DNA ANALYSIS: फिट रहने के बाद भी क्यों आता है Heart Attack? ऐसे रखें हृदय का ख्याल
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DNA ANALYSIS: फिट रहने के बाद भी क्यों आता है Heart Attack? ऐसे रखें हृदय का ख्याल

European Football Championship के लिए खेले गए मैच के दौरान डेनमार्क के फुटबॉलर क्रिश्चियन एरिक्सन खेल के बीच में बेहोश हो गए. उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था कि उन्हें हार्ट अटैक आ सकता है. क्रिश्चियन एरिक्सन सिर्फ 29 साल के हैं. वो डेनमार्क की नेशनल फुटबॉल टीम के लिए 11 वर्षों से खेल रहे हैं.

DNA ANALYSIS: फिट रहने के बाद भी क्यों आता है Heart Attack? ऐसे रखें हृदय का ख्याल

नई दिल्ली: आज हम आपसे एक ऐसी खबर शेयर करना चाहते हैं, जिसमें चिंता और सीख दोनों छिपी है. दिल्ली से लगभग 6 हजार किलोमीटर दूर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में ए​क फुटबॉल मैच खेला गया. ये मैच 12 जून को डेनमार्क और फिनलैंड के बीच खेला गया था.

  1. हार्ट अटैक की एकमात्र वजह अनफिट होना नहीं है.
  2. हर दिन 75 मिनट दौड़ लगाने से हार्ट अटैक का खतरा 30 प्रतिशत तक कम होता है.
  3. इससे दिल की Coronary Arteries में किसी तरह का ब्लॉकेज नहीं होता.

खेल के बीच में बेहोश हो गए क्रिश्चियन एरिक्सन

European Football Championship के लिए खेले गए इस मैच के दौरान डेनमार्क के फुटबॉलर क्रिश्चियन एरिक्सन खेल के बीच में बेहोश हो गए थे. उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था कि उन्हें हार्ट अटैक आ सकता है, लेकिन अब डॉक्टरों ने इसकी पुष्टि कर दी है.

-क्रिश्चियन एरिक्सन सिर्फ 29 साल के हैं. वो डेनमार्क की नेशनल फुटबॉल टीम के लिए 11 वर्षों से खेल रहे हैं और अब तक अपने देश के लिए 109 मैच खेल चुके हैं.

-टीम में उनका रोल अटैकिंग मिडफिल्डर का है यानी एक ऐसे खिलाड़ी का, जो प्रतिद्वंद्वी टीम के डिफेंस ऑर्डर को तोड़कर फुटबॉल को स्ट्राइकर के पास पहुंचाता है.

-यानी इस तरह के रोल में एक खिलाड़ी के लिए फिटनेस के साथ मानसिक रूप से मजबूत होना भी जरूरी होता है.

फिट होने का पैमाना क्या है? 

मैच से पहले क्रिश्चियन एरिक्सन की तस्वीर देख कर कोई नहीं सकता था कि कुछ घंटे के बाद इसी ग्राउंड पर उन्हें हार्ट अटैक आएगा. लेकिन ऐसा हुआ और इस घटना ने ये सोचने पर मजबूर किया कि आखिर फिट कौन है? और फिट होने का पैमाना क्या है? 

सोचिए एक खिलाड़ी पूरी तरह स्वस्थ होता है, एक बड़े मैच में अपनी टीम की तरफ से खेलने के लिए ग्राउंड पर उतरता है और कुछ देर तक वो मैच में खेलता है. फिर अचानक उसे हार्ट अटैक आता है और वो बेहोश हो जाता है.

ये वाक्या यकीनन डरा देता है और इससे हम आज ये सोचने के लिए भी मजबूर हुए कि आखिर फिट कौन है?

फुटबॉलर्स को माना जाता है सबसे फिट

पूरी दुनिया में फुटबॉलर्स को सबसे ज्यादा फिट माना जाता है और इसकी कई वजह हैं. इसे आप कुछ आंकड़ों से समझिए-

बास्केटबॉल के एक मैच में एक खिलाड़ी औसतन 4.37 किलोमीटर भागता है.

