आप सभी को याद होगा 2020 में कोरोना की वजह से धार्मिक स्थलों को बंद करना पड़ा था. लेकिन जिस तरह मंदिरों में भीड़ बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के दिखी, ऐसा लगता है जैसे कोरोना वायरस की एक्सपायरी डेट 31 दिसंबर 2020 थी.
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नई दिल्लीः कुछ दिनों पहले तक पार्टी करने और मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारों में जाकर प्रार्थना करने तक के तरीके बदल गए थे. सब लोग सोशल डिस्टेंसिंग पालन कर रहे थे. लेकिन अब ऐसा लगता है कि साल के बीतते ही पार्टी और प्रार्थनाओं की पुरानी परंपरा वापस लौट आई है.
नया घर, नई गाड़ी, नया निवेश या फिर नई नौकरी की शुरुआत. हम सभी के जीवन में जब कुछ नया होता है, तब हम भगवान को ज़रूर याद करते हैं. हम इन्हें नए साल में प्रवेश का गेटवे मान लेते हैं और सोचते हैं कि नए साल के साथ सबकुछ बदल जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं होता. इसे आप 1 जनवरी को देशभर के मंदिरों के बाहर लगी लाइनों से समझिए.
दिल्ली के साईं बाबा मंदिर और झंडेवालान मंदिर में लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को भुला दिया. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भी हज़ारों लोग बिना मास्क लगाए पहुंचे और पटना के हनुमान मंदिर में दर्शन के दौरान लोग दो गज की दूरी को भी भूल गए.
हम सभी की आस्था का सम्मान करते हैं. लेकिन हमें ये याद रखना ज़रूरी है कि कोरोना वायरस का ख़तरा अभी टला नहीं है. वर्ष 2021 दवाई के साथ कड़ाई का भी साल है.
आप सभी को याद होगा 2020 में कोरोना की वजह से धार्मिक स्थलों को बंद करना पड़ा था. लेकिन जिस तरह मंदिरों में भीड़ बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के दिखी, उसे देखकर लगता है कि लोगों ने साल बदलने के साथ सुरक्षा के संस्कार भी बदल लिए हैं.
मंदिरों की भीड़ देख कर ऐसा लगता है जैसे कोरोना वायरस की एक्सपायरी डेट 31 दिसंबर 2020 थी.
हमें ये याद रखना है कि सिर्फ़ तारीख़ बदली है. जैसे 30 नवंबर के बाद 1 दिसंबर आया था, उसी तरह 31 दिसंबर के बाद 1 जनवरी की तारीख आई है.
देश में कोरोना के 2 लाख 54 हजार एक्टिव केस हैं. कुछ दिन पहले ही ब्रिटेन से 70 प्रतिशत तेज़ी से फैलने वाला वायरस का नया स्ट्रेन भारत आ गया है. ऐसे में सावधानी सबसे ज़रूरी है.