DNA ANALYSIS: RT PCR टेस्ट को भी मात दे रहा कोरोना का खतरनाक वेरिएंट, ऐसे करें पहचान
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DNA ANALYSIS: RT PCR टेस्ट को भी मात दे रहा कोरोना का खतरनाक वेरिएंट, ऐसे करें पहचान

Coronavirus New Variant: नया वेरिएंट कोरोना के टेस्ट को भी धोखा दे सकता है. यानी अगर आप कोरोना के इस वेरिएंट से संक्रमित होते हैं, आपको इसके लक्षण दिखते लगते हैं. लेकिन जब आप टेस्ट कराएंगे तो आपकी रिपोर्ट निगेटिव आएगी.

DNA ANALYSIS: RT PCR टेस्ट को भी मात दे रहा कोरोना का खतरनाक वेरिएंट, ऐसे करें पहचान

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी से जूझते हुए पूरी दुनिया को एक साल हो चुका है और इस एक साल में लोगों ने खुद को जरा भी नहीं बदला और आपकी इसी कमी का फायदा कोरोना वायरस ने भी उठाया है.

कोरोना वायरस के 12 हजार वेरिएंट

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस एक साल में तो इंसान जरा भी नहीं बदले और हमारा कोई  अपटेडेड वर्जन भी नहीं आया, लेकिन इस अवधि में कोरोना वायरस के कई वर्जन आ चुके हैं. यानी आप कह सकते हैं कि इस एक वर्ष में इंसान तो नहीं बदले, लेकिन कोरोना काफी बदल चुका है.

दिसम्बर 2020 तक कोरोना वायरस के 12 हजार वेरिएंट सामने आ चुके हैं और पिछले कुछ दिनों में इसके 100 से ज्यादा और नए वेरिएंट की पहचान हुई है और इनमें जो एक नया वेरिएंट इस समय भारत में तेजी से फैल रहा है, वो काफी डरा देना वाला है. सबसे पहले आपको वायरस के इस नए अवतार के बारे में बताते हैं.

नया वेरिएंट कोरोना के टेस्ट को भी दे रहा धोखा 

ये नया वेरिएंट कोरोना के टेस्ट को भी धोखा दे सकता है. यानी अगर आप कोरोना के इस वेरिएंट से संक्रमित होते हैं. आपको इसके लक्षण दिखते लगते हैं और फिर आप टेस्ट कराते हैं तो आपकी रिपोर्ट निगेटिव आएगी. रिपोर्ट के मुताबिक आपको कोरोना नहीं होगा. सरल शब्दों में कहें तो ये नया वेरिएंट कोरोना के टेस्ट को भी आसानी से धोखा दे सकता है.

कोरोना की नई लहर बड़ा कहर साबित हो रही है और इस बार जो स्थिति बन रही है. वो जांचकर्ताओं की समझ में भी नहीं आ रही. कुछ लोगों ने अपना आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया  और बताया कि दो से तीन बार कोरोना टेस्ट करवाने के बाद भी उनका टेस्ट ​ने​गेटिव आया लेकिन उनमें लक्षण थे. 

पहले से ज्यादा खतरनाक 

यहां आपको बता दें कि आपकी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट देखकर किसी भी डॉक्टर को लगेगा कि सब ठीक है, लेकिन ऐसा है नहीं. इस बार खतरा पिछली बार से ज्यादा बड़ा है. कोरोना वायरस का नया रूप पहले से ज्यादा खतरनाक है. नया वायरस आरटीपीसीआर टेस्ट को भी झांसा दे रहा है.

हाल के दिनों में ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं, जिनमें आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव है, लेकिन ऑर्गन फ्लूड में पता चला है कि कोविड पॉजिटिव केस है.

जांच में कोविड निगेटिव हो तो ऐसे में क्या माना जाए?

एक्सपर्ट्स का लगातार यही कहना रहा है कि कोरोना वायरस के इलाज का एक ही तरीका है और वो है, जांच और फिर लक्षणों के इलाज की दवाएं.अब ऐसे में ये सवाल लाजमी है कि जब लक्षण नजर आ रहे हों और जांच रिपोर्ट में कोविड-19 निगेटिव हो तो ऐसे में क्या माना जाए. सवाल ये भी है कि इस बार का कोरोना वायरस किन कारणों से जांच में पकड़ में नहीं आ पा रहा है.

