हमें लगता है कि आपको धनतेरस को उसके सही अर्थ में ही मनाना चाहिए क्योंकि, आपके पास चाहे दुनियाभर की दौलत ही क्यों न हो, वो अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी कभी नहीं दे सकती और इसे आज आपको समझ जाना चाहिए.
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नई दिल्ली: आज धनतेरस है. आज के दिन नए बर्तन और सोने-चांदी के सिक्के खरीदने की परंपरा है, लेकिन आज हम आपको धनतेरस के त्योहार से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी देंगे, जिन्हें शायद आप भूल गए हैं. जिन्हें पुराणों में आयुर्वेद का जनक और देवताओं का चिकित्सक माना गया है. धनवंतरि ने कहा था कि धर्म से भी ऊपर स्वास्थ्य होना चाहिए. लेकिन धनतेरस के मौके पर जिस तरह की भीड़ बाजारों में दिख रही है. उसे देखकर लगता है कि लोगों को सिर्फ धन की चिंता है, क्योंकि अगर उन्हें अपने स्वास्थ्य की चिंता होती तो ये लोग अपने घरों में होते. इन तस्वीरों ने ही हमें आज भगवान धनवंतरि के विचारों का विश्लेषण करने का विचार दिया है.
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस का महत्व
धनतेरस को पुराणों में आयुर्वेद का जनक, देवताओं का चिकित्सक यानी डॉक्टर और भगवान विष्णु का 12वां अवतार माना गया है. हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया तब आज ही के दिन अपने हाथों में तांबे का औषधि कलश लेकर भगवान धनवंतरि प्रकट हुए थे. इसी वजह से भगवान धनवंतरि को स्वास्थ्य का देवता माना गया और इसी रूप में उनकी पूजा हुई. लेकिन समय के साथ आज धनतेरस का महत्व लोग भूल गए हैं.
हमें भगवान धनवंतरि के तांबे का कलश तो याद है लेकिन हम ये भूल चुके हैं कि धनतेरस का त्योहार बर्तन, सोने चांदी और गाड़ी खरीदने तक सीमित नहीं है. ये स्वास्थ्य के देवता भगवान धनवंतरि का जन्मदिन है और हमें लगता है कि कोरोना से जूझ रहे भारत के लिए धनतेरस का त्योहार मनाने की ये नई परम्परा स्वास्थ्यवर्धक नहीं है. भारत में अब तक Covid-19 के कुल मामलों की संख्या 86 लाख से अधिक हो चुकी है और ये हमारे लिए चिंता की बात है.
धनतेरस का त्योहार दीवाली आने की सूचना भी देता है और इस बार दीवाली 14 नवम्बर को मनाई जाएगी, जिस दिन World Diabetes Day भी है, भारत में मौजूदा वक़्त में 8 करोड़ लोगों को डायबिटीज यानी मधुमेह है. भारत में दिल के मरीजों की संख्या भी पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है. ये संख्या 5 करोड़ से ज्यादा है और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीज़ों की संख्या 4 करोड़ से अधिक है.
भगवान धनवंतरि का महत्व समझने की बजाय उन्हें भूलते जा रहे
अब आप सोचिए हमारा देश जो इस वक़्त कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, जहां कई बीमारियां गंभीर रूप लेती जा रही हैं, प्रदूषण की वजह से लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल है. ऐसे समय में हम भगवान धनवंतरि का महत्व समझने की बजाय उन्हें भूलते जा रहे हैं. आयुर्वेद में स्वस्थ शरीर का स्थान धन से ऊपर माना गया है. लेकिन आज ऐसा नहीं है. आज हमारे समाज में धन यानी पैसा लोगों की पहली प्राथमिकता बन गया है और स्वास्थ्य के बारे में लोगों ने चिंता करनी छोड़ दी है. वर्ष 2018 में हुई एक रिसर्च के मुताबिक भारत में 22 प्रतिशत लोग अपनी सैलरी में बढ़ोतरी और व्यापार में फायदे को बड़ी सफलता मानते हैं.
57 प्रतिशत लोगों का मानना है कि आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य को संतुलित रखना उनके लिए बड़ी सफलता है. 72 प्रतिशत लोग ख़ुश रहने को अपनी सफलता मानते हैं.
धनतेरस को उसके सही अर्थ में ही मनाना चाहिए
भगवान धनवंतरि से केवल भारत के लोग ही नहीं, पूरी दुनिया निरोगी यानी बीमारियों से दूर रह कर स्वस्थ रहने का मूलमंत्र सीख सकती है. हमें लगता है कि आपको धनतेरस को उसके सही अर्थ में ही मनाना चाहिए क्योंकि, आपके पास चाहे दुनियाभर की दौलत ही क्यों न हो, वो अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी कभी नहीं दे सकती और इसे आज आपको समझ जाना चाहिए. हमें उम्मीद है कि आप Happy Dhanteras और Healthy Dhanteras के बीच का महत्व समझ गए होंगे और इसे इसके सही अर्थ में मनाएंगे.