DNA: NCR का प्रदूषण EVEN, पॉलिटिक्स का 'प्रदूषण' ODD! प्रदूषण के खिलाफ जंग.. जुगाड़ से जीत लोगे?
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DNA: NCR का प्रदूषण EVEN, पॉलिटिक्स का 'प्रदूषण' ODD! प्रदूषण के खिलाफ जंग.. जुगाड़ से जीत लोगे?

DNA Analysis: जैसे गर्मी की छुट्टियां पड़ती हैं. सर्दियों की छुट्टियां पड़ती हैं. दिवाली की छुट्टियां होती हैं. वैसे ही दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर में प्रदूषण की छुट्टियां पड़ती हैं. यानी Pollution Vacation. जिनकी शुरुआत दिल्ली में हो चुकी है.

DNA: NCR का प्रदूषण EVEN, पॉलिटिक्स का 'प्रदूषण' ODD! प्रदूषण के खिलाफ जंग.. जुगाड़ से जीत लोगे?

DNA Analysis: जैसे गर्मी की छुट्टियां पड़ती हैं. सर्दियों की छुट्टियां पड़ती हैं. दिवाली की छुट्टियां होती हैं. वैसे ही दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर में प्रदूषण की छुट्टियां पड़ती हैं. यानी Pollution Vacation. जिनकी शुरुआत दिल्ली में हो चुकी है. जब देशभर में बच्चे दीवाली Vacations पर होंगे. तब दिल्ली के स्कूलों में बच्चों की Pollution Vacations शुरु हो चुकी है. सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में 50 फीसदी स्टाफ के साथ काम करने की सलाह दी गई है. फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं. निर्माण कार्य रोक दिया गया है. दूसरे राज्यों से बस और ट्रकों की एंट्री बैन हो चुकी है. और अब तो केजरीवाल सरकार ने प्रदूषण के मौसम में अपने पसंदीदा Odd-Even Formula को भी दीवाली के अगले दिन यानी 13 नवंबर से एक हफ्ते के लिए लागू करने की घोषणा कर दी है. यानी हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी प्रदूषण से निपटने की जिम्मेदारी दिल्ली वालों के कंधे पर लाद दी गई है. जिसे दिल्लीवालों को ही उठाना पड़ेगा, चाहे वो राजी हों या ना हों. 

वैसे इस मामले में NCR वाले काफी Lucky हैं. जैसे कि गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद. ये शहर हैं तो दिल्ली से एकदम सटे हुए. लेकिन वहां की सरकारें Pollution से ना तो इतना डरतीं हैं और ना लोगों को इतना डराती हैं. जितना दिल्ली सरकार डरती है और दिल्ली वालों को डरा देती है. भले ही प्रदूषण का Level दिल्ली और NCR के शहरों में एक जैसा ही क्यों ना हो.

अब जरा दिल्ली-NCR का Air Quality Index ही Check कर लीजिये. Central Pollution Control Board यानी CPCB के 24 घंटे के Avaerage AQI Index के मुताबिक आज सोमवार को दिल्ली का Over all AQI 421 रहा. ग्रेटर नोएडा में 420, नोएडा में 384, गाजियाबाद में 391, फरीदाबाद में 412, गुरुग्राम में 373 और सोनीपत में 417 रहा. यानी जिस तरह पंछी, नदियां, पवन के झोंके को कोई सरहद नहीं रोक पाती. उसी तरह वायु प्रदूषण को भी इससे कोई लेना-देना नहीं होता कि किस शहर में किस राज्य में किस पार्टी की सरकार है. लेकिन दिल्ली-NCR के अलग-अलग शहरों में प्रदूषण से निपटने के उपाय, जरूर इस बात पर निर्भर करते हैं कि वहां कौन सी सरकारें है.

