DNA ANALYSIS: अब समुद्र में चीन की जासूसी, जानिए भारत के लिए क्यों अहम है हिंद महासागर?
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DNA ANALYSIS: अब समुद्र में चीन की जासूसी, जानिए भारत के लिए क्यों अहम है हिंद महासागर?

चीन ने हिंद महासागर में भारत की जासूसी के लिए अंडर वाटर ड्रोन्स तैनात किए थे. Sea Wing Glider नाम के ये अंडर वाटर ड्रोन्स आकार में किसी मछली की तरह होते हैं. 

DNA ANALYSIS: अब समुद्र में चीन की जासूसी, जानिए भारत के लिए क्यों अहम है हिंद महासागर?

नई दिल्ली: आज हमें कोरोना वायरस वैक्सीन की जरूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस देखते ही देखते पूरी दुनिया में फैल गया. लेकिन जब दुनिया इस वायरस से संघर्ष कर रही थी, तब चीन चुपचाप भारत की सीमा के नज़दीक रेल लाइन बिछा रहा था. इसलिए अब हम आपके साथ चीन की उस बीमारी पर चर्चा करना चाहते हैं, जिसकी वैक्सीन शायद भारत ही तैयार कर सकता है. इस बीमारी का नाम है डर और इसका सबसे बड़ा लक्षण है जासूसी. जब किसी व्यक्ति को पिछड़ने का और हारने का डर होता है तो वो जासूसी शुरू कर देता है और ऐसा ही कुछ चीन कर रहा है. चीन की ये बीमारी कितनी पुरानी है और इसका इलाज क्या है, आज हम इसी पर आपके साथ चर्चा करेंगे. लेकिन सबसे पहले आप चीन से आई दो बड़ी ख़बरों को समझिए.

अरुणाचल प्रदेश के नज़दीक तिब्बत में चीन की रेल लाइन 

पहली ख़बर ये है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के नज़दीक तिब्बत में रेल लाइन बिछाने का काम पूरा कर लिया है. ये रेल लाइन अरुणाचल प्रदेश में भारत की सीमा के काफ़ी क़रीब है और चीन इस प्रोजेक्ट को बड़ी सफलता मानता है. अहम बात ये है कि जब दुनियाभर के देशों में पिछले वर्ष कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगा, तब भी चीन इस रेल मार्ग पर चोरी छिपे काम करता रहा. 2020 के अगस्त महीने तक चीन इस प्रोजेक्ट पर 70 प्रतिशत काम पूरा कर चुका था.

चीन भारत की सीमा से लगे अपने इलाक़ों में तो तेज़ी से विकास कार्य कर रहा है, लेकिन जब भारत ऐसा कुछ करता है तो वो विरोध करता है और धमकी देने लगता है. आपको याद होगा कि जब अरुणाचल प्रदेश में इसी तरह का टनल प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तो चीन ने इसका खूब विरोध किया था. लेकिन अब जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा के नज़दीक रेल लाइन बिछाने का काम पूरा कर लिया है तो वो चाहता है कि इस पर उससे कोई सवाल न पूछा जाए.

400 बार भारतीय नौसेना की जासूसी

दूसरी बड़ी ख़बर हिंद महासागर से आई है. Forbes Magazine में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने हिंद महासागर में भारत की जासूसी के लिए अंडर वाटर ड्रोन्स तैनात किए थे. Sea Wing Glider नाम के ये अंडर वाटर ड्रोन्स आकार में किसी मछली की तरह होते हैं. ये लम्बे समय तक पानी में रह कर एक जगह से दूसरी जगह तक सफ़र कर सकते हैं. चीन ने दिसम्बर 2019 से फरवरी 2020 के बीच ऐसे कुल 12 ड्रोन हिन्द महासागर में उतारे थे. इस दौरान इन ड्रोन्स की मदद से क़रीब 3 हज़ार 400 बार भारतीय नौसेना की जासूसी की गई. 

चीन भारत से इतना डरा हुआ है कि वो सीमा के रास्ते भी घुसपैठ की कोशिश करता है और समुद्र के रास्ते भी भारत की जासूसी करता है.

इतिहास के जनक Thucydides ने एक किताब लिखी थी. इस किताब का नाम था History of the Pelopo-nnesian War. इस पुस्तक में वो कहते हैं कि जब एक महाशक्ति के सामने दूसरी शक्ति उभरने लगती है, तो दोनों के बीच युद्ध होकर रहता है. इसे Thucydides Trap भी कहा जाता है. इस समय दुनिया भी इसी ट्रैप में है. चीन उभरती हुई महाशक्ति है, लेकिन चीन ने दुनिया को जीतने का तरीका थोड़ा बदला है. वो बिना युद्ध लड़े, बहुत सब्र के साथ इस बात का इंतज़ार कर रहा है कि दुनिया की अर्थव्यस्था कमज़ोर होती रहे, दुनियाभर के देश कोरोना वायरस को कंट्रोल करने में जुटे रहें और मौके का फ़ायदा उठाकर चीन इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को कंट्रोल कर ले.

