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नई दिल्ली: बाटला हाउस एनकाउंटर के मामले (Batla House Encounter Case 2008) में दिल्ली के एक कोर्ट ने सोमवार को दोषी आरिज खान (Ariz Khan) को फांसी की सजा सुना दी और इस फैसले ने बाटला हाउस एनकाउंटर को फेक बताने वाले कई नेताओं और बुद्धिजीवियों की दुकानदारी खत्म कर दी.
कोर्ट ने इस मामले को Rarest Of The Rare Case बताया और इंडियन मुजाहिदीन (IM) के आतंकवादी आरिज खान (Ariz Khan) को बाटला हाउस एनकाउंटर में शहीद हुए दिल्ली पुलिस के चीफ इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या का भी जिम्मेदार माना है.
ये फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उस समय कांग्रेस के कई नेताओं ने इस एनकाउंटर (Batla House Encounter Case 2008) को फेक बताते हुए मोहन चंद शर्मा की शहादत का भी अपमान किया था. इसलिए इन नेताओं को शहीद मोहन चंद शर्मा के परिवार से भी माफी मांगनी चाहिए.
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सोमवार को फैसला सुनाने से पहले कोर्ट में इस पर काफी लंबी बहस हुई. सरकारी वकील ने दोषी आरिज खान को फांसी देने की मांग की जबकि बचाव पक्ष के वकील ने आरिज खान की उस समय की उम्र को देखते हुए नरमी बरतने की अपील की.
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ऐसे में इसकी पूरी संभावनाएं हैं कि अब हमारे देश के कुछ नेता और एक लॉबी इस आतंकवादी की सजा माफ करवाने के लिए एक्टिव हो जाएगी. हमें डर है कि जिस तरह की मुहिम 1993 के मुंबई बम धमाकों के आतंकवादी याकूब मेमन की फांसी टालने के लिए चलाई गई थी उसी तरह की मुहिम एक बार फिर चलाई जा सकती है.
हम ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं क्योंकि कोर्ट ने अपने फैसले में ये माना है कि आतंकवादी आरिज खान बाटला हाउस एनकाउंटर से पांच दिन पहले 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए बम धमाकों की साजिश में भी शामिल था. एनकाउंटर के बाद वो फरार हो गया था और उसकी गिरफ्तारी तीन साल पहले 2018 में हुई थी.
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आज हम आपको कांग्रेस के उन नेताओं की भी याद दिलाना चाहते हैं जिन्होंने 2008 में हुए इस एनकाउंटर के बाद आंसू बहाए थे और आतंकवादियों के साथ हमदर्दी दिखाई थी.
कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह तो लगातार इस एनकाउंटर को फेक बताते रहे हैं. यही नहीं पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने 2012 में दिए अपने एक बयान में कहा था कि इस एनकाउंटर के बाद आतंकवादियों की तस्वीरें देखकर सोनिया गांधी की आंखों में आंसू आ गए थे. यही नहीं ममता बनर्जी ने भी इस एनकाउंटर को फेक बताते हुए कहा था कि अगर वो गलत साबित हुईं तो वो राजनीति छोड़ देंगी.
कोर्ट ने आतंकवादी आरिज खान पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसमें 10 लाख रुपये शहीद मोहन चंद शर्मा के परिवार को दिए जाएंगे. हमें लगता है कि कोर्ट का ये फैसला उन नेताओं के लिए भी एक कड़ा सबक है, जिन्होंने इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की शहादत का अपमान किया था.
अब जब 5 राज्यों में विधान सभा के चुनाव हैं तो मुमकिन है कि मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के लिए कांग्रेस के यही नेता इस आतंकवादी की सजा माफी का मुद्दा उठा सकते हैं. हालांकि सवाल ये है कि क्या किसी आतंकवादी की सजा माफ करवाने से हमारे देश के मुसलमान खुश होते हैं.
आज ये जानना जरूरी है कि हमारे देश के मुस्लिम वोटरों के लिए बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जरूरी है या उन्हें आतंकवादियों की सजा की माफी चाहिए.
इन नेताओं को ऐसी गलतफहमी है कि हमारे देश के मुसलमान आतंकवादियों की सजा की माफी चाहते हैं और इसीलिए हम चाहते हैं कि भारत का मुसलमान इन नेताओं को गलत साबित करे.