DNA ANALYSIS: Corona के इलाज में Vaccine का कॉकटेल कितना कारगर? जानिए क्या है ये नया प्रयोग
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DNA ANALYSIS: Corona के इलाज में Vaccine का कॉकटेल कितना कारगर? जानिए क्या है ये नया प्रयोग

Coronavirus Vaccine: आपने मिक्स जूस पिया होगा. उसमें लगभग सभी फलों का रस होता है, लेकिन सोचिए अगर मिक्स फ्रूट जूस की तरह ही कोरोना वायरस की भी एक ऐसी वैक्सीन आ जाए, जिसमें सभी वैक्सीन का थोड़ा-थोड़ा मिश्रण हो तो क्या होगा. कई देशों में अब इस पर रिसर्च शुरू हो गई है. 

DNA ANALYSIS: Corona के इलाज में Vaccine का कॉकटेल कितना कारगर? जानिए क्या है ये नया प्रयोग

नई दिल्ली: भारत में अब एक और वैक्सीन स्पुतनिक वी (Sputnik V) को मंजूरी मिल गई है और इस तरह हमारे देश में अब कोरोना की कुल तीन वैक्सीन्स हो गई हैं. पहली है कोविशील्ड, दूसरी है को-वैक्सीन और तीसरी है रूस की स्पूतनिक वी.

  1. Sputnik V को इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिल गई है, अब भारत में दो नहीं तीन वैक्सीन इस्तेमाल होंगी.
  2. भारत बायोटेक कंपनी एक महीने में को-वैक्सीन की 50 लाख डोज बना रही है.
  3. Serum Institute of India कोविशील्ड की 7 से 10 करोड़ डोज तैयार कर रहा है.
  4.  

Sputnik V​ को इमरजेंसी यूज की मंजूरी

इस वैक्सीन को ऐसे समय में इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिली है, जब भारत में वैक्सीन की कमी है. इसलिए अब हम इसी खबर का विश्लेषण करेंगे. सबसे पहले आपको वैक्सीन से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी देते हैं, जो इस पूरे विश्लेषण का आधार है.

भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है और 12 अप्रैल को 24 घंटे में देश में 1 लाख 68 हजार नए मरीज इससे संक्रमित हुए हैं. यानी भारत एक दिन में दो लाख नए मामलों की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. अब चुनौती ये है कि संक्रमण की रफ्तार तो बुलेट ट्रेन जैसी हो गई है, लेकिन वैक्सीन के उत्पादन की रफ्तार जरूरत के हिसाब से काफी धीमी है.

यानी किताबों में आप जो डिमांड और सप्लाई का नियम पढ़ते हैं, उसकी एंट्री इस विषय में हो गई है. वैक्सीन की डिमांड है लेकिन उसकी सप्लाई उतनी नहीं है और यही वजह है कि इससे कई राज्यों में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है.

वैक्सीन की कमी 

अभी पंजाब, छत्तीसगढ़, दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, झारखंड, असम और उत्तराखंड में वैक्सीन की कमी है और इन राज्यों में कुछ वैक्सीनेशन सेंटर्स बंद हो गए हैं.

यानी जिन लोगों का नंबर था, अब उन्हें इंतजार करना होगा. वैक्सीन की ये कमी तब देखने को मिल रही है, जब देश में एक नहीं दो दो वैक्सीन का उत्पादन हो रहा है. पहली है भारत की स्वदेशी को-वैक्सीन, जिसे हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी बना रही है और दूसरी है कोविशील्ड, जिसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी एस्ट्राजेनेका ने बनाया है, लेकिन भारत में इसका उत्पादन Serum Institute of India कर रहा है.

अभी भारत बायोटेक कंपनी एक महीने में को-वैक्सीन की 50 लाख डोज बना रही है और Serum Institute of India कोविशील्ड की 7 से 10 करोड़ डोज तैयार कर रहा है, लेकिन भारत की जरूरत इससे ज्यादा है और इसीलिए वैक्सीन मामलों की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने रूस की स्पुतनिक वी को मंजूरी दी है. यानी अब भारत में दो नहीं तीन वैक्सीन इस्तेमाल होंगी.

