रेयर जेनेटिक बीमारी जिसके लिए 5 महीने की बच्‍ची को लगेगा 16 करोड़ रुपये का इंजेक्‍शन
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रेयर जेनेटिक बीमारी जिसके लिए 5 महीने की बच्‍ची को लगेगा 16 करोड़ रुपये का इंजेक्‍शन

तीरा कामत (Teera Kamat) को स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy) नाम की बीमारी है जिसमें दिमाग मांसपेशियों पर अपना नियंत्रण खो देता है.

रेयर जेनेटिक बीमारी जिसके लिए 5 महीने की बच्‍ची को लगेगा 16 करोड़ रुपये का इंजेक्‍शन

नई दिल्‍ली: आज हम आपको जान बचाने वाले 16 करोड़ रुपये के इंजेक्‍शन के बारे में बताएंगे और ये खबर मुंबई से आई है. मुंबई में एक परिवार में आज से पांच महीने पहले एक बच्ची का जन्म हुआ और इस बच्ची का नाम है तीरा. एक दिन अचानक मां का दूध पीते वक्त तीरा का दम घुटने लगा. कुछ दिन बाद बच्ची को पोलियों की दवा पिलाई गई, तो थोड़ी देर के लिए उसकी सांसे रुक गईं. 

डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि तीरा को रेयर जेनेटिक बीमारी Spinal Muscular Atrophy है, जिसकी वजह से शरीर में प्रोटीन बनाने वाले जीन नहीं बनते और शरीर के अंग दिमाग के कहने पर काम नहीं करते हैं. यानी तीरा नाम की ये बच्ची न तो पलक झपका सकती है और न ही उसका कोई अंग हिलता है. 

90 दिन के अंदर इकट्ठा हुए 16 करोड़ रुपए 

डॉक्टरों ने रिसर्च की तो पता चला कि अमेरिका में इसका इलाज है लेकिन उसे भारत लाने की कीमत 22 करोड़ रुपए है. मुंबई का ये परिवार इतनी बड़ी रकम सुन कर घबरा गया.  फिर कुछ सोशल साइट्स की मदद से पैसा कलेक्‍ट करने का कैंपेन शुरू हुआ और 90 दिन के अंदर 16 करोड़ रुपए इकट्ठा कर लिए गए. 

ये पैसा दवाई के लिए काफी था लेकिन दवाई खरीदने पर 6 करोड़ रुपए भारत सरकार को इम्‍पोर्ट ड्यूटी देनी थी. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहम भूमिका निभाई. तीरा के पिता महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से मिले और उन्होंने प्रधानमंत्री से कहकर 6 करोड़ रुपए की इम्‍पोर्ट ड्यूटी माफ करवा दी. 

क्‍यों महंगा है ये इंजेक्‍शन

तीरा कामत को स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी नाम की बीमारी है जिसमें दिमाग मांसपेशियों पर अपना नियंत्रण खो देता है.

SMA के इलाज का एक ही तरीका है जीन रिप्लेसमेंट थेरेपी, जिसके लिए खास दवाई चाहिए होती है जिसे zolgensma(ज़ोल-गेन्ज़मा) कहते हैं और ये अमेरिका ही बनाता है.

तीरा कामत के इलाज में जिस दवाई का इस्तेमाल होना है उसकी कीमत 22 करोड़ रुपये हैं. एक कामकाजी परिवार के लिए ये कीमत देना आसान नहीं है, लेकिन कहते हैं कि कोशिश करने वाली हार नहीं होती.

केंद्र सरकार ने 6 करोड़ रुपये का टैक्स माफ किया

अपनी बेटी इस जेनेटिक बीमारी ने मां बाप को परेशान तो किया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने लोगों से मदद की गुहार की और मदद मिली भी. बच्ची की सेहत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 6 करोड़ रुपये का टैक्स माफ कर दिया और देश ने बच्ची की जिंदगी बचाने के लिए 16 करोड़ रुपये का दान कर दिया.

दिल खोलकर जब देश ने दुआ मांगी तो तीरा खिलखिलाने की उम्मीद फिर नजर आने लगी है. तीरा के पिता मिहिर और मां प्रियंका को उनकी जिंदगियों में खुशियां लौटती नजर आ रही हैं. मासूम तीरा की जिंदगी बचाने की जंग में सबसे बड़ा पत्थर था पैसा यानी महंगी दवाई की कीमत. लेकिन जब मदद ईश्वर कर रहा हो, तो ऐसे पत्थर रेत की तरह भरभराकर गिर जाते हैं. 

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