है.

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