चीन ऐसा देश है जो ताकत की भाषा ही समझता है और वो अपने पड़ोसियों के साथ दादागिरी करता है. अरुणाचल प्रदेश में भारत की सीमा के नज़दीक रेल लाइन बिछा कर भी उसने ऐसा ही किया है.

ये रेल लाइन प्रोजेक्ट क्या है, इसे आप कुछ Points में समझिए-

-ये रेल लाइन तिब्बत के ल्हासा को Nyingchi (नेयांग्की) शहर से जोड़ेगी.

-इस 435 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग पर 47 सुरंगें और 120 पुल बनाए गए हैं. 

-तिब्बत का Nyingchi (नेयांग्की) शहर, अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सिर्फ़ 80 किलोमीटर दूर है.

-यानी चीन का रेल नेटवर्क भारत की सीमा के बेहद क़रीब पहुंच चुका है.

-ये रेल लाइन चीन के शिचुआन प्रांत को तिब्बत से भी सीधा जोड़ने का काम करेगी.

-इससे शिचुआन और तिब्बत के बीच यात्रा में लगने वाला समय 48 घंटे से घट कर 13 घंटे रह जाएगा.

-इस पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलेंगी

रेल मार्ग के ज़रिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश भी कर सकता है चीन

इस रेल मार्ग से चीन को एक और फ़ायदा होगा और वो ये कि चीन जब चाहे भारी मात्रा में हथियार और अपने सैनिकों को अरुणाचल प्रदेश की सीमा तक पहुंचा सकेगा. ऐसा करके वो युद्ध के हालात पैदा करने की भी कोशिश कर सकता है.

चीन इस रेल मार्ग के ज़रिए भारत पर दबाव बनाने की भी कोशिश कर सकता है. वो इसलिए क्योंकि चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बता कर उस पर अपना दावा करता है. ऐसे में इस रेल मार्ग ने भारत की चिंता के मार्ग को भी काफ़ी गहरा कर दिया है.

चीन की विस्तारवादी रणनीति

भारत से लगती सीमाओं पर सड़कों और ख़ास तौर से रेल नेटवर्क का विस्तार करना, चीन की विस्तारवादी रणनीति का ही हिस्सा है. चीन इस पर दो दशक से काम कर रहा है और इसका एक चिंताजनक पहलू ये है कि वो इसमें भारत के पड़ोसी देशों को भी शामिल कर लेता है. यानी आप कह सकते हैं कि सीमा पर शांति के मामले में भारत भाग्यशाली नहीं है.

हालांकि इसमें एक पहलू ये भी है कि जब भारत अपने सीमाई इलाक़ों में रेल नेटवर्क और सड़कें बनाने का काम करता है तो चीन इसमें अड़ंगा लगाने की कोशिश करता है.

पिछले वर्ष फरवरी के महीने में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर थे, तब चीन को ये बात पसन्द नहीं आई थी. चीन की नाराज़गी की एक बड़ी वजह वो टनल थी, जिसकी आधारशिला तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी.

इसी तरह भारत द्वारा जब लिपुलेख में 17000 फीट की ऊंचाई पर सड़क निर्माण शुरू किया गया था, तब भी चीन ने इसका विरोध किया था. चीन ने उस समय नेपाल को भी अपने साथ ले लिया था.

यानी चीन चाहता है कि भारतीय सीमा के करीब उसका मज़बूत रेल नेटवर्क हो, अच्छी और चौड़ी सड़कें और पुल हों, लेकिन जब भारत अपने सीमा वाले इलाक़ों में इस तरह के विकास कार्य करता है तो चीन को ये पसंद नहीं आता.

दुनिया के 18 देशों के साथ सीमा विवाद

चीन से सिर्फ़ भारत ही परेशान नहीं है. उसका दुनिया के 18 देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है. लेकिन चीन की ज़मीन की भूख सिर्फ़ इतने से शांत नहीं हो रही. वो अपनी सीमा से बहुत दूर बसे देशों की भी ज़मीन हड़पने की साज़िशें करता रहता है. आपने पुराने ज़माने की फिल्मों में देखा होगा कि साहूकार ग़रीब किसानों को कर्ज़ देते थे और जब किसान पैसा वापस नहीं कर पाता था तो वो उसकी ज़मीन हड़प लेते थे. दुनिया में आज यही काम चीन कर रहा है. ये नए तरह का उपनिवेशवाद है, जिसकी मदद से चीन पूरी दुनिया को हड़प लेना चाहता है.

