सोशल मीडिया को लेकर सरकार के नए दिशा निर्देश दो हिस्सों में बंटे हुए हैं. एक सोशल मीडिया से जुड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए है. जैसे ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सऐप और दूसरा हिस्सा डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए है. यानी ऑनलाइन स्ट्रीमिंग कंपनियों के लिए है.
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नई दिल्ली: भारत सरकार ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग और गालियों को ग्लैमराइज करने वाले ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स की वैक्सीन ढूंढ ली है और आज एक बहुत बड़ा और क्रांतिकारी फैसला किया गया है. ये फैसला क्या है और इससे कैसे भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लगभग 70 करोड़ लोगों की जिंदगी बदल जाएगी. इसका आज हम सरल भाषा में विश्लेषण करेंगे.
भारत सरकार ने इंटरनेट के रास्ते आप तक पहुंचने वाली हर जानकारी, मनोरंजन और खबरों के बीच एक सीमा रेखा खींच दी है. ये इंटरनेट वाले युग की लक्ष्मण रेखा है, जो सही और गलत के बीच अंतर को स्पष्ट करती है, जो फेक न्यूज़ की पोल खोलती है और जो ये बताती है कि आजादी और अधिकार जिम्मेदारियों के साथ मिलते हैं और इन जिम्मेदारियों को विदेशी कंपनियां स्विच ऑफ मोड पर नहीं डाल सकतीं.
आज सरकार ने सीमाओं का दायरा खींचते हुए ऐसे क्रांतिकारी दिशा निर्देश और नियमों का ऐलान किया है, जिससे फेक न्यूज़ की दुकानें भी बंद हो जाएंगी और मनमानी करने वाली विदेशी टेक्नोलॉजी कंपनियों को भारत के संविधान और कानून का भी पालन करना पड़ेगा.
इसलिए सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि सोशल मीडिया को लेकर सरकार के नए दिशा निर्देश क्या हैं, तो ये दो हिस्सों में बंटे हुए हैं. एक सोशल मीडिया से जुड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए है. जैसे ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सऐप और दूसरा हिस्सा डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए है. यानी ऑनलाइन स्ट्रीमिंग कंपनियों के लिए है.
सबसे पहले सोशल मीडिया को लेकर जारी किए गए नए दिशा निर्देशों के बारे में आपको बताते हैं. इसे लेकर 4 गाइडलाइंस जारी की गई हैं.
पहली गाइडलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत के संविधान और कानून के मुताबिक काम करना होगा. अगर कोई कंपनी ऐसा नहीं करती या भारत के संविधान और नियमों के खिलाफ फैसले लेती है और मनमानी करती है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. यानी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत में अब नेटवर्किंग के नाम पर ये कंपनियां अपनी मनमानी नहीं कर सकतीं.
दूसरी गाइडलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों की शिकायतों को सुनने और उनका समाधान करने के लिए एक अलग से व्यवस्था बनाई जाएगी और ऐसा करना सभी कंपनियों के लिए अनिवार्य होगा. किसी भी कंपनी को अब इसमें डिस्काउंट नहीं मिलेगा. जिस तरह से सरकार का एक विभाग लोगों की शिकायतों पर काम करता है, ठीक उसी तरह इन कंपनियों को भी ये विभाग बनाना होगा और इसके लिए एक शिकायत अधिकारी की भी नियुक्ति की जाएगी. इस पद पर जो भी व्यक्ति होगा, उसका नाम, मोबाइल नंबर, पता और दूसरी जानकारियां सरकार को देनी होंगी और अगर कोई व्यक्ति किसी पोस्ट या वायरल मेसेज को लेकर शिकायत करता है तो ये जिम्मेदारी इस ऑफिसर की होगी कि इस शिकायत पर 24 घंटों में सुनवाई हो और 15 दिन के अंदर इसका समाधान निकाला जाए.
तीसरी गाइडलाइन फेसबुक, वाट्सऐप और ट्विटर सहित सभी टेक्नोलॉजी कंपनियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके यूजर्स की किसी जानकारी, फोटो और वीडियो का गलत इस्तेमाल ना हो. अगर किसी व्यक्ति की आपत्तिजनक तस्वीरों को शेयर किया जाता है या न्यूडिटी को प्रमोट किया जाता है तो ऐसी पोस्ट को अब 24 घंटे के अंदर हटाना होगा और ऐसी तस्वीरों को शेयर करने वाले का अकाउंट भी बंद करना होगा. ऐसे मामलों में पीड़ित के अलावा उसका परिवार, रिश्तेदार, दोस्त और अज्ञात लोग भी शिकायत कर सकते हैं और इन शिकायतों को अब किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकेगा.