अमेरिकन फुटबॉल के एक मैच में एक खिलाड़ी औसतन 2.01 किलोमीटर भागता है.

टेनिस के एक मैच में एक खिलाड़ी औसतन 3.62 किलोमीटर भागता है, लेकिन फुटबॉल के एक मैच में एक खिलाड़ी औसतन 11 से 15 किलोमीटर तक भागता है.

यहां समझने वाली बात ये है कि यूरोपियन फुटबॉल चैम्पियनशिप में 90 मिनट के मैच के दौरान सबसे ज्यादा भागने का रिकॉर्ड डेनमार्क के फुटबॉलर क्रिश्चियन एरिक्सन के ही नाम है.

वो 6 मैच में 78.186 किलोमीटर तक भाग कर रिकॉर्ड बना चुके हैं. इस हिसाब से 90 मिनट में वो 13.031 किलोमीटर भागे थे.

...तो हार्ट अटैक का खतरा 30 प्रतिशत तक कम 

WHO कहता है कि हर दिन 75 मिनट दौड़ लगाने से हार्ट अटैक का खतरा 30 प्रतिशत तक कम होता है और इससे दिल की Coronary Arteries में किसी तरह का ब्लॉकेज नहीं होता. Coronary Arteries ह्रदय में मौजूद वो धमनियां होती हैं, जो ह्रदय में ब्लड पहुंचाने का काम करती हैं और जब इन धमनियों में किसी तरह के स्पीट ब्रेकर आ जाते हैं, तब ह्रदय के कामकाज पर असर पड़ता है.

इन तमाम बातों का सार ये है कि एक फुटबॉलर सिर्फ खिलाड़ी नहीं होता, बल्कि वो सबसे ज्यादा फिट खिलाड़ी होता है. इस मामले में तो जिस खिलाड़ी को हार्ट अटैक आया, उसे टीम में सबसे ज्यादा फिट खिलाड़ी माना जाता था और उसके नाम पर कई रिकॉर्ड भी हैं.

एरिक्सन कभी फुटबॉल के ग्राउंड पर नहीं उतर पाएंगे...

इस घटना पर दुनिया के बड़े कार्डियोलॉजिस्ट ऐसा मानते हैं कि अब क्रिश्चियन एरिक्सन कभी फुटबॉल के ग्राउंड पर नहीं उतर पाएंगे. इसके अलावा ऐसी भी खबरें हैं कि इटली के मशहूर फुटबॉल Club Inter Milan से वो बाहर हो सकते हैं.

वर्ष 1982 में इटली में एक कानून आया था, जिसके तहत अगर किसी खिलाड़ी को दिल से जुड़ी कोई बीमारी है या वो स्क्रीनिंग में फेल हो जाता है तो वो किसी भी खेल में हिस्सा नहीं ले सकता.

इटली में जब ये क़ानून आया था, तब उससे पहले कुछ वर्षों में ऐसे कई स्पोर्ट्स इवेंट हुए, जिनमें खिलाड़ियों को हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई. इसके बाद से ही वहां खेल से पहले खिलाड़ियों के ह्रदय की जांच के लिए नियम बना दिए गए और महत्वपूर्ण बात ये है कि डेनमार्क के जिस खिलाड़ी को खेल के दौरान हार्ट अटैक आया, वो पहले इन सभी टेस्ट में पास हो चुका था.

ऐसे में आज आपके लिए ये समझना भी जरूरी है कि अपने हृदय का ख्याल कैसे रखें.

ऐसे रखें अपने हृदय का ख्याल

इसके लिए सबसे पहले आपको ये समझना होगा कि हार्ट अटैक की एकमात्र वजह अनफिट होना नहीं है. कई अध्ययनों के मुताबिक, किसी फिट व्यक्ति को भी हार्ट अटैक होने की कई वजहें हो सकती हैं. हालांकि अपनी फिटनेस का ध्यान रखकर आप इसकी आशंका को कम कर सकते हैं.

-भारत में हार्ट अटैक से मरने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच होती है. इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि अलग अलग उम्र के लोगों को अपने ह्रदय का ख्याल अलग अलग तरीकों से रखना चाहिए.

