DNA ANALYSIS: LAC पर तैनात होने के डर से रोने लगे चीन के सैनिक, वीडियो वायरल
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DNA ANALYSIS: LAC पर तैनात होने के डर से रोने लगे चीन के सैनिक, वीडियो वायरल

भारतीय सेना और चीन की सेना के बीच सबसे बड़े अंतर की तस्वीरें सामने आई हैं. भारत के सैनिक सियाचिन से लेकर LAC के मुश्किल हालात में भी गर्व के साथ सीमा की रक्षा करते हैं. लेकिन चीन के सैनिक भारतीय सीमा पर तैनाती का आदेश सुनते ही रोने लगते हैं. 

DNA ANALYSIS: LAC पर तैनात होने के डर से रोने लगे चीन के सैनिक, वीडियो वायरल

नई दिल्ली: भारतीय सेना और चीन की सेना के बीच सबसे बड़े अंतर की तस्वीरें सामने आई हैं. भारत के सैनिक सियाचिन से लेकर LAC के मुश्किल हालात में भी गर्व के साथ सीमा की रक्षा करते हैं. लेकिन चीन के सैनिक भारतीय सीमा पर तैनाती का आदेश सुनते ही रोने लगते हैं. रोते हुए चीन के सैनिकों की ये तस्वीरें चीन से आई हैं और इन्हें देखकर हमारे देश में चीन की तारीफ करने वाले बुद्धिजीवियों को बहुत दुख होगा. चीन के पास हथियारों की कोई कमी नहीं है, लेकिन चीन के सैनिकों में देशभक्ति और बहादुरी का अभाव है.

हाल में जो वीडियो सामने आया है ये वीडियो चीन के ही Anhui(अन्हुई) प्रांत का बताया जा रहा है. वीडियो में दिख रही इस बस में चीन की सेना के 10 सैनिक मौजूद हैं और इनमें से 5 सैनिकों को लद्दाख सीमा पर यानी LAC पर तैनाती के लिए भेजा जा रहा है. हालांकि ये सैनिक उत्साह बढ़ाने के लिए चीन की सेना यानी PLA का एक गीत गा रहे हैं. लेकिन गाना गाने के साथ ही इन सैनिकों के आंसू भी निकल रहे हैं.

ये वीडियो सबसे पहले चीन के ही सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया था। लेकिन जल्द ही इसे डिलीट कर दिया गया. अब ये खबर ताईवान के एक अखबार ताईवान न्यूज़ में प्रकाशित हुई है.

चीन के इन सैनिकों ने अपने कॉलेज की पढ़ाई खत्म की और उसके तुरंत बाद ही इन्हें अनिवार्य सैन्य सेवा में शामिल कर लिया गया.

यहां आपको बता दें कि चीन में आम नागरिकों को जबरन सेना में भर्ती किया जाता है और वहां के लोग सैन्य सेवा देने से इनकार नहीं कर सकते हैं. लेकिन इस वीडियो को देखकर साफ पता चलता है कि चीन के सैनिकों को युद्ध के नाम से ही कितना डर लगता है. इसी वर्ष जून महीने में गलवान में भारतीय सेना और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था और चीन ने अब तक उस संघर्ष में मारे गए अपने सैनिकों की संख्या नहीं बताई है.

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खुद को शक्तिशाली दिखाने का मनोवैज्ञानिक युद्ध
भारत के सामने चीन ने खुद को शक्तिशाली दिखाने का एक मनोवैज्ञानिक युद्ध शुरू किया था, जो अब फेल हो चुका है. चीन की सेना कितने भी दावे कर ले, उसकी ताकत सिर्फ एक भ्रम है.

- सबसे पहला भ्रम तो यही है कि चीन की सेना, भारत से बहुत ताकतवर है. जबकि सच ये है कि भारतीय सेना में करीब 14 लाख सैनिक हैं जबकि वर्ष 2015 के बाद से चीन अपने सैनिकों की संख्या को लगातार कम कर रहा हैत्र रिपोर्ट के मुताबिक चीन में अब 10 लाख से भी कम सैनिक हैं.

- चीन की एक बड़ी कमजोरी ये है कि वर्ष 1979 से लेकर वर्ष 2015 तक चीन में One Child Policy लागू थी. जिसकी वजह से चीन के ज्यादातर सैनिक अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं. ऐसे में जाहिर है कि युद्ध की स्थिति में चीन के सैनिक देश से पहले, अपने परिवार के बारे में सोचते होंगे.

- चीन की सेना की एक और बड़ी कमजोरी ये है कि उसने 41 वर्ष पहले आखिरी बार युद्ध लड़ा था. वर्ष 1979 में वियतनाम के हाथों उसे हार का सामना करना पड़ा था. इस हिसाब से चीन की सेना में अब शायद ही ऐसा कोई भी जवान या अधिकारी बचा होगा जिसे युद्ध लड़ने का अनुभव होगा.

- भारत ने करीब 21 वर्ष पहले करगिल युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था. भारतीय सेना को दुश्मन के घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करने का भी अनुभव है.