और चौथी गाइडलाइन में सरकार ने सोशल मीडिया को दो श्रेणी में बांट दिया है. पहली श्रेणी में ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स हैं, जिन पर यूजर्स की संख्या करोड़ों में है और दूसरी श्रेणी में छोटी टेक्नोलॉजी कंपनियां हैं.
पहली श्रेणी में जो 5 बड़े प्लेटफॉर्म्स आएंगे, उनमें है वाट्सऐप जिसके भारत में 53 करोड़ यूजर्स हैं. दूसरे नंबर पर है यूट्यूब, जिसके यूजर्स की संख्या भारत में 44 करोड़ से ज्यादा है. इसके अलावा 41 करोड़ यूजर्स के साथ फेसबुक, 21 करोड़ यूजर्स के साथ इंस्टाग्राम और 1 करोड़ 75 लाख यूजर्स के साथ ट्विटर इसमें शामिल है.
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि फेसबुक, वाट्सऐप और इंस्टाग्राम एक ही कंपनी है. यानी ये तीन अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स असल में एक ही हैं और इनके भारत में कुल यूजर्स की संख्या को जोड़ दें तो ये संख्या 115 करोड़ हो जाती है. यानी भारत की आबादी से सिर्फ 20 करोड़ कम. यही नहीं दुनिया के 181 देश ऐसे हैं, जहां की कुल आबादी 10 करोड़ से भी कम है.
इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कुछ और कड़े नियमों का भी पालन करना होगा और ये नियम सीधे तौर आपसे जुड़े हैं.
सोशल मीडिया पर लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए जो तंत्र बनाया जाएगा, उसमें एक Chief Compliance Officer की नियुक्ति करनी होगी, जो ये सुनिश्चित करेगा कि लोगों की शिकायतों पर कानून के तहत ही क़दम उठाए जाएं और ये ऑफिसर भारत में रह कर ही काम कर सकेगा.
इसके अलावा एक नोडल ऑफिसर भी होगा और ये ऑफिसर भारत की जांच एजेंसियों और मंत्रालयों के संपर्क में रहेगा.
एक Grievance Officer भी होगा, जो सरकार और शिकायत करने वाले लोगों के प्रति जवाबदेह होगा और इस ऑफिसर की ये जिम्मेदारी होगी कि तय समय में शिकायत पर कार्रवाई हो और ये शिकायत फेक न्यूज़ को लेकर होगी, मॉर्फ्ड फोटो, वीडियो और न्यूडिटी को लेकर होगी, जिस पर अभी कोई सुनवाई नहीं होती.
मौजूद व्यवस्था में ये कंपनियां अभी खुद तय कर लेती हैं कि क्या गलत है और क्या सही है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि, सरकार ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि लोगों की शिकायतों को सुना जाए और उन पर ठोस कदम भी उठाए जाएं.
इसके लिए सभी कंपनियों को हर महीने सरकार को ये बताना होगा कि उन्हें पूरे महीने में कितने लोगों की शिकायतें मिली और उन शिकायतों पर क्या कार्रवाई हुई.
सरकार ने फेक न्यूज़ और हिंसा को बढ़ावा देने वाले मैसेज को रोकने के लिए भी कड़े नियम बनाए हैं. इन नियमों के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियों को ये बताना होगा कि फेक न्यूज़ और भड़काऊ मैसेज शेयर करने वाला पहला व्यक्ति कौन था.
अभी होता ये है कि एक व्यक्ति फेक न्यूज़ फैलाता है. फिर देखते ही देखते ही ये फेक न्यूज़ लाखों लोगों तक पहुंच जाती है और जो व्यक्ति फेक न्यूज़ फैलाता है, उसके लिए इन लाखों के बीच छिपना आसान हो जाता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ये बताना होगा कि पहली बार फेक न्यूज़ किसने पोस्ट की थी. हमें लगता है कि सरकार के इस नियम से कई लोगों की दुकानें बंद हो जाएंगी.
जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से सरकार को ऐसे लोगों की जानकारी मिलेगी तो इन लोगों पर राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर हमला करने के लिए कार्रवाई की जाएगी और ऐसे मामलों में 5 वर्ष या उससे ज्यादा जेल की सजा का प्रावधान है.