स्पूतनिक वी का Efficacy Rate  

बड़ी बात ये है कि Efficacy Rate के मामले में स्पूतनिक वी दूसरी सभी वैक्सीन्स पर भारी पड़ती है.

इसका Efficacy Rate 91.6 प्रतिशत है, जबकि भारत में बन रही कोविशील्ड का Efficacy Rate 79 प्रतिशत और को-वैक्सीन का 81 प्रतिशत है. किसी भी वैक्सीन का Efficacy Rate इससे पता चलता है कि ट्रायल के दौरान उससे कितने लोग सही हुए.

हालांकि ये सक्सेस रेट नहीं होता. सक्सेस रेट तभी पता चलता है कि जब ये ट्रायल के बाहर जाकर लोगों को लगाई जाती है.

भारत से पहले दुनिया के 59 देश रूस की इस वैक्सीन को मंजूरी दे चुके हैं और इन देशों में ये वैक्सीन लोगों को लगाई जा रही है. सबसे बड़ी बात ये है कि इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स लोगों पर काफी कम दिखे हैं और ये ज्यादा प्रभावी भी है.

इसके अलावा ये वैक्सीन अमेरिकी कंपनी फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन के मुकाबले काफी सस्ती है. इसकी दो डोज की कीमत 10 Dollar, लगभग 750 रुपये है.

भारत में अभी जो दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं, प्राइवेट अस्पतालों में उनकी दो डोज का खर्च 500 रुपये है. यानी एक डोज 250 रुपये की है. सरकारी अस्पतालों में ये वैक्सीन मुफ्त में लगाई जा रही है. हो सकता है कि स्पूतनिक वी पर सरकार सब्सिडी दे और अस्पतालों में इसकी एक डोज की कीमत भी 250 रुपये ही हो.

स्पूतनिक को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर करके रखना होता है. यानी इसे सामान्य रेफ्रिजरेटर में भी स्टोर किया जा सकता है और अगर आप स्पुतनिक वैक्सीन लगवाते हैं, तो इसकी दूसरी डोज, पहली डोज के 21 दिन बाद लगवानी होती है.

भारत में स्पुतनिक वी को मंजूरी मिलने के बाद ये भी कहा जा रहा है कि वैक्सीन बना रही दूसरी कंपनियों पर दबाव कम होगा क्योंकि, Serum Institute of India ने भारत सरकार के नीति आयोग को चिट्ठी लिख कर 3 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मांगी है. 

कंपनी का कहना है कि वो वैक्सीन की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए अलग से नई लैब विकसित करना चाहती है. इसके अलावा भारत बायोटेक ने भी भारत सरकार से 150 करोड़ रुपये मांगे हैं. कंपनी का कहना है कि वो 75-75 करोड़ रुपये अपनी हैदराबाद और बेंगलुरु की लैब पर खर्च कर उनकी क्षमता बढ़ाना चाहती हैं.

हालांकि सरकार ने सुरक्षा फंड के नाम से एक योजना शुरू की है, जिसके तहत 900 करोड़ रुपये वैक्सीन बना रही कम्पनियों को दिए जाएंगे और पहली फंडिंग की घोषणा इसी हफ्ते हो सकती है, जो 100 करोड़ रुपये तक की होगी.

हर महीने साढ़े 10 करोड़ वैक्सीन की डोज की जरूरत 

स्पूतनिक वी का इस्तेमाल शुरू होने से वैक्सीनेशन को नई रफ्तार मिलेगी. इस समय भारत को हर महीने साढ़े 10 करोड़ वैक्सीन की डोज की जरूरत है, लेकिन वो लगभग 7 करोड़ वैक्सीन ही बना पा रहा है. यानी साढ़े तीन करोड़ वैक्सीन की कमी हर महीने हो रही है और ये कमी स्पुतनिक वी से पूरी हो सकती है. भारत अगर चाहे को तो वो हर साल स्पूतनिक वी की 85 करोड़ डोज बना सकता है.

