आज हम आपको शादियों पर किए गए एक ऐसे सर्वे के बारे में बताएंगे, जो 32 वर्षों तक चला. ये स्टडी इजरायल की Tel Aviv University ने 32 वर्षों तक की और इसके जो नतीजे निकल कर आए वो चौंकाने वाले हैं.
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नई दिल्ली: आज हम आपको शादियों पर किए गए एक ऐसे सर्वे के बारे में बताएंगे, जो 32 वर्षों तक चला. इस सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि अगर वैवाहिक जीवन में निराशा और तनाव हो तो पुरुषों में मौत का खतरा 19 प्रतिशत तक ज्यादा हो जाता है.
ये स्टडी इजरायल की Tel Aviv University ने 32 वर्षों तक की और इसके जो नतीजे निकल कर आए वो चौंकाने वाले हैं. आज हम इसी विषय पर आपके साथ एक छोटी सी चर्चा करेंगे.
भारत में शादी को जन्म-जन्मांतर का रिश्ता माना जाता है और बड़े-बुजुर्ग भी आशीर्वाद देते हुए यही कहते हैं कि भगवान इस जोड़ी को सदा ऐसे ही बनाए रखे.
एक अध्ययन के मुताबिक हमारे देश में हर साल एक करोड़ शादियां होती हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत शादियां हिन्दू धर्म में होती हैं. इनमें से अधिकतर शादियां जीवनभर चलती हैं और कभी तलाक की नौबत नहीं आती.
उदाहरण के लिए 135 करोड़ लोगों के भारत में तलाक दर सिर्फ 1 प्रतिशत है. यानी अगर 100 शादियां हुईं तो उनमें से सिर्फ एक ही शादी में तलाक की नौबत आती है और बाकी शादियां अटूट बंधन की तरह होती हैं.
हालांकि बहुत से मामलों में ऐसा भी होता है कि लोग अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं होते, लेकिन फिर भी अपने बच्चों और परिवार की जिम्मेदारियों की वजह से इस रिश्ते को बनाए रखते हैं और ये सिलसिला जीवन भर ऐसे ही चलता रहता है, लेकिन ये नई स्टडी कहती है कि अगर वैवाहिक जीवन में खुशी न हो तो ऐसी स्थिति में पुरुषों को मौत का खतरा 19 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.
ये स्टडी 32 वर्षों तक की गई और इसमें 40 या उससे ज्यादा उम्र के 9 हजार पुरुषों से बातचीत की गई. इस दौरान इन लोगों से उनके वैवाहिक जीवन को 1 से 4 के बीच रेटिंग्स देने के लिए कहा गया. इनमें जिन लोगों ने कहा कि वो अपनी शादी से खुश नहीं है, उनमें लगभग 70 प्रतिशत लोगों में हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा देखने को मिला.
इस स्टडी में एक और अहम बात ये कही गई है ऐसी शादियां जिनमें पति पत्नी ख़ुश न हों, वो धूम्रपान करने जितनी ही खतरनाक होती हैं. यानी अगर आप धूम्रपान नहीं करते लेकिन अपने वैवाहिक जीवन में भी ख़ुश नहीं हैं तो फिर समझ लीजिए कि आप हर दिन, हर घंटे और हर मिनट धूम्रपान करने जितना खुद को बीमार बना रहे हैं.
इस स्टडी को आज भारत के संदर्भ में भी समझने की जरूरत है. हमारे देश में समाज ऐसी उम्मीद करता है कि ये शादियां जीवन भर चलेंगी और चलती भी हैं. हिन्दू धर्म में तो मान्यता है कि शादियां सात जन्मों का रिश्ता होती हैं. और शायद यही वजह है कि भारत में तलाक बहुत कम होते हैं, जबकि दूसरे देशों में ऐसा नहीं है
उदाहरण के लिए -
-कनाडा में 100 में से 38 शादियां टूट जाती हैं.
-ऑस्ट्रेलिया में भी 38 प्रतिशत शादियां टूट जाती हैं.
-ब्रिटेन में 100 में से 42 शादियां तलाक की वजह से ख़त्म हो जाती हैं.
-अमेरिका में ऐसा 46 प्रतिशत मामलों में होता है.
-फ्रांस में तो तलाक की दर 55 प्रतिशत है.
-और Russia में ये आंकड़ा 51 प्रतिशत है.
