DNA ANALYSIS: चीन के 'अहंकार' पर भारतीय सेना के 'प्रहार' का विश्लेषण
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DNA ANALYSIS: चीन के 'अहंकार' पर भारतीय सेना के 'प्रहार' का विश्लेषण

चीन ने ये मान लिया कि भारत के सैनिकों ने चीन के सैनिकों को उस इलाके में घुसकर सबक सिखाया. जहां उन्होंने अवैध कब्जा किया हुआ था. 

DNA ANALYSIS: चीन के 'अहंकार' पर भारतीय सेना के 'प्रहार' का विश्लेषण

नई दिल्ली: 15 जून की रात गलवान घाटी में भारत ने चीन की सेना को उसी की भाषा में जवाब दिया. जिसका नतीजा ये हुआ कि चीन बुरी तरह से तिलमिला गया. यहां आपको चीन के विदेश मंत्रालय के कुछ बयानों को भी याद करना चाहिए. पहले 16 जून को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सेना ने LAC का उल्लंघन किया और इसी उल्लंघन के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई.  फिर 18 जून को जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से फोन पर बात की तब भी चीन ने अपना यही आरोप दोहराया. इसके  बाद चीन ने LAC का उल्लंघन करने वाले भारतीय सैनिकों पर एक्शन की भी मांग की. 

18 जून को चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान दिया कि भारत की अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने दोनों सेनाओं के कमांडर स्तर की बैठक में बनी आम सहमति का उल्लंन किया. गलवान घाटी में स्थिति सामान्य हो गई थी लेकिन भारतीय सैनिकों ने एक बार फिर LAC पार करके उकसावे वाली कार्रवाई की. जो चीनी अधिकारी और सैनिक बातचीत करने गए थे उनपर हमला किया. इसी वजह से झड़प हुई और लोग हताहत हुए. 

चीन का ये आरोप इसलिए भी झूठा है क्योंकि भारत की सेना वहां चीन के सैनिकों के साथ हाथापाई करने नहीं गई थी बल्कि सिर्फ उन्हें उनके वादे की याद दिलाने गई थी. लेकिन चीन के सैनिकों ने अचानक हमला कर दिया और फिर भारत के सैनिकों ने भी चीन के सैनिकों को अपना रौद्र रूप दिखा दिया. लेकिन इससे एक बात तो साफ है कि चीन ने ये मान लिया कि भारत के सैनिकों ने चीन के सैनिकों को उस इलाके में घुसकर सबक सिखाया. जहां उन्होंने अवैध कब्जा किया हुआ था. इससे पहले कुछ लोग ये सोच रहे थे कि चीन भारत में घुस आया है और उसकी सेना ने भारत के 20 सैनिकों को मार डाला है. इसके बाद इन लोगों ने इस बात पर तालियां बजानी शुरू कर दीं, जश्न मनाना शुरू कर दिया. लेकिन भारतीय सेना ने जो किया उसने इन लोगों के जश्न पर पानी फेर दिया और जो लोग ये सोचकर खुश थे कि ये भारत की हार है वो लोग आज बहुत दुखी हैं.

अब सोचने वाली बात ये है कि सीमा पर भारत की तरफ से भारत का कोई नेता नहीं बल्कि भारत की सेना लड़ रही है और ये लोग सेना की हार में भी अपनी जीत देख रहे हैं. जब हमने आपको ये बताया था कि चीन की सेना कितनी कमजोर है तो इन सभी लोगों को ये सुनकर बहुत गुस्सा आया और इन लोगों ने एक बार हमारे साथ भी दुश्मनी निकालना शुरू कर दिया. लेकिन 15 जून की रात को गलवान घाटी में जो हुआ वो इस बात का सबूत है कि चीन की सेना वाकई कितनी कमजोर है और भारत की सेना कितनी शक्तिशाली है. ये प्रमाण, सबूत गैंग के लिए किसी सदमे से कम नहीं है और अब ये लोग चाहें तो आज रात भर चीन की कमजोर सेना की हार का दुख मना सकते हैं.