कोरोना वायरस का नए स्ट्रेन मरीजों की तकलीफ शुरुआती दिनों में नहीं बढ़ा रहा है. मरीजों को हल्का बुखार, थोड़ी सी खांसी और शरीर का ऑक्सीजन लेवल भी ठीक नजर आता है, लेकिन अचानक एक दिन स्थिति बिगड़ रही है और मरीज को अस्पताल ले जाने की नौबत आ रही है. इस बार के संक्रमण का असर क्या है. ये हमने डॉक्टर विवेक नांगिया से समझा.

कोरोना संक्रमण से फेफड़ों पर असर

डॉक्टर विवेक नांगिया ने बताया कि कोरोना संक्रमण से दोनों फेफड़ों में सफेद धब्बे दिखते हैं. सफेद धब्बे कोरोना संक्रमण की निशानी है. इलाज नहीं हुआ तो फाइब्रोसिस का डर रहता है. फाइब्रोसिस में बेकार के टिश्यू बन जाते हैं और ये टिश्यू सांस लेने में दिक्कत करते हैं.

कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की सबसे खतरनाक बात ये है कि ये फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है. नया स्ट्रेन 2-3 दिन में ही फेफड़ों को 50-70% संक्रमित कर देता है, जबकि पहली लहर में इसमें करीब 7 दिन का वक्त लगता था. इसी वजह से नए स्ट्रेन से ग्रसित मरीजों की मौतों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. जब तक संक्रमण का पता चलता है, तब तक मरीज के शरीर को काफी नुकसान हो चुका होता है. RT-PCR या सीटी स्कैन की रिपोर्ट आने में 24 से 36 घंटे लगते हैं, तब तक तो संक्रमण फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचा देता है.

नए स्ट्रेन का पता कैसे चलेगा

अब सवाल ये है कि अगर RT PCR टेस्ट में भी कोरोना संक्रमित होने की पहचान नहीं हो पा रही है तो नए स्ट्रेन का पता आखिर कैसे चलेगा. इस बार का वायरस सीधे फेफड़ों पर असर डाल रहा है कि इसलिए मुंह से या नाक से सैंपल लेने से निगेटिव रिपोर्ट आ रही है. नए स्ट्रेन का पता दो जांच से पता किया जा रहा है.

पहला तरीका है फेफड़ों का हाई रेजोल्यूशन सीटी स्कैन और दूसरा तरीका है कि ब्रोन्को-एल्वियोलर लैवेज यानी BAL टेस्ट. BAL टेस्ट में फेफड़ों के फ्लूड के जरिए वायरस की पहचान की जाती है.

पिछले साल कोरोना वायरस के संक्रमण काल में देश ने पूरी गंभीरता के साथ सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाया. मास्क को रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनाया, लेकिन कोविड-19 के केस कम होते हुए गंभीरता खत्म हो गई. यही वजह कि कोरोना वायरस का नया रूप लोगों को संभलने का मौका भी नहीं दे रहा है. डॉक्टर्स की सलाह है कि कोविड से बचाव का मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही है.

रिपोर्ट निगेटिव आने पर करवाएं ये जांच

अब आप समझ गए होंगे कि ये नया वेरिएंट कितना खतरनाक है, लेकिन अब आपको इसका समाधान बताते हैं. अगर आपको कोरोना है और रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो ऐसी स्थिति में आप दो चीजें कर सकते हैं.

पहला आप Chest का CT Scan करवा कर इस वायरस का पता लगा सकते हैं और दूसरा आप BAL नाम के एक दूसरे टेस्ट से भी इसका पता लगा सकते हैं. इस टेस्ट में एक स्कूप मुंह या नाक की नली से फेफड़ों में पहुंचाया जाता है और फिर नमूने लेकर उनकी जांच की जाती है. डॉक्टरों का कहना है कि इस प्रक्रिया से नए वेरिएंट की पहचान हो सकती है.

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