हालांकि इस समय दुनिया में ऐसा कोई आधिकारिक डेटा मौजूद नहीं है, जिससे कि हम आपको ये बता सकें कि कितने लोग अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं हैं और तनाव में हैं और ऐसा इसलिए है क्योंकि, शादियों को निजी मामला माना जाता है, लेकिन हमें लगता है कि अगर बात जान पर आ जाए तो इस विषय पर चर्चा करना और भी जरूरी हो जाता है और इसीलिए हमने कुछ किताबों से इसमें मदद ली है.
वर्ष 2012 में अमेरिका के मशहूर लेखक Dana Adam Shapiro ने एक किताब लिखी थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि 100 में से सिर्फ 17 प्रतिशत कपल्स अपने पार्टनर्स के साथ खुश हैं. एक और लेखक विकी लार्सन ने कहा था कि हर 10 में से 6 कपल्स अपने रिश्ते को लेकर तनाव में महसूस करते हैं और हर 10 में से 4 लोगों ने कहा कि वो अपने पार्टनर्स को छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं.
अगर भारत की बात करें तो यहां लोगों के वैवाहिक जीवन में चाहे कितना ही तनाव क्यों न हो लेकिन ये शादियां चलती हैं और आख़िरी सांस तक रिश्ते निभाए जाते हैं और इसका सबसे बड़ा कारण है भारत में होने वाली Arrange Marriages.
अरेंज मैरिज का मतलब होता है आपसी सहमति से होने वाले विवाह, जिसमें, वर- वधू, समाज और दोनों पक्ष के परिवार वालों की रजामंदी शामिल होती है.
एक रिसर्च के मुताबिक, में भारत में 90 प्रतिशत अरेंज मैरिज होती है. यानी हर 100 में से 90 शादियों में वर-वधू, समाज और दोनों पक्ष के परिवार वालों की रजामंदी होती हैं.
एक सर्वे में हाल ही में ये बात पता चली थी कि भारत में आज भी 75 प्रतिशत युवा अरेंज मैरिज को सही मानते हैं और भारत में ये परम्परा आज से नहीं सदियों से है और भारत में कम शादियां टूटने की एक वजह यही है.
एक दूसरी वजह ये भी है कि हमारे देश में तलाक को गलत माना जाता है और समाज में तलाक लेने वाले लोगों को उतना सम्मान नहीं मिलता, जितना शादीशुदा जोड़े को मिलता है.
अरेंज शादियां सफल तो होती हैं, लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि लोग अपने वैवाहिक जीवन में खुश नहीं होकर भी इस रिश्ते को निभाते हैं और इसकी कई वजह होती हैं.
जैसे- बच्चों और परिवार के दूसरे सदस्यों के प्रति जिम्मेदारी
लोग क्या कहेंगे, इस बात का डर
रिश्तेदार रिश्ता तोड़ देंगे, इसका डर
और कई मामलों में तलाक के बाद आर्थिक समस्याओं का डर भी महिलाओं को शादियों से अलग नहीं होने देता.
शादी के बाद जो महिलाएं घर छोड़ कर चली जाती हैं, उनकी छवि भी भारत में गलत बन जाती है.
और तलाक के बाद तो परिवार को डर होता है कि दूसरी लड़कियों की शादी नहीं होगी और शायद इसी वजह से लोग शादी से खुश नहीं होकर भी इसे तोड़ते नहीं हैं.
हम भी मानते हैं कि शादियां वर्षों वर्षों तक चलनी चाहिए, लेकिन हम ये भी मानते हैं कि अगर कोई व्यक्ति चाहे पुरुष हो या महिला, अगर वो अपनै वैवाहिक जीवन में खुश नहीं हैं तो उसे कोशिश करनी चाहिए और अगर वो इस रिश्ते से अलग होना चाहता है तो इस फैसले का भी सम्मान होना चाहिए.
हो सकता है कि आज बहुत से लोग हमारी बातों से सहमत हों, लेकिन कुछ लोग इन बातों से नाराज भी हो सकते हैं, लेकिन हमारा मकसद किसी को नाराज करना नहीं है, बल्कि जागरूक करना है. आपको हमेशा ये बात याद रखनी है कि जिस रिश्ते में घुटन हो, उसमें खुशी हो ही नहीं सकती.