स्पूतनिक वी के बाद अब सबकी नजरें अमेरिकी कंपनी फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन पर भी हैं. इन दोनों कंपनियों की वैक्सीन का Efficacy Rate 90 प्रतिशत से ज्यादा है और इन दोनों कंपनियों में भारत में अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की अनुमित मांगी है और हो सकता है इस पर जल्द कोई बड़ा फैसला हो.

अगर भारत में वैक्सीनेशन की बात करें तो देश में अब तक 10 करोड़ 45 लाख वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी हैं, लेकिन कई राज्य सरकारें चाहती हैं कि भारत सरकार वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर अपनी शर्तें हटा लें और 25 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए भी ये उपलब्ध कराई जाए, तो क्या ऐसा मुमकिन है. इसे भी आज आपको समझना चाहिए.

मौजूदा स्थिति में ऐसा करना मुश्किल होगा क्योंकि, भारत को स्पुतनिक वी की एक साथ करोड़ों डोज नहीं मिलने वाली हैं. मुमकिन है अगले कुछ हफ्तों से ये आपके लिए उपलब्ध हो जाए,  लेकिन इसकी एक साथ करोड़ों डोज नहीं मिलने वाली हैं. इसके लिए अभी इंतजार करना होगा. इसके अलावा को-वैक्सीन और कोविशील्ड की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में भी समय लगेगा. ऐसे में हमारा देश अभी ऐसा नहीं कर सकता, लेकिन अगर राज्य सरकारें चाहें तो वो वैक्सीन की बर्बादी को गंभीरता से लेकर इस संकट को थोड़ा कम जरूर कर सकती हैं और इसमें आप भी मदद कर सकते हैं.

वैक्सीन की बर्बादी

वो ऐसे कि अभी कुछ जगहों पर वैक्सीन बर्बाद हो रही है और इसका कारण है Multi Dose Vial, जैसे एक वायल से कम से कम 10 या 20 लोगों को वैक्सीन दी जाती है. यानी एक वायल अगर खुल गया और उससे 20 लोगों को वैक्सीन देनी है और वैक्सीनेशन सेंटर पर सिर्फ 17 लोग हैं तो बाकी की 3 डोज नष्ट हो जाएंगी. इसीलिए अगर वैक्सीन लगवाने के लिए योग्य हैं, तो आप खुद को रजिस्टर जरूर कराइए क्योंकि, हो सकता है आपके हिस्से की वैक्सीन इस तरह बर्बाद हो रही हो.

हालांकि भारत में अभी लोगों को अलग-अलग श्रेणियों में बांट कर वैक्सीन लगाई जा रही है और ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा बुजुर्गों को माना जा रहा है, लेकिन अब जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, उससे ऐसा नहीं लगता.

भारत में अभी कोरोना वायरस से जो लोग सबसे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं, उनकी उम्र 45 वर्ष से कम है. अगर बात सिर्फ दिल्ली की करें तो दिल्ली में हर रोज कुल नए मामलों में से 65 प्रतिशत वो हैं, जिनकी उम्र 45 वर्ष से कम है.

और ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ भारत में देखने को मिल रहा है. अभी दुनिया में कोरोना से प्रभावित दूसरा सबसे बड़ा देश ब्राजील है. ब्राजील के अस्पतालों में जो मरीज ICU में हैं, उनमें 40 साल से कम उम्र के लोग ज्यादा हैं. इसकी दो बड़ी वजह बताई गई हैं. पहली ये कि युवाओं को नौकरी और दूसरे कामों के लिए बाहर ज्यादा जाना पड़ता है और दूसरा कारण है कि ब्राजील में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन, जिसे पी वन कहा जा रहा है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये स्ट्रेन ज्यादा संक्रामक है और ज्यादा खतरनाक भी है. इसीलिए ये स्ट्रेन ऐसे लोगों को भी अब अस्पताल पहुंचा रहा है, जो पूरी तरह स्वस्थ हैं और जिनकी उम्र ज्यादा नहीं है. ऐसे में अगर आपको लगता है कि आप जिम जाते हैं, स्वस्थ हैं और आपकी उम्र भी ज्यादा नहीं है इसलिए आपको कोरोना वायरस से खतरा नहीं है, तो ये सोच आपको बहुत नहीं बहुत बीमार कर सकती है.

