DNA ANALYSIS: लद्दाखी नागरिकों के 'सैन्य जज्बे' की अनसुनी कहानियां
Advertisement
trendingNow1701139

DNA ANALYSIS: लद्दाखी नागरिकों के 'सैन्य जज्बे' की अनसुनी कहानियां

लद्दाख से Zee News की ये ग्राउंड रिपोर्ट देखकर आप समझ जाएंगे कि कैसे युद्ध सैनिकों की संख्या से नहीं बल्कि राष्ट्रवाद की भावना से जीते जाते हैं.

DNA ANALYSIS: लद्दाखी नागरिकों के 'सैन्य जज्बे' की अनसुनी कहानियां

नई दिल्ली: चीन सिर्फ जमीन पर ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी अपनी ताकत दिखा रहा है. चीन ने अपने Beidou (बाइडू) नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम यानी BDS का 35वां और आखिरी सैटेलाइट लॉन्च किया है. BDS के जरिए चीन, अमेरिका के GPS का मुकाबला करना चाहता है. और इसकी तैयारी चीन ने वर्ष 2000 में ही कर दी थी, जब उसने Beidou का पहला सैटेलाइट लॉन्च किया था. चीन इस GPD सिस्टम पर अब तक 75 हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुका है.

चीन के Beidou सेटेलाइट के बारे में दावा है कि इसकी एक्यूरेसी 10 सेंटीमीटर तक है. जबकि GPS की एक्यूरेसी 30 सेंटीमीटर के दायरे में होती है ऐसे सिस्टम के इस्तेमाल से चीन अपनी सैनिक ताकत भी बढ़ा सकता है, टारगेट पर सटीक निशाना लगा सकता है. वो सीमा पर बेहतर तरीके से सर्विलांस भी कर सकता है. इसलिए हम बार-बार कह रहे हैं कि भारत को भी चीन को उसी की भाषा में जवाब देना होगा और इसके तीन तरीके हैं.

पहला है सर्विलांस, दूसरा है संचार और तीसरा है संख्या. सर्विलांस यानी तकनीक की मदद से सीमा पर नजर रखना ताकि सैनिकों का कम से कम इस्तेमाल हो. संचार मतलब सीमा पर ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना ताकि सीमा तक सेना की पहुंच आसान हो जाए. इसमें सड़कें और मोबाइल फोन नेटवर्क शामिल हैं. तीसरा है संख्या इसके तहत सरकार को लद्दाख जैसे इलाकों में ना सिर्फ नागरिकों की संख्या बढ़ानी चाहिए. बल्कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में देसी और विदेशी पर्यटकों को यहां आने के लिए आकर्षित करना चाहिए. सरकार को चीन की सीमा के साथ लगे गांवों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बसाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- DNA ANALYSIS: लद्दाख में भीष्म की तैनाती का रणनीतिक विश्लेषण

अब आप ये समझ लीजिए कि जब सीमा पर नागरिकों की संख्या बढ़ाई जाती है तो उसका फायदा क्या होता है. चीन के नागरिकों के लिए सेना में सेवाएं देना अनिवार्य है. और जो ऐसा नहीं करते उनके लिए आठ तरह की सजाएं निर्धारित हैं.

लेकिन भारत में ऐसा नहीं है क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. लेकिन जब एक लोकतांत्रिक देश के लोग अपनी सेना के साथ आते हैं तो वही होता जो 1999 के करगिल युद्ध में हुआ था. करगिल युद्ध के दौरान लेह और लद्दाख के लोगों ने कैसे सेना की मदद की थी, इस पर हमने एक खास विश्लेषण तैयार किया है. लद्दाख से Zee News की ये ग्राउंड रिपोर्ट देखकर आप समझ जाएंगे कि कैसे युद्ध सैनिकों की संख्या से नहीं बल्कि राष्ट्रवाद की भावना से जीते जाते हैं.

देखें ZEE NEWS की ये खास रिपोर्ट-

देश की ताकत होते हैं सैनिक, और सेना की ताकत होते हैं देश के आम नागरिक. जो युद्ध के मैदान में अपनी जान की बाजी लगाते सैनिकों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.

Trending news