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नई दिल्ली: डीएनए (DNA) में अब इस बात का विश्लेषण कि भारत (India) में लोग नकल करके क्यों पास होना चाहते हैं और फिर रिश्वत के दम पर नौकरियां क्यों लेना चाहते हैं? हम ये सवाल भी उठा रहे हैं कि हमारे देश के लोग नकल करने की बजाय परिश्रम क्यों नहीं करना चाहते और क्यों अब नकल और धोखेबाजी एक राष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है?
2021 के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (Global Innovation Index) में भारत 132 देशों में 46वें नंबर पर है. इनोवेशन का मतलब होता है किसी नई चीज की खोज. भारत इस रैंकिंग में काफी पीछे है लेकिन नकल के मामले में भारत के लोग नई-नई खोज कर रहे हैं. इसमें नई खोज है ब्लूटूथ चप्पल (Bluetooth Chappal). इस चप्पल के अविष्कार का पता राजस्थान में शिक्षक पात्रता परीक्षा (Rajasthan Eligibility Examination for Teachers) के दौरान चला.
इसी परीक्षा के दौरान अजमेर (Ajmer) के एक सेंटर का उम्मीदवार ब्लूटूथ चप्पल पहनकर परीक्षा दे रहा था. इस चप्पल के सोल में एक सिम कार्ड (Sim Card) समेत पूरा मोबाइल फोन फिट किया गया था. इस कैंडिडेट ने कानों में एक छोटा Blue Tooth Device लगा रखा था, जो चप्पल में छिपे मोबाइल से कनेक्ट था. इसी की मदद से ये व्यक्ति बाहर खड़े एक ऐसे व्यक्ति की आवाज सुन पा रहा था जो पेपर हल करने में इसकी मदद कर रहा था.
पुलिस को इसकी सूचना पहले ही मिल गई थी और जब इसी आधार पर इस व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई तो Bluetooth चप्पल के जरिए नकल कराने वाले एक पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हो गया. इसके साथ ही बीकानेर और सीकर से भी इन Bluetooth slippers के ज़रिए नकल करने वाले और नकल कराने वाले करीब 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस का कहना है कि इन चप्पलों को दिल्ली में तैयार किया जाता है और इन्हें परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों ने 6 लाख रुपये देकर खरीदा था. आप सोचिए रीट की परीक्षा वो लोग देते हैं जो टीचर बनना चाहते हैं. इन पर छात्रों को पूरी ईमानदारी से पढ़ाने की जिम्मेदारी होती है. इनसे उम्मीद की जाती है कि ये छात्रों को नकल से रोकेंगे. लेकिन यहां पर पकड़े गए लोग टीचर बनने से पहले चीटर (Cheater) बन गए. विडंबना है कि अंग्रेजी के इन दोनों शब्दों को थोड़ा सा आगे पीछे करने से Teacher शब्द Cheater बन जाता है और Cheater शब्द Teacher हो जाता है.
नकल एक गंभीर मुद्दा है लेकिन राजस्थान में जो हुआ वो किसी मजाक से कम नहीं है. पुलिस के मुताबिक इस चप्पल का अविष्कार करने वाला व्यक्ति बीकानेर में एक कोचिंग सेंटर का मालिक है और इन चप्पलों की सप्लाई और मार्केटिंग करने वालों में पुलिस का एक सब इंस्पेक्टर (Sub Incpector) भी शामिल है जो फिलहाल निलंबित चल रहा है.
यानी एक टीचर नकल कराने वाले उपकरणों का अविष्कार करने लग गया. एक पुलिस इंस्पेक्टर इसे रोकने की बजाय इन उपकरणों की मार्केटिंग करने लगा और इसके उपभोक्ता वो लोग बन गए जो खुद भविष्य में टीचर बनना चाहते हैं.
कुछ लोग नकल करके परीक्षा में पास होना चाहते हैं तो कुछ लोग ईमानदारी से परीक्षा देना चाहते हैं. लेकिन कई बार भाग्य और सिस्टम इनका साथ नहीं देता. ऐसा इसी परीक्षा में शामिल होने आई एक महिला उम्मीदवार के साथ हुआ. ये महिला सीकर के परीक्षा केंद्र पर 10 मिनट पहले पहुंच गई थी लेकिन वहां मौजूद गार्ड ने कहा कि वो गलत गेट पर है. उसे दूसरे गेट से जाना होगा. दूसरा गेट दूर था इसलिए वो महिला दूसरे गेट पर प्रवेश के समय से पांच मिनट लेट पहुंची. इस वजह से उसे अंदर नहीं जाने दिया गया. ये उम्मीदवार रोती रही अंदर जाने देने के लिए हाथ जोड़ती रही. लेकिन गेट पर खड़े गार्ड नहीं माने.
राजस्थान में ये परीक्षा 3 वर्षों के बाद आयोजित की गई थी और इसमें 6 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए. इस दौरान पूरे राजस्थान में सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक इंटरनेट बंद कर दिया गया ताकि छात्र नकल ना कर सकें और कोई Paper Leak होने की Fake News ना फैला सके. इतना ही नहीं जिन महिला उम्मीदवारों ने लंबी बाज़ू के सलवार सूट या कुर्तियां पहन रखी थी. उनकी कुर्तियों की बाज़ुओं को भी कैंची से काट दिया गया और हाथों में पहनी गई चूड़ियां और धागे भी उतरवा दिए गए. ये सब नकल रोकने के लिए किया गया.