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चीन एक अक्टूबर 1949 को आज़ाद हुआ था. आज़ादी के फौरन बाद उसने पड़ोसी देशों की ज़मीनें हड़पने का काम शुरू कर दिया था. शुरू में उसका ये अभियान सिर्फ़ पड़ोसी देशों तक सीमित था, लेकिन आज इसका दायरा पूरी दुनिया में फैल चुका है.

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- चीन का अभी जो क्षेत्रफल है उसमें से लगभग 60 प्रतिशत ज़मीन कभी उसकी थी ही नहीं. यानी चीन अपने वास्तविक आकार से अधिक ज़मीन हड़प चुका है.

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- 1949 में कम्युनिस्ट शासन आते ही चीन ने तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और इनर मंगोलिया पर कब्ज़ा कर लिया.

- भारत के अक्साई चिन इलाके पर भी वो अपना दावा करता है.

- चीन की नज़र सिर्फ़ ज़मीन पर नहीं, बल्कि समुद्र पर भी है. इस समय वो 35 लाख स्क्वॉयर किलोमीटर में फैले दक्षिणी चीन सागर पर कब्जे के लिए ऐसे काम करता है जिनपर बहुत विवाद और तनाव होता है. यहां वो एक आर्टिफिशियल आइलैंड भी बना चुका है.

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Main Land China शब्द का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?

आपने गौर किया होगा कि कई बार Main Land China शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. ये शब्द भी बताता है कि असल में चीन की मुख्य भूमि बहुत छोटी है. चीन ने धीरे-धीरे आसपास के इलाकों पर कब्ज़ा करके खुद को Greater China के तौर पर स्थापित किया है. ये भी एक आश्चर्य है कि अपनी विस्तारवादी नीति के बावजूद चीन लंबे समय तक दुनिया को गुमराह करता रहा. लेकिन पिछले कुछ साल में चीन के प्रति कई देश काफी सतर्क हो गए हैं. एशिया में आज भारत, जापान और वियतनाम जैसे देश उसे कड़ी चुनौती दे रहे हैं. अमेरिका के साथ चीन के रिश्ते बेहद ख़राब हैं. कोरोना वायरस फैलाने के कारण आज चीन पूरी दुनिया में एक ख़लनायक की तरह देखा जा रहा है.

चीन सीमा के रास्ते घुसपैठ की कोशिश करता है और उसकी ये विस्तारवादी भूख उसे हिंद महासागर तक ले आई है. चीन ने हिंद महासागर में भारत की जासूसी के लिए अंडर वाटर ड्रोन्स की मदद लेनी शुरू कर दी है.

पिछले वर्ष चीन ने 12 अंडर वाटर ड्रोन्स समुद्र में उतारे

Forbes Magazine में बताया गया है कि चीन ने पिछले वर्ष भारतीय नौसेना पर नज़र रखने के लिए 12 अंडर वाटर ड्रोन्स समुद्र में उतारे थे. इससे पता चलता है कि चीन, हिंद महासागर में भी अपनी सक्रियता पूरी तरह बढ़ा चुका है.

हिंद महासागर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा और युवा महासागर है. इसके उत्तरी छोर पर भारतीय उपमहाद्वीप है, दक्षिण में अंटार्कटिका, पश्चिम में अफ्रीका, और पूर्व में इंडोनेशिया और आस्ट्रेलिया हैं. कहा जाता है कि इसे ये नाम आज से लगभग एक हज़ार साल पहले उन अरब व्यापारियों ने दिया. जो उस समय समुद्र के रास्ते भारत से व्यापार करते थे. उस समय भारत के बंदरगाह बड़े, उन्नत और विकसित थे. यहां से पश्चिमी दुनिया के देशों मध्य पूर्व के देशों और पूर्व में चीन तक व्यापार होता था.

हिंद महासागर भारत के लिए अहम क्यों है, अब इसे समझिए-

-दुनिया की आबादी का एक तिहाई हिस्सा हिंद महासागर के किनारे बसा है.

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-पेट्रोलियम क्रूड ऑयल का 80 प्रतिशत व्यापार हिंद महासागर के ज़रिए होता है.

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-खाड़ी देशों से दुनिया भर में पेट्रोलियम पदार्थ पहुंचाने के लिए ये रूट काफ़ी अहम है.

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-हिंद महासागर में दुनिया के 40% तेल का उत्पादन भी होता है.

-सबसे अहम बात ये कि 95% भारतीय व्यापार समुद्र के रास्ते होता है.

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अमेरिका के बाद भारत ही एक ऐसा देश है जो हिंद महासागर में अपना दबदबा कायम रखने में सक्षम है. यही वजह है कि चीन इस क्षेत्र में भी अपनी पहुंच बढ़ाना चाहता है और इसके लिए उसने भारत की जासूसी भी शुरू कर दी है.

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झूठ बोलना चीन के DNA में है. चीन के लिए दुनियाभर में एक बात कही जाती है कि China Lied, People Died, यानी चीन ने झूठ बोला और इस झूठ ने कई लोगों की जान ले ली.

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