DNA ANALYSIS: हरियाणा और पंजाब खेलों में इतने सफल क्यों? इन बातों का है अहम रोल
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DNA ANALYSIS: हरियाणा और पंजाब खेलों में इतने सफल क्यों? इन बातों का है अहम रोल

Tokyo Olympics: दुनिया के बड़े-बड़े खेल आयोजनों में सबसे ज्यादा मेडल भारत के इन दो राज्यों के खिलाड़ी ही जीतते हैं. इसके विपरीत भारत की जनसंख्या में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है, लेकिन यहां के सिर्फ 8 खिलाड़ी ओलम्पिक्स के लिए क्वालिफाई कर पाए हैं.

DNA ANALYSIS: हरियाणा और पंजाब खेलों में इतने सफल क्यों? इन बातों का है अहम रोल

नई दिल्ली: टोक्यो ओलम्पिक्स में भारत से 127 खिलाड़ियों का दल इन खेलों में हिस्सा लेने के लिए पहुंचा है. ये ओलम्पिक्स के इतिहास में भारत का अब तक का सबसे बड़ा दल है.

  1. जनसंख्या के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है.
  2. लेकिन वहां का खेल बजट सिर्फ 255 करोड़ रुपये है.
  3. हरियाणा का खेल बजट उत्तर प्रदेश से 37 प्रतिशत ज्यादा है.

हरियाणा के 31 और पंजाब के 19 खिलाड़ी 

भारत के जो खिलाड़ी इन ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लेंगे. उनमें से सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा से हैं. कुल 127 खिलाड़ियों में से हरियाणा के 31 और पंजाब के 19 खिलाड़ी हैं. यानी भारत के इस दल में 40 प्रतिशत खिलाड़ी इन्हीं दो राज्यों से हैं. भारत की कुल जनसंख्या में पंजाब और हरियाणा की हिस्सेदारी सिर्फ 4.4 प्रतिशत है.

इसके बावजूद दुनिया के बड़े-बड़े खेल आयोजनों में सबसे ज्यादा मेडल भारत के इन दो राज्यों के खिलाड़ी ही जीतते हैं. इसके विपरीत भारत की जनसंख्या में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है, लेकिन यहां के सिर्फ 8 खिलाड़ी ओलम्पिक्स के लिए क्वालिफाई कर पाए हैं.

हरियाणा की तरफ से महिला हॉकी के 9 खिलाड़ी, कुश्ती के 7, बॉक्सिंग के 4 और शूटिंग के भी 4 खिलाड़ी इन खेलों में हिस्सा ले रहे हैं.

पंजाब की बात करें तो पुरुष हॉकी टीम के 11 खिलाड़ी, महिला हॉकी टीम के 2, निशानेबाजी के 2, बॉक्सिंग का एक और एथलेटिक्स के 3 खिलाड़ी इन खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.

जनसंख्या में छोटे होने के बावजूद खेलों में इतने सफल क्यों?

जनसंख्या के मामले में छोटे राज्य होने के बावजूद हरियाणा और पंजाब खेलों में इतने सफल क्यों हैं? ये आज आपको जानना चाहिए. आपको कुछ उदाहरण देते हैं, ताकि आपको पूरी बात समझ में आ जाए.

जनसंख्या के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, लेकिन वहां का खेल बजट सिर्फ 255 करोड़ रुपये है, जबकि छोटा और कम जनसंख्या वाला राज्य होने के बावजूद हरियाणा का खेल बजट उत्तर प्रदेश से 37 प्रतिशत ज्यादा है. ये हाल तब है, जब उत्तर प्रदेश की GDP 20 लाख करोड़ रुपये और हरियाणा की 9 लाख करोड़ रुपये है.

राजस्थान से तुलना करेंगे तो पता चलेगा कि हरियाणा का खेल बजट राजस्थान के मुकाबले 4 गुना ज्यादा है. राजस्थान की सरकार ने अपने खिलाड़ियों पर सिर्फ 100 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि हरियाणा की सरकार ने करीब 400 करोड़ रुपये खर्च किए. राजस्थान की GDP भी हरियाणा के मुकाबले 4 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है.

राजस्थान की सरकार ओलम्पिक में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को 3 करोड़ रुपये देती है, तो हरियाणा की सरकार खिलाड़ियों की इस कामयाबी पर 6 करोड़ का इनाम देती है.

हरियाणा में ओलम्पिक खेलों की तैयारी के लिए खिलाड़ियों को 15 लाख रुपये मिलते हैं तो राजस्थान में इसी तैयारी के नाम पर सिर्फ 5 लाख रुपये दिए जाते हैं. इतना ही नहीं हरियाणा में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों के कोच को भी 20 लाख रुपये मिलते हैं, जबकि राजस्थान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.

इसी तरह खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के लिए हरियाणा में Sports Authority Of India के 22 सेंटर हैं, जबकि राजस्थान में ऐसे सेंटर्स की संख्या सिर्फ 9 है.

जाहिर है जब खिलाड़ियों को उनकी मेहनत के बदले में अच्छा पैसा और अच्छी सुविधाएं मिलती है, तो उनका प्रदर्शन भी बेहतर होता है.

सिर्फ ओलम्पिक्स ही नहीं, हरियाणा के खिलाड़ी दूसरे बड़े अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी शानदार प्रदर्शन करते हैं. उदाहरण के लिए 2018 के कॉमनवेल्थ खेलों में भारत ने कुल 66 मेडल जीते थे, जिनमें से 22 हरियाणा के खिलाड़ियों के नाम थे.

कृषि वाली संस्कृति का भी बड़ा रोल

हरियाणा और पंजाब के खिलाड़ियों के इस दम खम के पीछे इन राज्यों की कृषि वाली संस्कृति का भी बड़ा रोल है. हरियाणा और पंजाब आज भी एक कृषि प्रधान राज्य है और यहां के लोग साल भर अपने खेतों में कड़ा परिश्रम करते हैं. इसलिए ये लोग शारीरिक रूप से काफी मजबूत होते हैं और यही वजह है कि हरियाणा के ज्यादातर खिलाड़ी उन खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें शारीरक ताकत की बहुत जरूरत होती है, जैसे कुश्ती और बॉक्सिंग. हरियाणा के भिवानी और हिसार जैसे जिलों से देश को बेहतरीन मुक्केबाज और पहलवान मिलते रहे हैं.

कुल मिलाकर हरियाणा और पंजाब के खिलाड़ियों की इस कामयाबी के लिए आप प्रोत्साहन, परिश्रम और पुरस्कार की नीति को श्रेय दे सकते हैं. अगर भारत के बाकी राज्य भी इसी 'Tripple P' वाले फॉर्मूले को अपना लें, तो वो दिन दूर नहीं जब भारत ओलम्पिक्स जैसे खेलों में नए रिकॉर्ड्स बना पाएगा.

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