-बचपन से लेकर 20 वर्ष तक की उम्र में ह्रदय सबसे ज्यादा मजबूत होता है. इस उम्र में आप जितना खेलेंगे, कूदेंगे. आपके हृदय का स्वास्थ्य उतना ही अच्छा रहेगा, Cycling और व्यायाम के जरिए भी इस उम्र के लोग अपने ह्रदय को स्वस्थ बना सकते हैं.

-20 से 30 वर्ष की उम्र के लोगों को साइकलिंग, स्वीमिंग और रनिंग करनी चाहिए. आप ये सारे व्यायाम 30 वर्ष की उम्र के बाद भी कर सकते हैं.

-अगर आपने ये व्यायाम 35 या 40 वर्ष की उम्र के बाद शुरू किए हैं तो आप रनिंग और साइकलिंग न करें, बल्कि सुबह-शाम तेजी से वॉक करें और जिम में भी हल्के-फुल्के व्यायाम ही करें.

-21 से 40 वर्ष की उम्र ऐसी होती है जब आपको अपने स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा निवेश करना चाहिए. बैंक के फिक्स्ड डिपोजिट की तरह ये निवेश आपको बुढ़ापे में अच्छा रिटर्न देगा और आप बुढ़ापे में भी स्वस्थ रहेंगे.

-खुद को स्वस्थ रहने के लिए आपको बहुत ज्यादा एक्सरसाइज की नहीं, बल्कि रेगुलर एक्सरसाइज और स्वस्थ भोजन करने की जरूरत है. हालांकि भारत में लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते.

हर साल 17 लाख लोगों की मौत 

Indian Heart Association के मुताबिक, भारत में हर साल 17 लाख लोगों की मौत ​हृदय की बीमारियों की वजह से होती है. इनमें से 50 प्रतिशत हार्ट अटैक उन लोगों को आते हैं जिनकी उम्र 50 वर्ष से कम है, जबकि इनमें 25 प्रतिशत लोग 40 वर्ष से कम उम्र के होते हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, वर्ष 2030 तक भारत में हृदय रोगों की वजह से हर साल ढाई करोड़ लोगों की मौत होगी. सोचिए ये आंकड़ा ढाई करोड़ पहुंच जाएगा.

पिछले साल दिल्ली मुंबई और हैदराबाद, जैसे शहरों में एक स्टडी की गई थी जिसके मुताबिक, यहां रहने वाले 64 प्रतिशत लोगों को हृदय रोग होने का खतरा है और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है गलत लाइफस्टाइल.

-विशेषज्ञ मानते हैं कि 90 प्रतिशत से ज्यादा ह्रदय की बीमारियों के लिए धूम्रपान और शराब पीने जैसी बुरी आदतें जिम्मेदार हैं.

-यहां तक कि टेलीविजन, मोबाइल फोन या कंप्यूटर की स्क्रीन पर रोजाना 4 घंटे से ज्यादा समय तक बैठे रहने वाले लोगों में ह्रदय की बीमारी का खतरा 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

-कनाडा में हुई एक स्टडी के मुताबिक जंक फूड, ज्यादा नमक और ज्यादा तेल वाला खाना खाने वालों में दिल की बीमारियों का खतरा 35 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

​हृदय की मॉनिटरिंग जरूरी

अगर आप चाहते हैं कि आप का हृदय जीवन भर आपका साथ दे तो आपको भी ह्दय पर हाथ रखके ये कसम खानी होगी कि आप अपने हृदय का जीवन भर ख्याल रखेंगे. इसके लिए हम आपको कुछ टेस्ट बताते हैं, जिनकी मदद से आप अपने ह्रदय की मॉनिटरिंग कर सकते हैं.

सबसे पहले आप अपना फास्टिंग लि​पिड प्रोफाइल यानी ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं. इससे आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर का पता चल सकता है और इसका आपके हृदय के स्वास्थ्य से सीधा संबंध है.

