DMRC के लिए किसी पहेली से कम नहीं महिलाओं को मेट्रो में फ्री-यात्रा कराने की योजना
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DMRC के लिए किसी पहेली से कम नहीं महिलाओं को मेट्रो में फ्री-यात्रा कराने की योजना

दिल्‍ली सरकार द्वारा लाई गई इस योजना को लेकर डीएमआरसी के पास अभी कोई स्‍पष्‍ट योजना नहीं है. डीएमआरसी की टेक्निकल टीम इस योजना से जुड़ी समस्‍याओं का रास्‍ता निकालने की कोशिश कर रही है.

दिल्‍ली सरकार ने दिल्‍ली मेट्रो में महिलाओं को मुफ्त यात्रा कराने की घोषणा की है. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं को राजधानी में सफर कराने की घोषणा की है. यदि यह घोषणा सच साबित होती है तो महिलाएं न केवल दिल्‍ली सरकार की बसों में मुफ्त सफर कर सकेंगी, बल्कि दिल्‍ली मेट्रो में यात्रा के लिए भी उन्‍हें किराये का भुगतान नहीं करना होगा. अरविंद केजरीवाल सरकार ने भले ही इस योजना के जरिए दिल्‍ली की महिलाओं को अपने पक्ष में लाने का प्रयास किया हो, लेकिन दिल्‍ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी ) लिए यह योजना बड़ी पहेली बन चुकी है. 

  1. डीएमआरसी के लिए विवाद की वजह बन सकती है यह योजना
  2. दिल्‍ली मेट्रो के विकास कार्यों को प्रभावित कर सकती है यह योजना
  3. केंद्र सरकार की सहमति के बिना लागू नहीं हो सकती यह योजना

दरअसल, डीएमआरसी की सबसे बड़ी समस्‍या मेट्रो स्‍टेशन पहुंचने वाले मुसाफिरों में महिलाओं की संख्‍या सुनिश्चित करना है. दरअसल, नई योजना में कहा है कि मेट्रो से सफर करने वाली महिलाओं के किराए का भुगतान दिल्‍ली सरकार द्वारा किया जाएगा. अब ऐसे में डीएमआरसी को प्रतिदिन सफर करने वाली महिलाओं का आंकड़ा दिल्‍ली सरकार से साझा करना होगा. अब समस्‍या यह है कि मौजूदा व्‍यवस्‍था के तहत, सभी मुसाफिरों को मेट्रो में यात्रा के लिए एक ही तरह का टोकन या स्‍मार्ट कार्ड का इस्‍तेमाल करना होता है. टोकन या स्‍मार्ट जारी करते समय मुसाफिरों से किसी तरह का पहचान संबंधी दस्‍तावेज नहीं लिया जाता है. ऐसे में यह तय कर पाना बड़ा मुश्किल है कि टोकन या स्‍मार्ट कार्ड का इस्‍तेमाल करने वाला मुसाफिर पुरूष है या महिला. 

डीएमआरसी के लिए विवाद की वजह बन सकती है यह योजना 
डीएमआरसी में लंबी सेवाएं दे चुके सेवानिवृत्‍त अधिकारी ने बताया कि दिल्‍ली सरकार की यह योजना कई मायनों में नए विवादों को जन्‍म दे सकती है. पहला विवाद नई योजना के तहत आने वाले नई व्‍यवस्‍थाओं को लेकर होगा. दरअसल, डीएमआरसी  द्वारा जारी किया जाने वाला कार्ड ट्रांसफरेबल है. यानी किसी महिला को जारी किए गए स्‍मार्ट कार्ड का इस्‍तेमाल कोई पुरुष मुसाफिर भी कर सकता है. इस संभावना को रोकने के लिए यदि आप फोटो वाला कार्ड जारी करते हैं तो मशीन वह फोटो पढ़ने में सक्षम नहीं है. किसी महिला के कार्ड का इस्‍तेमाल कोई पुरुष न करे, इसके लिए गेट पर आपको अतिरिक्‍त चेकिंग लगानी पड़ेगी. इससे आपका ऑपरेशन भी प्रभावित होगा और चेकिंग में भी अतिरिक्‍त खर्च होगा. अब सवाल यह भी होगा कि नए कार्ड और कार्ड चेकिंग पर आने वाले इस अतिरिक्‍त खर्च की जिम्‍मेदारी कौन करेगा. 

दिल्‍ली मेट्रो के विकास कार्यों को प्रभावित कर सकती है यह योजना 
दिल्‍ली मेट्रो के ऑपरेशन को करीब से देख चुके अन्‍य अधिकारी ने बताया कि वर्तमान समय में हर यात्रा पर यात्रा का नगद भुगतान सीधा डीएमआरसी को होता है. किसी तरह यह व्‍यवस्‍था लागू हो भी गई तो यह देखना होगा कि दिल्‍ली सरकार कितने दिनों में रुपयों का भुगतान करती है. नई योजना से डीएमआरसी के सिस्‍टम से उसका 30 फीसदी करेंट मनी फ्लो बाहर चला जाएगा. जिसका सीधा असर ऑपरेशन और विस्‍तार की योजनाओं पर पड़ेगा. वहीं महिला मुसाफिरों की संख्‍या को लेकर भी मेट्रो और सरकार के बीच विवाद खड़ा हो सकता है. सोमवार की घोषणा पर बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि वर्तमान समय में दिल्‍ली मेट्रो में 29 से 30 लाख मुसाफिरों का आवागमन होता है, जबकि दिल्‍ली सरकार ने अपने दावों में इसे 25 लाख बताया है. भविष्‍य में ये आंकड़े भी विवाद का विषय बन सकती हैं. 

केंद्र सरकार की सहमति के बिना लागू नहीं हो सकती यह योजना 
डीएमआरसी के एक सेवानिवृत्‍त अधिकारी ने बताया कि नियमों के तहत यह योजना केंद्र सरकार की सहमति के बिना लागू नहीं हो सकती है. उन्‍होंने बताया कि दिल्‍ली सरकार की इस योजना पर अंतिम फैसला लेने का हक सिर्फ डीएमआरसी बोर्ड के पास है. इस बोर्ड में तीन सदस्‍य हैं. जिसमें केंद्र सरकार, दिल्‍ली सरकार और डीएमआरसी शामिल है. यदि केंद्र सरकार मना करने पर, इस योजना को लागू करना संभव नहीं होगा. वहीं, इस योजना को लेकर डीएमआरसी को भी अपनी क्षमताओं का विस्‍तार करना होगा, जो बेहद अल्‍प समय में संभव नहीं है. 

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