शरण देने वाले देशों में इस्लामिक कट्टरपंथ बड़ी चुनौती, जानिए कैसे खतरा बने शरणार्थी
Advertisement
trendingNow1978965

शरण देने वाले देशों में इस्लामिक कट्टरपंथ बड़ी चुनौती, जानिए कैसे खतरा बने शरणार्थी

New Zealand ISIS Knife Attack: कई देशों ने अफगान शरणार्थियों को शरण देने से मना कर दिया. टर्की तो शरणार्थियों को रोकने के लिए 295 किलोमीटर लंबी दीवार भी बना रहा है.

न्यूजीलैंड में चाकू से हमला.

वेलिंग्टन: अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की जीत को दुनियाभर की कट्टरवादी इस्लामिक ताकतें अपनी जीत मान रही हैं. अल कायदा और ISIS जैसे आतंकवादी संगठन जश्न मना रहे हैं और कह रहे हैं कि ये तो बस एक शुरुआत है. वो उन सब देशों में जहां-जहां मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं इसी तरह का जेहाद शुरू करेंगे. दुनिया के बड़े-बड़े देश खासतौर पर पश्चिमी देश चुपचाप ये सबकुछ होते हुए देख रहे हैं और वो शायद इस गलतफहमी में हैं कि इस आग की लपटें वहां तक नहीं पहुंचेंगी. लेकिन आतंकवाद की ये आग दुनिया में कहीं भी किसी भी कोने में पहुंच सकती है.

  1. इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा से बढ़ी मुश्किल
  2. दुनिया में हैं कुल 2 करोड़ 64 लाख शरणार्थी
  3. फ्रांस गिने-चुने लोगों को देगा शरण

New Zealand में आतंकी हमला

शुक्रवार को New Zealand के Auckland शहर के एक Supermarket में ISIS के एक आंतकवादी ने लोगों पर चाकू से हमला कर दिया. इस हमले में 6 लोग घायल हो गए, जिनमें तीन की हालत अब भी काफी गंभीर है. आप इस हमले का 20 सेकंड का ये वीडियो देखिए, जो आपको ये बताएगा कि आतंकवाद किसी एक देश की समस्या नहीं है. ये पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है.

ये भी पढ़ें- तालिबान अफगानिस्तान में नहीं बना पा रहा सरकार, जानिए क्या है वजह

हाथ फैलाकर आए शरणार्थी बने हत्यारे

New Zealand की सुरक्षा एजेंसियों ने इस आतंकवादी का नाम तो नहीं बताया है लेकिन ये हमलावर वर्ष 2011 में श्रीलंका से New Zealand आया था. यानी ये एक शरणार्थी था. लेकिन बाद में वर्ष 2016 में इसने आतंकवादी संगठन ISIS को Join कर लिया. आज से कुछ साल पहले तक दुनिया के जिन भी देशों ने अपने यहां शरणार्थियों को जगह दी, वहां अब इस्लाम और दूसरे धर्मों के बीच टकराव है और इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा भी इन देशों के लिए एक चुनौती बन गई है.

शरणार्थी बने चुनौती

2020 में दुनिया में कुल 2 करोड़ 64 लाख शरणार्थी थे. ये संख्या इतनी है कि इसमें New Zealand जैसे पांच देश बन सकते हैं. इन 2 करोड़ 64 लाख शरणार्थियों में से भी 50 प्रतिशत से ज्यादा शरणार्थी अफगानिस्तान, इराक और सीरिया जैसे मुस्लिम देशों के हैं, जहां जेहाद के नाम पर संघर्ष चल रहा है. यूरोप समेत कई देशों ने कुछ साल पहले तक इन शरणार्थियों को बड़ा दिल दिखाते हुए अपने यहां जगह दी लेकिन बाद में ये शरणार्थी उनके लिए बड़ी चुनौती बन गए.

ये भी पढ़ें- तालिबान ने किया पंजशीर घाटी पर कब्जे का दावा? अमरुल्ला सालेह ने किया खारिज

उदाहरण के लिए फ्रांस में आज से कई साल पहले हजारों मुस्लिम शरणार्थियों को शरण दी गई. लेकिन कुछ सालों के बाद इन लोगों ने अलग शिक्षा और पूजा पद्धति के अधिकार की मांग शुरू कर दी. लोगों ने अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने की जगह घरों में मदरसा शिक्षा देना शुरू कर दिया और फ्रांस में इस वजह से धार्मिक उन्माद बढ़ गया. इस स्थिति से निपटने के लिए फ्रांस को इसी साल नया कानून भी लाना पड़ा.

यूरोप की तरह New Zealand और ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसा ही हुआ. 2019 में New Zealand के Christchurch में मस्जिदों पर हमले हुए थे, जिसके बाद पता चला था कि वहां भी अब इस्लाम और ईसाई धर्म के लोगों के बीच टकराव बढ़ गया है. आज ये सभी देश मुस्लिम देशों के शरणार्थियों से इतना डर गए हैं कि उनके लिए नियम कड़े कर दिए हैं.

जैसे दक्षिण अफ्रीका ने कहा है कि वो अफगान शरणार्थियों को अपने देश में जगह नहीं देगा. फ्रांस ने कहा है कि वो अब गिने-चुने लोगों को ही शरण देगा और इन लोगों की भी जांच की जाएगी. Russia तालिबान का साथ जरूर दे रहा है, लेकिन अफगान शरणार्थियों को अपने देश में जगह देने से उसने साफ इनकार कर दिया है. Switzerland ने भी कुछ ही शरणार्थियों को आने देने की बात कही है और Turkey तो एक मुस्लिम देश होते हुए भी अपने देश में शरणार्थियों को आने से रोकने के लिए 295 किलोमीटर लंबी दीवार बना रहा है.

इन देशों के इस रुख की सबसे बड़ी वजह इस्लामिक कट्टरवाद ही है. हालांकि इन देशों को आज भी लगता है कि शरणार्थियों को रोक कर ये ऐसी ताकतों से बच सकते हैं. जबकि सच ये है कि इसकी आग दुनिया में कहीं भी पहुंच सकती है.

LIVE TV

Trending news