दिल के स्वास्थ्य का हाल बताने वाला सबसे सामान्य टेस्ट है- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम,  इसे ECG भी कहा जाता है. ECG में दिल की धड़कन को विद्युत तरंगों के रूप में देखा जा सकता है. और इन्हीं तरंगों से दिल की बीमारी का पता लगाया जाता है.

एक और टेस्ट है- इकोकार्डियोग्राम, इसे आप ECHO Test के नाम से भी जानते हैं. इसमें हाई फ्रीक्वेंसी की ध्वनि तरंगों से आपके हार्ट के वाल्व और चैम्बर्स की तस्वीर बनाई जाती है और आपके हृदय की काम करने की क्षमता के बारे में पता चलता है.

हृदय की जांच के लिए ट्रेडमिल भी किया जाता है. इसके लिए मरीज को Treadmill पर चलना या दौड़ना होता है। शारीरिक परिश्रम के दौरान आपके हृदय पर तनाव के असर को रिकॉर्ड किया जाता है।

ये तीनों बेसिक टेस्ट हैं. इन टेस्ट के आंकड़ों से आपके दिल के बारे में प्रमुख जानकारियां मिल जाती हैं. अगर इन टेस्ट में कोई समस्या मिले तो एडवांस टेस्ट की जरूरत होती है. 35 से 40 वर्ष की उम्र के बाद ये सभी टेस्ट आपको हर वर्ष एक बार जरूर करवाना चाहिए. अगर आप मोटापे की समस्या से पीड़ित हैं, आपका ब्लड प्रेशर सामान्य से कम या ज्यादा रहता है और आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी अधिक हो तो आप अपने दिल का चेकअप 30 वर्ष की उम्र से पहले भी करवा सकते है.

इन खिलाड़ियों को भी दिल की बीमारी

अब हम आपको पांच प्रमुख खिलाड़ियों के नाम बताते हैं. इनमें पहले खिलाड़ी का नाम है- Marc-Vivien Foe, जो कैमरून देश की फुटबॉल टीम के खिलाड़ी थे.

जून 2003 में जब फ्रांस में कैमरून और कोलम्बिया की टीम आमने सामने थी और मैच शुरू हुए 72 घंटे बीत चुके थे, तभी वो खेल के बीच मैदान पर नीचे गिर गए और इसके बाद उनकी मौत हो गई. इस घटना के बाद पता चला था कि उनकी मौत का कारण दिल की बीमारी थी.

दूसरे खिलाड़ी का नाम है Antonio Puerta - वो एक स्पैनिश फुटबॉलर थे. मैच के दौरान उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था और इसके तीन दिन बाद अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया था. बड़ी बात ये है कि तब उनकी उम्र सिर्फ 22 वर्ष थी.

तीसरे खिलाड़ी का नाम है Phil O'Donnell, वो स्कॉटलैंड के बड़े प्रोफेशनल फुटबॉलर थे. लेकिन वर्ष 2007 में एक फुटबॉल मैच के दौरान हार्ट फेलियर की वजह से उनकी भी मौत हो गई. वो भी खेलते समय अचानक मैदान में गिर गए थे.

चौथे खिलाड़ी का नाम है Cristiano Junior, वो ब्राज़ील के सबसे सफल फुटबॉलर्स में से एक थे. अक्टूबर 2004 में जब वो भारत के एक Football Club Dempo की तरफ से खेल रहे थे, तब स्टेडियम में उनकी तबीयत बिगड़ गई थी. ऐसा कहा जाता है कि उस समय स्टेडियम में कोई डॉक्टर नहीं था, जिसकी वजह से उन्हें मदद नहीं मिली और उनकी मौत हो गई.समझने वाली बात है कि तब उनकी उम्र सिर्फ 25 वर्ष थी.

और पांचवें खिलाड़ी का नाम है Cheick Tiote,  वो ब्रिटेन के मशहूर Newcastle United का हिस्सा थे और China Football League में हिस्सा लेने वाले बड़े खिलाड़ियों में से एक थे. वर्ष 2017 में एक रेगुलर ट्रेनिंग सेशन के दौरान वो भी अचानक मैदान पर गिर गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी.

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