फेक न्यूज़ के अलावा फेक अकाउंट्स को लेकर भी सरकार ने एक क्रांतिकारी नियम बनाया है. इसके तहत कंपनियों को यूजर्स से जुड़ी जानकारी को वेरिफाई करना होगा. यानी अब कोई भी व्यक्ति किसी के भी नाम पर अकाउंट नहीं बना पाएगा. यही नहीं इससे सरकार को ये पता चल सकेगा कि भारत के खिलाफ भड़काऊ मैसेज और पोस्ट लिखने वाला व्यक्ति कहां से ऑपरेट कर रहा है.
अभी होता ये है कि पाकिस्तान या किसी और देश में बैठा व्यक्ति मोहन, नितिन और कमल जैसे नामों से फेसबुक या ट्विटर पर अपना अकाउंट बना लेता है और फिर भारत के खिलाफ आपत्तिजनक बातें लिखता है. ऐसी स्थिति में कई लोगों को ये लगता है कि भारत के लोग ही भारत को बुरा भला कह रहे हैं, जबकि ऐसा होता नहीं है. इसी को रोकने के लिए सरकार ने ये नियम बनाया है और इस नियम के तहत यूजर्स चाहें तो अपना खुद से वेरिफिकेशन भी करा सकते हैं.
अगर टेक्नोलॉजी कंपनियां आपकी कोई पोस्ट डिलीट करती हैं या आपका अकाउंट सस्पेंड करती हैं तो सरकार ने अब ऐसी व्यवस्था कर दी है कि इन कंपनियों को ऐसा करने के पीछे की ठोस वजह आपको बतानी होगी. आप खुद से भी इन कम्पनियों से ऐसा करने की वजह पूछ सकते हैं.
यही नहीं अब अगर सरकार या अदालत किसी जानकारी को भारत विरोधी या गैर कानूनी मानती है तो ऐसी जानकारी को तुरंत हटाना होगा और ये कंपनियां अब इसमें अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगी.
सरकार ने डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को लेकर भी नए दिशा निर्देश जारी किए हैं. इन्हें 5 पॉइंट्स में समझिए.
पहला पॉइंट अब डिजिटल मीडिया पर कुछ भी लिखने और झूठी खबरें फैलाने की छूट नहीं होगी. जिस तरह टीवी चैनलों को Cable Network Act का पालन करना होता है. प्रिंट मीडिया को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के मुताबिक काम करना होता है. ठीक वैसे ही अब डिजिटल मीडिया की भी जवाबदेही तय होगी और उन्हें कई तरह के नियमों का पालन करना होगा. जैसे झूठी खबरें चलाने पर माफी मांगनी होगी और उसका स्पष्टीकरण भी देना होगा.
दूसरा पॉइंट ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को भी नियमों के दायरे में काम करना होगा. जैसे अभी फिल्मों के लिए CBFC बोर्ड है, जिसे सेंसर बोर्ड भी कहा जाता है, ठीक उसी तरह इन प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी, जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट या हाई के रिटायर्ड जज करेंगे.
तीसरा पॉइंट सेंसर बोर्ड की तरह Online Streaming Platforms पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्यवस्था होगी और इसके लिए फिल्मों को पांच कैटेगरी में बांटा जाएगा.
पहली कैटेगरी U यानी यूनिवर्सल होगी. इस कैटेगरी की फिल्मों को पारिवारिक माना जाएगा, जिन्हें किसी भी उम्र के लोग देख सकेंगे जबकि बाकी फिल्मों को U.A 7 प्लस यानी 7 वर्ष की उम्र से ज्यादा, 13 प्लस, 16 प्लस और एडल्ट की श्रेणी में रखा जाएगा.
अभी तक ऑनलाइन रिलीज होने वाली फिल्मों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी. जिसकी वजह से इन प्लेटफॉर्म्स पर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर गालियों को ग्लैमराइज किया जाता है, मनोरंजन के नाम पर न्यूडिटी दिखाई जाती है और हिंसा को भी सही ठहराया जाता है.
चौथा पॉइंट जिन फिल्मों और वेब सीरीज को 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चे नहीं देख सकते, उन पर पैरेंटल लॉक लगाना होगा. यानी बच्चों के माता पिता को ये बताना होगा कि ये फिल्में उनके लिए नहीं हैं.