लेकिन इसके बावजूद नकल करने के ऐसे-ऐसे तरीके ढूंढ लिए गए कि जेम्स बॉन्ड (James Bond) पर फिल्में बनाने वालों को भी शर्म आ जाए. आपको याद होगा कि एक जमाने में जब बच्चे ढंग से पढ़ाई नहीं करते थे तो माएं अक्सर उन्हें चप्पल फेंककर मारती थीं और ये कहती थी कि तुम तो नकल करके भी पास नहीं हो सकते क्योंकि नकल के लिए भी अकल चाहिए. लेकिन आज के बच्चे कह रहे हैं कि मां, नकल के लिए अकल नहीं सिर्फ ब्लूटूथ वाली चप्पल ही काफी है.
यहां गंभीर विषय ये है कि भारत के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले 30% टीचर्स के पास इसके लिए जरूरी योग्यता और ट्रेनिंग ही नहीं है. राजस्थान में बिना प्रशिक्षण पाए शिक्षक (Untrained Teachers) की संख्या 15% है.
नकल का चरित्र समझने के लिए अब आप बिहार की वो 6 वर्ष पुरानी तस्वीरें देखिए. जिसने भारत को पूरी दुनिया में बदनाम कर दिया था. तब परीक्षा केंद्रों की दीवारों पर चढ़कर छात्रों को नकल की पर्चियां पकड़ाई जा रही थी. ऐसी ही तस्वीरें बिहार से वर्ष 2017 में भी आई थी.
अब सोचने वाली बात ये है कि जो लोग इतना दिमाग लगाकर नकल करने के उपकरण बनाते हैं और जो लोग लाखों रुपये देकर इन्हें खरीदते हैं वो अगर थोड़ी सी मेहनत कर लें तो शायद बिना नकल के ही पास हो जाए. लेकिन भारत के लोगों को हर जगह शॉर्ट-कट (Short Cut) चाहिए. उन्हें मेहनत करने से बचना है इसी वजह से भारत में परीक्षा पास करने के बाद भी लोगों को नौकरियां नहीं मिल पाती.
आंकड़ों के मुताबिक भारत में 53% ग्रेजुएट (Graduates), 80% इंजीनियर्स और 46% (एमबीए छात्र) MBA Students नौकरी के काबिल ही नहीं है. रिश्वत के दम पर कई बार भारत में अयोग्य लोग नौकरियों में आ जाते हैं फिर ये लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं और ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहता है.
वर्ष 2018 में भारत के राष्ट्रपति भवन में माली के पदों पर नियुक्तियां हुई थी. इनमें से करीब 5 लोग ऐसे थे जिन्होंने फर्जी कागजात के दम पर वो नौकरी हासिल की थी. हालांकि बाद में इन्हें बर्खास्त कर दिया गया था.
दो साल पहले गुजरात हाईकोर्ट में चपरासी के 1100 पदों के लिए आवेदन मंगाए गए थे. इसके लिए एक लाख 60 हजार लोगों ने आवेदन किया था और इनमें बड़ी संख्या में Graduates, डॉक्टर्स और PHD धारक भी शामिल थे. इसी तरह वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश में चपरासी के 62 पदों के लिए आवेदन मंगाए गए थे इसके लिए 93 हजार लोगों ने Apply किया था जिनमें से 3700 पीएचडी (PHD) धारक थे. भारत में कुछ लोग आज भी नकल के दम पर टीचर, डॉक्टर और इंजीनियर तक बन जाते हैं. वहीं कुछ लोगों को उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद चपरासी की नौकरी भी नसीब नहीं होती.
कुल मिलाकर फर्रों पर प्रश्नों के उत्तर लिखकर की जाने वाली नकल अब नए जमाने में Bluetooth और मोबाइल फोन के इस्तेमाल तक पहुंच गई है. ये बात भारत के लोगों की नैतिकता के बारे में बताती है. क्योंकि ये नकल यानी चीटिंग सिर्फ परीक्षाओं तक सीमित नहीं है.
लोगों के साथ इंटरनेट के जरिए Fraud करने के मामले में भारत पूरी दुनिया में नाइजीरिया के बाद दूसरे नंबर पर है. Fake News फैलाने के मामले में भारत पहले नंबर पर है. भारत में लोग रिश्तों के साथ भी धोखाधड़ी यानी चीटिंग करने से पीछे नहीं हटते.
भारत में 5 लाख लोगों पर किए गए एक सर्वे में 55 % पुरुषों ने और 56 % महिलाओं ने ये बात मानी थी कि उन्होंने अपने जीवन साथी के साथ कभी ना कभी चीटिंग की है यानी उसे धोखा दिया है. यानी Honesty Is The Best Policy जैसी बातें भारत में किताबों से बाहर नहीं निकल पाती और असल जीवन में लोग परीक्षा से लेकर प्रेम तक के मामले में चीटिंग करने को गलत नहीं समझते. जीवन में चाहे आपको परीक्षा देनी हो या प्रेम के रास्ते पर आगे बढ़ना हो आपको हर जगह परीश्रम करना पड़ता है.