Farmers Protest: किसानों के आंदोलन का कल 44वां दिन था और अब तक सरकार और किसानों के बीच 8 बार बातचीत हो चुकी है. लेकिन किसी भी बैठक से सकारात्मक नतीजे निकल कर नहीं आए. यही वजह है कि अब ये पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट की तरफ जाता हुआ दिख रहा है.
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही है. बैठक में हिस्सा लेने वाले किसान नेता जहां कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे तो वहीं सरकार की तरफ से कहा गया कि वो कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है, लेकिन इन्हें रद्द नहीं किया जाएगा.
अब सरकार और किसान संगठनों के बीच अगली वार्ता 15 जनवरी को होगी. लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट में 11 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई होनी है. यानी अब ये पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट की तरफ जाता हुआ दिख रहा है.
इस बैठक की चार बड़ी बातें क्या हैं, पहले आप वो समझिए-
1. आज हुई बैठक में किसान नेता काफी नाराज दिखे. उन्होंने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को कहा, कि सरकार इस मामले को टालना चाहती है, इसका समाधान करना नहीं चाहती.
2. बैठक में अलग अलग संगठनों के 40 किसान नेता शामिल हुए, जिन्होंने तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग की. लेकिन सरकार ने इससे साफ इनकार कर दिया.
3. सरकार की तरफ से कहा गया कि अगर किसान कानूनों को रद्द करने के अलावा कोई और विकल्प देते हैं तो उस पर विचार किया जा सकता है. यानी सरकार संशोधन के लिए तैयार है, लेकिन कानूनों को वापस लेने का उसका कोई इरादा नहीं है.
4. हालांकि बैठक में कोई समाधान नहीं निकलते देख कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ये भी कहा कि अब इस मामले पर फैसला सुप्रीम कोर्ट करे तो बेहतर है. लेकिन किसानों ने इस पर सरकार का विरोध किया.
अगर सरल शब्दों में इसे समझें तो सरकार ऐसा चाहती है कि अब सुप्रीम कोर्ट ही इस मामले में बीच का रास्ता निकाले और किसान चाहते हैं कि कानून सरकार लाई है, इसलिए इस पर फैसला भी उसी का हो और इन तीनों कानूनों को वापस लिया जाए.
सरकार चाहती है कि इस मामले का निपटारा सुप्रीम कोर्ट करे और शायद इसीलिए किसान नेताओं और सरकार के बीच अगली वार्ता का समय 15 जनवरी को रखा गया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर 11 जनवरी को सुनवाई होनी है.
किसानों के आंदोलन का कल 44वां दिन था और अब तक सरकार और किसानों के बीच 8 बार बातचीत हो चुकी है. लेकिन किसी भी बैठक से सकारात्मक नतीजे निकल कर नहीं आए. यही वजह है कि अब ये पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट की तरफ जाता हुआ दिख रहा है.