लेकिन हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली NCR में सिर्फ वायु प्रदूषण ही नहीं बढ़ रहा. बल्कि वायु प्रदूषण पर Polluted Politics का Level भी Out Of Control होता जा रहा है. आज की डेट में कोई दिल्ली वालों से पूछे कि.. और क्या चल रहा है.. तो जवाब मिलेगा - Pollution वाला Fog चल रहा है. प्रदूषण के साथ-साथ दिल्लीवालों की हवा भी खराब हो रही है. समझ ही नहीं आ रहा कि आखिर इस दमघोंटू प्रदूषण से कब छुटकारा मिलेगा.

क्या स्कूल बंद करने से प्रदूषण खत्म हो जाएगा ?
क्या सड़कों पर पानी का छिड़काव करने से प्रदूषण कंट्रोल में आ जाएगा ?
क्या दिवाली पर पटाखों पर बैन लगाना ही प्रदूषण से निपटने का कारगर उपाय है ?
क्या Odd-Even स्कीम लागू करना ही प्रदूषण के खिलाफ जंग है ?

क्या प्रदूषण को...जुगाड़ के प्रयासों से हराया जा सकता है ? क्या AC कमरों में बैठकर..मीटिंग्स करके प्रदूषण का हल निकल जाएगा? दिल्ली-NCR में प्रदूषण के मौसम में एक और चीज का Quality Index तेजी से गिरता जा रहा है वो है Polluted Politics का. जो केजरीवाल सरकार पहले पंजाब-हरियाणा में जलने वाली पराली को दिल्ली में प्रदूषण का जिम्मेदार बताती थी. वो अब सिर्फ हरियाणा में जलने वाली पराली को जिम्मेदार बता रही है. दिल्ली सरकार के मंत्री उत्तर प्रदेश, हरियाणा और केंद्र सरकार को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारक बता रहे हैं.

लेकिन प्रदूषण पर पॉलिटिक्स करने की जरूरत सबको महसूस हो रही है..चाहे बीजेपी हो या आम आदमी पार्टी. जैसे-जैसे दिल्ली NCR में पॉल्यूशन का स्तर बढ़ रहा है..वैसे वैसे पॉल्यूशन पर पॉलिटिक्स का स्तर गिर रहा है. विडंबना देखिये कि जब सरकारों को. एक साथ मिलकर प्रदूषण की समस्या से निपटना चाहिए. तब वो..आपस में जुबानी जंग लड़ रही हैं. आम आदमी पार्टी, हरियाणा और यूपी सरकार को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का जिम्मेदार बता रही है. बीजेपी, पंजाब में जलती पराली को हरियाणा में प्रदूषण का जिम्मेदार बता रही है. अगर आप दिल्ली-NCR में रहते हैं तो हवा में प्रदूषण कितना है ये तो आप महसूस कर ही रहे होंगे. हमारी रिपोर्ट पढ़कर आपको ये भी पता चल गया होगा कि प्रदूषण पर Politics कितनी Dirty हो चुकी है.   

वैसे भले ही दिल्ली सरकार प्रदूषण की समस्या को पिछले 9 सालों में खत्म ना कर पाई हो. लेकिन प्रदूषण से जंग लड़ने का ऐलान हर साल करती है. अब दिल्ली सरकार ने एक बार फिर Odd-Even व्यवस्था लागू करने का ऐलान किया है. 13 से 20 नवंबर तक दिल्ली में एक दिन Odd Number वाली गाड़ियां चलेंगी और दूसरे दिन Even Number वाली गाड़ियां. दिल्ली सरकार ने पहली बार वर्ष 2016 में प्रदूषण को कम करने की लिए इस System को लागू किया था. लेकिन Odd Even के नियम से प्रदूषण पर कुछ खास असर होता नहीं है. ये बात कई Studies में साबित भी हो चुकी है. इस Odd Even पर सवाल भी उठते रहे हैं.