और पांचवां पॉइंट डिजिटल वेब साइट्स और पोर्टल को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों और केबल नेटवर्क एक्ट का पालन करना होगा.
सरकार ने कहा है कि ये सभी नियम तीन महीने के बाद लागू हो जाएंगे. यानी तीन महीने का समय इन टेक कंपनियों को दिया गया है.
देशभर में सोशल मीडिया को लेकर बनाए गए नए नियमों की चर्चा हो रही है और इस पर गलत जानकारियां भी फैलाई जा रही हैं. इस तरह की गलत खबरें लोगों को गुमराह कर सकती हैं. इसलिए हम आज आपके कुछ सवालों के जवाब तैयार करके लाए हैं.
पहला सवाल, बहुत से लोग ये पूछ रहे हैं कि क्या अब सोशल मीडिया पर सरकार का दखल बढ़ जाएगा, तो इसका जवाब है नहीं, ऐसा नहीं होगा. सरकार ने सेल्फ रेगुलेशन की बात की है और उसका मकसद फेक न्यूज़ और आपत्तिजनक कंटेंट को रोकना है क्योंकि, ऐसा करने में अब तक ये कंपनियां नाकाम रही हैं.
दूसरा सवाल है कि क्या फेक न्यूज़ या भड़काऊ मैसेज पोस्ट करने वालों की जानकारी सरकार को देने से लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा. इसका जवाब है, नहीं. सरकार ने कहा है कि वो ऐसे लोगों की जानकारी मांग रही है, जिन पर देश के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए कड़े कानून लागू होते हैं. ऐसे में इन लोगों की जानकारी मांगना निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है.
तीसरा सवाल क्या राजनीतिक पार्टियों के सोशल मीडिया सेल भी इन नियमों के दायरे में आएंगे तो इसका जवाब है- हां, नियम सबके लिए बराबर हैं और इसमें किसी पार्टी या नेता को कोई डिस्काउंट नहीं मिलेगा.
चौथा सवाल इन नियमों का उल्लंघन होने पर क्या होगा?
सरकार ने कहा है कि ऐसी स्थिति में भारत सरकार के IT Act के तहत कार्रवाई की जाएगी.
और पांचवां सवाल ये कि क्या फेसबुक, वाट्सऐप और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स सरकार के इन नियमों को मानने से इनकार कर सकते हैं. इसका जवाब भी नहीं में है. सरकार ने कहा है कि इन कंपनियों को देश का संविधान और कानून मानना ही होगा.
अगर आप ऐसा सोच रहे हैं कि भारत सरकार के इन दिशा निर्देशों का आपसे कोई लेना देना नहीं है तो आज आपको अपनी ये जानकारी भी सुधार लेनी चाहिए. हम आपको ऐसी पांच बातें बताएंगे, जिनसे आपको ये समझ आएगा कि नए नियमों के बाद आप क्या-क्या नहीं कर पाएंगे.
पहली बात अब आप किसी और के नाम से फेक अकाउंट नहीं बना पाएंगे क्योंकि, अब किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपको अपना अकाउंट बनाने के लिए खुद को वेरिफाई करना होगा.
दूसरी बात अब सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ फैलाना आसान नहीं होगा. ऐसा करने वालों की पूरी जानकारी सरकार के पास रहेगी और इन लोगों पर IT एक्ट के तहत कार्रवाई का भी प्रावधान है.
तीसरी बात सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट शेयर नहीं कर पाएंगे.
चौथी बात अब अगर किसी न्यूज़ वेबसाइट या पोर्टल से कोई गलत जानकारी फैलाई गई तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.
और पांचवीं बात अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर उम्र के हिसाब से ही आप कंटेंट देख सकेंगे. अगर आपके घर में आपके बच्चे हैं तो उन्हें सभी फिल्में देखने की छूट नहीं होगी. इसके लिए फिल्मों पर पैरेंटल लॉक भी लगाया जाएगा.
तो ये वो पांच बातें हैं, जो इन नियमों के लागू होने के बाद बदल जाएंगी.
आज हम आपको सोशल मीडिया से जुड़ी कुछ और बातों के जरिए ये बताना चाहते हैं कि एक मिनट में कैसे सबकुछ बदल सकता है.
-एक मिनट में यूट्यूब पर 500 घंटे के वीडियो अपलोड हो जाते हैं और ये आंकड़ा पूरी दुनिया का है.
