DNA ANALYSIS: तिब्बत में चीन की क्रूरता के 61 साल
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DNA ANALYSIS: तिब्बत में चीन की क्रूरता के 61 साल

तिब्बत पर कब्जा करने के बाद वहां के लोगों के साथ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और वहां की सेना ने पिछले 61 वर्ष में अत्याचार किए.

DNA ANALYSIS: तिब्बत में चीन की क्रूरता के 61 साल

नई दिल्ली: चीन का असली चेहरा क्या है, उसकी सच्चाई क्या है, ये सब जानते हैं, लेकिन उसने अपने पैसे की ताकत से अधिकतर देशों का मुंह बंद कर दिया है. आज हम आपको ये बताएंगे कि जो लोग चीन की विस्तारवादी नीतियों का शिकार होते हैं, उनके साथ क्या क्या होता है?

तिब्बत पर कब्जा करने के बाद वहां के लोगों के साथ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और वहां की सेना ने पिछले 61 वर्ष में जिस तरह के अत्याचार किए, आज हम आपको उसकी सबसे सच्ची और सबसे बड़ी गवाही के बारे में बताएंगे. Zee News की टीम लगातार लद्दाख से रिपोर्टिंग कर रही है, और इस रिपोर्टिंग में हम उस गांव तक पहुंचे, जहां तिब्बत से भागकर आए शरणार्थी वर्षों से रहते हैं.

लद्दाख में मौजूद तिब्बत के इन लोगों ने बताया कि पहले चीन ने तिब्बत के लोगों को राशन और पैसे दिए, फिर उनकी जमीन हड़प ली, उनकी संस्कृति, पूजा पद्धति और धर्म को नष्ट करने में पूरा जोर लगा दिया. चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी वैसे भी धर्म को अफीम मानती है. इसलिए उसे तिब्बत का धार्मिक रूप पसंद नहीं आया.

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वहां पर लामाओं को जान से मार दिया गया, नागरिकों को पूजा करने से रोका गया. बौद्ध मठों को तोड़ दिया गया. चीन के सैनिकों ने तिब्बती महिलाओं के साथ बलात्कार किए और जो भी लोग विरोध करते थे, उनकी हत्या कर दी जाती थी या फिर उन्हें जेल में डाल दिया जाता था. इन अत्याचारों की वजह से तिब्बत के लाखों लोग वहां से भागकर भारत आ गए.

हमने तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति Lobsang Sangay से भी बात की है, उन्होंने बताया कि कैसे आज भी चीन और वहां की सेना, तिब्बत में अत्याचार कर रही है. इसलिए अब आपको तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति की और वहां से आए शरणार्थियों की दर्द भरी कहानी जाननी और समझनी चाहिए.

देखें ज़ी न्यूज़ की ग्राउंड रिपोर्ट

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