Central Pollution Control Board यानी CPCB ने एक Study की थी. इस स्टडी में पाया गया कि जब 1 जनवरी से 15 जनवरी 2016 तक दिल्ली में Odd Even नियम लागू हुआ तो उस दौरान, पिछले 15 दिनों के मुकाबले प्रदूषण घटने के बजाय बढ़ गया था. IIT-रुड़की ने भी इससे जुड़ी एक स्टडी के आधार पर दावा किया था कि जनवरी 2016 में 15 दिन के लिए लगे Odd-Even नियम से दिल्ली के प्रदूषण पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा था. India Spend की Study में भी पता चला कि अप्रैल 2016 में दूसरी बार लागू हुए Odd-Even नियम की 15 दिन की अवधि में वायु प्रदूषण कम होने के बजाय 23 प्रतिशत बढ़ गया था. यानी दो बड़ी Studies में ये साबित हुआ है कि Odd Even नियम, इतना कारगर उपाय नहीं है. लेकिन ऐसा क्यों है ? इसको लेकर मार्च 2018 में Current Science Journal में एक Research Paper छपा था. जिसमें दिल्ली के अंदर Odd Even नियम फेल होने के दो मुख्य कारण बताए गए थे. 

इसकी एक वजह तो ये है कि Odd-Even नियम, सिर्फ सुबह 8 से रात के 8 बजे तक लागू होता है. Study में पाया गया कि वर्ष 2016 में Odd-Even के दौरान, सुबह 7 से 8 बजे के बीच, दिल्ली की सड़कों पर, सामान्य दिनों के मुकाबले 1.6 गुना ज्यादा Traffic बढ़ गया था. यानी Odd-Even की पाबंदी से बचने के लिए लोग, सुबह आठ बजे से पहले और रात 8 बजे के बाद सड़कों पर वाहन लेकर निकल जाते हैं. और दूसरी बड़ी वजह ये है कि Odd-Even नियम में Two Wheeler, टैक्सियों को छूट दी गई. लोग कारों के बजाय टैक्सियों और Two Wheeler का इस्तेमाल करने लगे.

Studies से से पता चलता है कि Odd-Even नियम लागू करने में दिल्ली सरकार की मंशा गलत नहीं है बल्कि इस नियम को जिस तरह लागू किया जाता है, उसमें खामियां हैं. National Green Tribunal यानी NGT कह चुकी है कि Odd-Even नियम से प्रदूषण पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 में कहा था कि Odd-Even नियम, प्रदूषण को नियंत्रित करने का Permanent Solution नहीं है. तो अब समझने वाली बात ये है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्थाई समाधान क्या है? इसे समझने के लिए ये समझना होगा कि दिल्ली में खासकर सर्दियों के मौसम में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार वजह कौन-कौन सी हैं ? इस मौसम में दिल्ली के प्रदूषण के तीन बड़े Source हैं.

सबसे बड़ा Source है - पराली का जलना. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक इस समय दिल्ली के प्रदूषण में 23.43 प्रतिशत हिस्सेदारी, पराली की है. दूसरा बड़ा Source है - Power Plants, कूड़ा जलाना और निर्माण कार्य. जिनकी हिस्सेदारी, दिल्ली के प्रदूषण में 19 प्रतिशत है. जबकि दिल्ली में वाहनों से निकलने वाले धुएं की वजह से करीब 15 प्रतिशत प्रदूषण होता है. दिल्ली में प्रदूषण के यही तीन सबसे बड़े और मुख्य Source हैं. जो पूरे साल दिल्ली की हवा को प्रदूषित करते हैं. लेकिन अक्टूबर-नवंबर के महीने में दिल्ली-NCR में हवा की गति, दिशा, नमी और तापमान वायु प्रदूषण को बढ़ाने में योगदान देते हैं. जिससे प्रदूषण एकदम से अचानक बढ़ जाता है. जिसको Control करना सरकारों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा हो जाता है. लेकिन दिक्कत ये है कि ये सब पता होते हुए भी प्रदूषण का कोई स्थाई समाधान करने के बजाय सिर्फ जुगाड़ से प्रदूषण कम करने की कोशिशें होती हैं. जिनका कोई खास असर होता नहीं है. और हर साल प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई हार जाते हैं.

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