- चीन, अपने जिन सैनिकों के दम पर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की धमकियां देता है. लेकिन असलियत में चीन की सेना भारत से जंग के लिए तैयार ही नहीं है. खुद चीन की सेना ने माना है कि उसके बीस प्रतिशत सैनिक, युद्ध करने के लिए फिट नहीं हैं. बीस प्रतिशत सैनिकों का वजन भी जरूरत से ज्यादा है और चीन के 25 प्रतिशत सैनिक, शराब के आदी हो चुके हैं. यानी चीन भले ही दुनियाभर में अपनी ताकत का दम भरता हो, लेकिन ये केवल उसका मायाजाल है और कुछ नहीं.

चीन में आम नागरिकों को जबरन सेना में भर्ती किया जाता है
चीन की सच्चाई ये है कि वहां आम नागरिकों को जबरन सेना में भर्ती किया जाता है. वहां पर हर नागरिक के लिए दो साल की सैन्य सेवाएं देना अनिवार्य है. यानी चीन का कोई युवा चाहता हो या न चाहता हो, उसे सेना में भर्ती होना ही पड़ता है. चीन की सेना में करीब 35 प्रतिशत ऐसे युवा हैं, जिन्हें मजबूर करके सैनिक बनाया जाता है.

अब अगर आप इसकी तुलना भारत से करें तो भारत में सैन्य सेवा अनिवार्य नहीं है, लेकिन सेना में भर्ती होने को युवा सबसे बड़ा सम्मान समझते हैं. सेना की एक एक भर्ती के लिए हमारे यहां हजारों युवाओं की भीड़ लग जाती है. सैनिक बनकर देश की सेवा करना. ये करोड़ों भारतीयों का सपना होता है. लेकिन चीन में सेना में भर्ती होना सपना या सम्मान नहीं बल्कि सजा है.

सैन्य सेवा देने से मना करने पर सजा
अगर चीन का कोई नागरिक सैनिक बनने से मना कर देता है तो उसके साथ क्या होता है. चीन में सैन्य सेवा देने से मना करने पर चीन की सरकार एक दो नहीं बल्कि आठ तरह की सजा देती है और ये कैसी कैसी सजा होती है, ये भी आप देख लीजिए.

सबसे पहले उस व्यक्ति को चीन में बदनाम लोगों की लिस्ट में डाल दिया जाता है। ऐसी लिस्ट में आने का मतलब ये होता है कि ऐसा व्यक्ति विदेश नहीं जा सकता. वो कोई ज़मीन नहीं खरीद सकता. वो फ्लाइट्स में नहीं बैठ सकता. वो लंबी दूरी की ट्रेन या फिर बस की यात्रा नहीं कर सकता. उसे लोन नहीं मिल सकता और उसे इंश्योरेंस की कोई सर्विस नहीं मिल सकती. ये सब प्रतिबंध दो साल तक लागू होते हैं.

पहली सजा में ही इतने सारे प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं. अब हम आपको बाकी की सजा के बारे में बताते हैं. दूसरी सजा ये मिलती है कि सैन्य सेवा से इनकार करने वाले व्यक्ति को फिर कोई सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती. ये प्रतिबंध एक दो साल के लिए नहीं, बल्कि पूरे जीवन के लिए होता है. जीवन भर वो व्यक्ति किसी सरकारी कंपनी में पक्की नौकरी तो क्या अस्थायी तौर पर भी काम नहीं कर सकता.

तीसरी सजा ये मिलती है कि उस व्यक्ति को जीवन भर फिर कभी सेना में शामिल होने का मौका नहीं दिया जाता है. उस पर एक तरह से सेना से रिजेक्ट होने का ठप्पा लग जाता है. ये उस व्यक्ति और उसके परिवार के लिए सामाजिक तौर पर भी जीवन भर की सजा होती है. क्योंकि उसे ऐसे व्यक्ति के तौर पर देखा जाता है, जिसने सेना में शामिल होने से इनकार कर दिया.

चौथी सजा ये मिलती है कि वो युवा दोबारा अपने कॉलेज नहीं जा सकता. फिर से पढ़ाई शुरू नहीं कर सकता. दो साल के लिए उसके कॉलेज जाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.

पांचवीं सजा ये होती है कि उस व्यक्ति को कहीं पर भी वो प्राथमिकता नहीं मिलती, जो प्राथमिकता आम तौर पर चीन के सैनिकों को मिलती है, जैसे ही उसने नौकरी छोड़ी, उसके लिए सब सुविधाएं बंद हो जाती हैं.

उसको छठी सजा ये मिलती है कि ना सिर्फ उसे मिलिट्री ट्रेनिंग पर होने वाले खर्च को वापस करना पड़ता है, बल्कि सेना छोड़ने पर जुर्माना भी भी देना पड़ता है. ये सब मिलाकर उसे करीब आठ हजार डॉलर यानी करीब 6 लाख रुपये देने होते हैं.

सातवीं सजा ये होती है कि कम से कम दो साल वो व्यक्ति कोई बिजनेस नहीं कर सकता. यानी उसे हर तरफ से लाचार कर दिया जाता है. उसे सरकारी नौकरी भी नहीं मिलती और वो कोई व्यापार भी नहीं कर सकता.

उसे आठवीं सजा ये मिलती है कि चीन में सार्वजनिक तौर पर उसे अपमानित किया जाता है. चीन की सरकारी मीडिया और वहां की सोशल मीडिया पर उस व्यक्ति की जानकारी और उसको मिली सजा का प्रचार प्रसार किया जाता है.

इस तरह की सजा इसीलिए दी जाती है कि ताकि कोई नागरिक सैन्य सेवा देने से इनकार करने की हिम्मत न कर सके.

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