रूस ने स्पूतनिक वैक्सीन के 92 प्रतिशत प्रभावशाली होने का दावा किया है और इन आंकड़ों पर भरोसा करें तो इस समय ये वैक्सीन कोविड 19 के खिलाफ सबसे ज्यादा कारगर है. दो डोज वाली इस वैक्सीन को पहले चरण में 16 हजार लोगों पर टेस्ट किया गया था.
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नई दिल्ली: आज हमारे पास कोरोना वायरस पर दो अच्छी खबरें हैं. इनमें से एक रूस से आई और दूसरी अमेरिका से आई है. अमेरिका की एक दवा बनाने वाली कंपनी फाइज़र ने अपनी वैक्सीन के 90 प्रतिशत तक असरदार होने का दावा किया था और अब रूस ने अपनी स्पूतनिक वैक्सीन को कोविड 19 के खिलाफ 92 प्रतिशत तक सफल बताया है.
- कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत सरकार इस समय फाइजर के संपर्क में है.
- इस वैक्सीन की खबर आने के बाद से दुनिया भर के शेयर बाजारों में 208 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बिजनेस हो चुका है और ये आंकड़ा लगभग भारतीय अर्थव्यवस्था के बराबर है.
- नई वैक्सीन को लेकर अमेरिका में एक राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आरोप है कि ये खबर जानबूझकर रोकी गई, ताकि राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें इसका फायदा न मिल पाए.
- अमेरिका के उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने दावा किया है कि इस वैक्सीन को तैयार करने में उनकी सरकार ने भी मदद की थी.
- हालांकि फाइज़र का दावा है कि अमेरिका की सरकार के साथ उन्होंने सिर्फ वैक्सीन की डील की थी और इस वैक्सीन की रिसर्च में उन्हें कोई मदद नहीं मिली है.
वैक्सीन को रूस में इमरजेंसी यूज की अनुमति मिली
अब आपको रूस की वैक्सीन के बारे में बताते हैं. रूस ने स्पूतनिक वैक्सीन के 92 प्रतिशत प्रभावशाली होने का दावा किया है और इन आंकड़ों पर भरोसा करें तो इस समय ये वैक्सीन कोविड 19 के खिलाफ सबसे ज्यादा कारगर है. दो डोज वाली इस वैक्सीन को पहले चरण में 16 हजार लोगों पर टेस्ट किया गया था. जिन लोगों को ये वैक्सीन दी गई उनमें Covid-19 का संक्रमण दूसरों से 92 प्रतिशत कम पाया गया. इस वैक्सीन के अंतिम चरण का परीक्षण, 40 हजार वॉलेंटियर्स पर जारी है और इस वैक्सीन को रूस में इमरजेंसी यूज यानी सीमित इस्तेमाल की अनुमति मिल चुकी है.
दावों के मुताबिक स्पूतनिक वैक्सीन का इस्तेमाल करने पर दो वर्षों तक कोरोना वायरस से सुरक्षा मिलेगी. भारत में इस वैक्सीन के ट्रायल और डिस्ट्रिब्यूशन के लिए रूस और भारत की एक प्राइवेट लैब के बीच डील हुई है. फिलहाल भारत में इस वैक्सीन का दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है जिसके मई 2021 तक पूरा होने की उम्मीद है.
तीन चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद फाइज़र की वैक्सीन का आकलन
उधर अमेरिका में एक स्वतंत्र डाटा मॉनिटरिंग एजेंसी ने तीन चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद फाइज़र की वैक्सीन का आकलन किया. इस एजेंसी के विश्लेषण के आधार पर ही फाइज़र ने अपनी वैक्सीन के 90 प्रतिशत तक सफल होने का दावा किया है. अमेरिका की कंपनी फाइज़र और जर्मनी की कंपनी बायो-एनटेक (BioNTech) मिलकर इस वैक्सीन पर काम कर रही हैं.
हालांकि फाइज़र ने बताया है कि किसी इमरजेंसी की स्थिति में इस वैक्सीन के लोगों पर इस्तेमाल के लिए वो नवंबर के आखिरी हफ्ते में आवेदन कर सकती है. तब तक इस वैक्सीन ट्रायल का फाइनल डाटा आ जाएगा.
- फाइज़र ने अपनी वैक्सीन का ट्रायल अमेरिका समेत 6 देशों में 44 हज़ार वॉलेंटियर्स पर किया है. तीसरा चरण इसी वर्ष जुलाई में शुरू हुआ था. इसके तहत वॉलेंटियर्स को वैक्सीन की दो डोज दी गई.
- 44 हजार वॉलेंटियर्स में से आधे लोगों को वैक्सीन दी गई और आधे लोगों को नहीं दी गई.
- इस परीक्षण में शामिल 90 प्रतिशत लोगों को संक्रमण नहीं हुआ. इसलिए इस वैक्सीन का सक्सेस रेट 90 प्रतिशत माना गया है. हालांकि इस टेस्ट में 94 Volunteers ऐसे भी थे जिन्हें कोरोना वायरस का इंफेक्शन हो गया था. इन 94 लोगों में से कितने लोगों को वैक्सीन दी गई थी और कितने लोगों को नहीं, ये कंपनी ने सार्वजनिक नहीं किया है.
- अमेरिका और विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों के मुताबिक अगर कोई वैक्सीन 50 प्रतिशत तक भी प्रभावी हो तो उसे मंज़ूरी मिल सकती है। इस हिसाब से देखें तो अमेरिका और रूस की वैक्सीन का 90 प्रतिशत तक सफल होने का दावा पूरी दुनिया के लिए अच्छी ख़बर है.
2021 के अंत तक 130 करोड़ डोज
अमेरिका की जिस वैक्सीन की चर्चा है उसे बनाने में प्रोफेसर यूगर सहिन (Ugur Sahin) और उनकी पत्नी का बड़ा योगदान है. इस वैक्सीन को बनाने के लिए इन दोनों ने अपनी टीम के साथ लगातार रिसर्च की. इनके मुताबिक, अगर इस वैक्सीन के निर्माण की अनुमति मिल गई तो वर्ष 2021 के अंत तक इसके 130 करोड़ डोज तैयार किए जा सकते हैं.
हालांकि अगर ये वैक्सीन तैयार हो भी गई तो इसके भारत पहुंचने के रास्ते में तीन चुनौतियां हैं.
1. अमेरिका की सरकार ने फाइज़र वैक्सीन की 10 करोड़ डोज़ पहले से बुक कर रखी है. फाइज़र का दावा है कि अमेरिका की जनता को ये वैक्सीन मुफ्त में लगाई जाएगी. इसके अलावा कनाडा और जापान ने भी एडवांस ऑर्डर दिए हैं. भारत सरकार ने अभी तक किसी भी वैक्सीन के लिए, किसी भी देश से ऐसा कोई क़रार नहीं किया है. ऐसे में भारत का नंबर जल्द आने की उम्मीद नहीं है.
2. इस वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री सेल्सियस ((Degree Celsius)) पर स्टोर करने की जरूरत होती है. इस तापमान पर वैक्सीन को संभाल कर रखना भारत ही नहीं, अमेरिका के लिए भी एक चुनौती है.
3. फाइज़र ने अभी तक ये नहीं बताया है कि ये वैक्सीन कितने दिनों या महीनों या कितने वर्षों तक कारग़र रहेगी यानी एक बार वैक्सीन लगाने के बाद आप कितने दिनों तक सुरक्षित रहेंगे.
विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में कम तापमान पर वैक्सीन को रखना एक चुनौती है. हालांकि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि वो दवा को मंजूरी मिल जाने के बाद ही कोई फैसला लेंगे.