-Twitter पर हर एक मिनट में 319 नए यूजर अपना अकाउंट बनाते हैं
-Facebook पर हर मिनट डेढ़ लाख मैसेज शेयर होते हैं.
-WhatsApp पर 4 करोड़ से ज्यादा मैसेज सिर्फ एक मिनट में भेजे जाते हैं. ये संख्या क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े देश कनाडा की कुल आबादी से भी ज्यादा है. कनाडा की कुल आबादी साढ़े तीन करोड़ ही है.
-Facebook पर हर मिनट लगभग डेढ़ लाख तस्वीरें अपलोड की जाती हैं.
-हर मिनट दुनिया में 13 लाख लोग वॉयस कॉल करते हैं.
-Instagram पर हर मिनट में 1 लाख 38 हजार एडवर्टाइजमेंट पर लोग क्लिक करते हैं.
-LINKEDIN पर लगभग 70 हज़ार लोग नौकरी के लिए अप्लाई करते हैं.
-Netflix पर एक मिनट में करीब 4 लाख घंटे के वीडियो देखे जाते हैं.
-Zoom App पर हर मिनट 2 लाख लोग वीडियो कॉल करते हैं और इंस्टाग्राम पर सिर्फ 60 सेकेंड में 3 लाख 47 हजार 222 वीडियो शेयर किए जाते हैं. अब आप खुद सोचिए सोशल मीडिया कितना शक्तिशाली है.
हम लगातार इस विषय को लेकर आपसे चर्चा करते रहे हैं क्योंकि हम मानते हैं कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग कोरोना वायरस की बीमारी से भी ज्यादा खतरनाक और संक्रामक है. इसे आप अमेरिका के Massachusetts Institute of Technology की एक रिसर्च से समझिए.
इसके मुताबिक, सोशल मीडिया पर सच्ची और सही जानकारी वाली खबरों के मुकाबले फेक न्यूज़ 70 गुना तेजी से फैलती है और फेक न्यूज़ ज्यादा बार रीट्वीट की जाती है.
सही खबरों की तुलना में फेक न्यूज़ 6 गुना तेजी से 1500 लोगों तक पहुंचती है और सबसे अहम बात ये कि 100 में से 70 लोगों को कभी ये पता नहीं चल पाता कि उन्होंने जो खबर पढ़ी थी. वो असल में गलत और भ्रामक थी.
यही नहीं तथ्यों से ज्यादा गलत जानकारी को शेयर किया जाता है. ये आंकड़े बताते हैं कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने के लिए इस तरह के कड़े नियमों की भारत को सबसे ज्यादा आवश्यकता थी.
आज हम आपको एक और महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहते हैं कि दुनिया में इस समय इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 466 करोड़ है और इन 466 करोड़ लोगों पर मुट्ठीभर टेक कंपनियों का व्यापार टिका हुआ है.
-इस समय दुनिया की 5 बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां हैं. फेसबुक, अमेजन, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल.
-इन 5 कंपनियों का नेट वर्थ लगभग 460 लाख करोड़ रुपए है.
-दुनिया में कुल 195 देश हैं, जिनमें से 143 देशों की कुल जीडीपी भी इन 5 कंपनियों से कम है.
जापान जैसे समृद्ध देश की GDP सिर्फ़ 371 लाख करोड़ रुपए है, और भारत की GDP इन कंपनियों के नेट वर्थ के मुकाबले 50 प्रतिशत से भी कम है. ये 210 लाख करोड़ रुपये है.
-अगर सिर्फ भारत की बात करें, तो वर्ष 2020 में लोगों ने अपने स्मार्टफोन पर हर दिन साढ़े चार घंटे से ज्यादा समय बिताया जबकि वर्ष 2019 में ये सिर्फ 3 घंटे था.
-इसका मतलब है पिछले एक वर्ष में आपने 68 दिन अपने स्मार्टफोन को दिए. यही नहीं, भारत में ऐप डाउनलोड भी पिछले वर्ष के मुकाबले 30 प्रतिशत ज्यादा किए गए. ऐप डाउनलोड के मामले में पूरी दुनिया में भारत दूसरे स्थान पर है और चीन पहले नंबर पर है.
-वाट्सऐप और फेसबुक भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले एप्स में पहले और दूसरे नंबर पर हैं. इसका मतलब है कि भारत अब इन कंपनियों के लिए सबसे बड़ा डिजिटल बाजार बन गया है.