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यहां एक और बात समझने वाली है और वो ये है कि इन सभी लोगों ने चीन के हमले की खबर सुनकर भारत की सरकार और सेना पर तो जमकर कटाक्ष किए. लेकिन चीन के खिलाफ इन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा. इनमें से किसी ने आज तक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आलोचना नहीं की. जाहिर है इनमें दो तरह के लोग शामिल हैं. एक वो जो अंग्रेजों को अपना वैचारिक पूर्वज मानते हैं और जिनके लिए भारत की जमीन का अतिक्रमण खुशी की बात है और दूसरे वो लोग हैं जो चीन के नेताओं को अपना वैचारिक पूर्वज मानते हैं और जिनके लिए चीन की जीत में ही उनकी जीत छुपी है. इसलिए आपको इन दोनों तरह के लोगों से बचकर रहना चाहिए.

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साफ किया था कि चीन ने भारत की किसी पोस्ट पर कब्जा नहीं किया है. ये भारत के प्रधानमंत्री का वो भरोसा था, जिसपर पूरे देश को यकीन होना चाहिए. लेकिन अफसोस इस बात का है कि हमारे ही देश में कुछ लोग अपनी ही सेना से सबूत मांगते हैं और सेना के पराक्रम पर यकीन नहीं करते. 

इस पूरे मामले का निष्कर्ष क्या है- इसे आप चार बड़ी बातों से समझ सकते हैं-
पहली बात ये कि भारत के सैनिकों ने जिस तरह से चीन को उसके ही घर में घुसकर मारा है. उनके कमांडिंग अफसर को बंधक बनाया, वो भारत की सेना की वीरता की वो कहानी है, जो इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी. भारत के सैनिकों ने उन लोगों को भी जवाब दे दिया, जो ये कह रहे थे कि चीन ने भारत को उसके घर में घुसकर मारा.

दूसरी बात ये है कि पहली बार भारतीय सेना ने किसी छोटी लड़ाई में ही चीन के एक दो सैनिक ही नहीं, चीन के 40 से 50 सैनिकों को मार गिराया और चीन की सेना के एक कर्नल को भी बंधक बना लिया. अब सोचिए कि अगर चीन के साथ पारंपरिक युद्ध हो जाए, तो भारत के सैनिक चीन का क्या हाल करेंगे. भारत ने चीन को उस मनोवैज्ञानिक युद्ध में भी हरा दिया है, जिस मनोवैज्ञानिक युद्ध से चीन बिना लड़े भारत से जीतना चाहता है.

तीसरी बड़ी बात ये है कि अब तक चीन के सैनिक हमारी सीमा में अतिक्रमण करते थे और भारतीय सेना उन्हें रोकने की कोशिश करती थी, लेकिन इस बार भारत के सैनिकों ने चीन के सैनिकों के अतिक्रमण को रोकने के साथ-साथ, अतिक्रमण करने वाले चीन के सैनिकों को जीवन भर के लिए सबक सिखा दिया. भारत ने सीधा संदेश दिया है कि चीन की घुसपैठ अब स्वीकार नहीं. ना हम आतंकवाद बर्दाश्त करेंगे ना अतिक्रमण बर्दाश्त करेंगे. 

चौथी बड़ी बात ये है कि भारतीय सेना ने चीन के उस भ्रम को भी तोड़ दिया, जिसमें चीन एशिया की नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होने का सपना देखता है. चीन को ये समझ लेना चाहिए कि कोई भी देश सिर्फ हथियारों के बल पर ताकतवर नहीं हो सकता. युद्ध के मैदान में उसी को विजय मिलेगी, जो शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत होंगे और भारत की सेना इस मामले में चीन से कहीं ज्यादा ताकतवर है. ये बात गलवान घाटी में हमारे सैनिकों की वीरता ने साबित कर दी है.

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