वैक्सीन का कॉकटेल नया प्रयोग 

अब आपको वैक्सीन के कॉकटेल के बारे में बताते हैं. आपने मिक्स जूस पिया होगा. उसमें लगभग सभी फलों का रस होता है, लेकिन सोचिए अगर मिक्स फ्रूट जूस की तरह ही कोरोना वायरस की भी एक ऐसी वैक्सीन आ जाए, जिसमें सभी वैक्सीन का थोड़ा-थोड़ा मिश्रण हो तो क्या होगा. कई देशों में अब इस पर भी रिसर्च शुरू हो गई हैं. इसीलिए अब हम आपको वैक्सीन के कॉकटेल के बारे में बताते हैं.

इसे पूरे दुनिया Vaccine Remix कह रही है. आपने गानों के रीमिक्स सुने होंगे. ये वैक्सीन का रीमिक्स है और इसके तहत ब्रिटेन में ट्रायल भी शुरू हो गए हैं. वहां वैक्सीन की पहली डोज किसी और कंपनी की लगाई जा रही है और दूसरी डोज किसी और कंपनी की लगाई जा रही है. ब्रिटेन मे ही नहीं, जर्मनी में भी इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है. वहां 60 वर्ष से कम उम्र के लोगों को वैक्सीन की अलग अलग डोज लगाई जा रही है.

कुछ शोध में ऐसा दावा किया गया है कि अगर वैक्सीन की अलग अलग डोज लगाई जाएं, तो इसका इम्युनिटी सिस्टम पर गहरा प्रभाव होता है और चीन ने भी ऐसा माना है. चीन की वैक्सीन का Efficacy Rate ज्यादा नहीं है. इसलिए वो भी लोगों को अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन मिक्स करके लगा रहा है और इसीलिए हम इसे वैक्सीन का कॉकटेल कह रहे हैं.

अंतिम संस्कार के लिए भी लम्बा इंतजार

अब हम कुछ ऐसी तस्वीरों के बारे में बात करेंगे, जिन्हें देखकर आप कोरोना वायरस को गंभीरता से लेना शुरू कर देंगे. दिल्ली, गुजरात, छत्तीसगढ़ और झारखंड के श्मशान घाट से ऐसी कई तस्वीरें सामने आई हैं, जहां मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए भी लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है.

एक तरफ सड़कों पर लापरवाही की भीड़ है और दूसरी तरफ श्मशान घाटों पर इस लापरवाही की वजह से अंतिम संस्कार की भीड़ है. इनमें से कई लोग तो ऐसे हैं, जिनके अंतिम संस्कार में उनके अपने भी शामिल नहीं हुए. इन लोगों ने कोरोना वायरस के डर की वजह से अंतिम संस्कार में शामिल होने से इनकार कर दिया.

पहले किसी भी व्यक्ति की प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता था कि उसके अंतिम संस्कार में कितने लोग शामिल होते हैं. ज्यादा लोग आते थे तो ये माना जाता था कि उस व्यक्ति ने अपने जीवन में काफी कुछ हासिल कर लिया और उसकी आत्मा खुश होगी, लेकिन आज कोरोना वायरस की वजह से जीवन और मृत्यु की ये परंपराएं भी बदल गई हैं.

मृत्यु की ये कहानियां हम आपको इसलिए दिखा रहे हैं ताकि आप जीवन की कीमत पहचान पाएं. कोई महामारी आए या न आए, लेकिन पृथ्वी पर मौजूद 100 प्रतिशत लोगों का एक न एक दिन मरना तय है. यानी मृत्यु एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी आपके जन्म के साथ ही भविष्यवाणी की जा सकती है.

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