इस बार सरकार ने इनकम टैक्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. ऐसी उम्मीद थी कि सरकार टैक्स में छूट दे सकती है ताकि लोगों के हाथों में ज्यादा पैसा रहे और वो ये पैसा बाजार में खर्च कर सकें. लेकिन सरकार ने अपनी आय और खर्च में बड़े अंतर की वजह से इस तरह की कोई छूट नहीं दी.
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नई दिल्ली: कल 1 फरवरी 2021 को संसद में देश का आम बजट पेश किया गया और दिनभर इस पर खूब चर्चा हुई. लेकिन आम भाषा में और आम लोगों के लिए इस बजट का क्या महत्व है और ये कैसे भारत की नई दशा और दिशा को निर्धारित करेगा. इसे आज हम आपको संक्षेप में समझाएंगे.
सबसे पहले जानिए कि इस बजट का मूल स्वभाव क्या है. दरअसल, ये बजट पूरी तरह स्वास्थ्य पर आधारित है और इसे अब आप 5 पॉइंट्स में समझिए.
-पहली बात देश के नागरिकों का स्वास्थ्य अच्छा हो. इसका ध्यान इसमें रखा गया है. इसके लिए स्वास्थ्य बजट में सबसे ज्यादा वृद्धि की गई है. जो 137 प्रतिशत है.
-दूसरी बात Goverment Assets यानी सरकारी सम्पत्तियों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं. जैसे LIC में अब IPO होगा. यानी सरकार LIC के शेयर, बाजार में उतार सकेगी. इसी तरह दूसरी कंपनियों के लिए भी ऐलान किए गए हैं.
-तीसरी बात देश की इकोनॉमी का स्वास्थ्य अच्छा हो. बजट में इस पर भी जोर दिया गया है. जैसे छोटी कंपनियों की परिभाषा बदली जाएगी और ये होगा कंपनियों की कैपिटल वैल्यू के आधार पर. जैसे शेयर मार्केट में किसी कंपनी की वैल्यू दो करोड़ रुपये है और उसका सालाना टर्नओवर 20 करोड़ रुपये है, तो वो छोटी कंपनी मानी जाएगी. पहले ये सीमा सिर्फ 50 लाख रुपये थी. आप कह सकते हैं कि इससे देश की इकोनॉमी में स्टार्ट अप कंपनियां भी ईंधन की तरह काम करेंगी।
-चौथी बात शहरों का स्वास्थ्य अच्छा होगा. सरकार ने 10 लाख से ज़्यादा आबादी वाले 42 शहरों में वायु प्रदूषण पर दो हजार 217 करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया है. इसके अलावा शहरों की साफ सफाई पर अगले 5 वर्षों में एक लाख 41 हजार 678 करोड़ रुपये देने की बात कही है. भारत में शहरों में रहने वाले लोगों की आबादी लगभग 47 करोड़ है. यानी सरकार के इस ऐलान का इन लोगों को सबसे ज्यादा फायदा होगा.
-और आखिरी पॉइंट दुनिया के साथ भारत के रिश्तों का स्वास्थ्य अच्छा रहे. इसका भी इस बजट में ध्यान रखा गया है. इसके लिए भूटान, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, बांग्लादेश और श्रीलंका समेत 10 देशों को लगभग 6 हजार करोड़ रुपये की मदद भारत सरकार देगी.
सरल शब्दों में कहें तो ये वो 5 चीजें हैं जिनके लिए आम बजट किसी दवाई की तरह काम करेगा और सबसे अहम स्वस्थ होने के लिए कड़वी गोलियां तो खानी ही पड़ती हैं साथ ही अनुशासन भी दिखाना पड़ता है. लेकिन हमारे देश के लोगों में अनुशासन की मात्रा बहुत कम है. लोग इंस्टैंट बदलाव में विश्वास रखते हैं और ऐसा नहीं होने पर अपना धैर्य खो देते हैं. लेकिन हम कहना चाहते हैं कि जैसे एक बीमार शरीर स्वस्थ होने में समय लेता है. ठीक वैसे ही किसी भी देश को स्वस्थ होने में समय लगता है, जिसके संकेत इस आम बजट में साफ देखे जा सकते हैं.
-इस बार सरकार ने इनकम टैक्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. ऐसी उम्मीद थी कि सरकार टैक्स में छूट दे सकती है ताकि लोगों के हाथों में ज्यादा पैसा रहे और वो ये पैसा बाजार में खर्च कर सकें. लेकिन सरकार ने अपनी आय और खर्च में बड़े अंतर की वजह से इस तरह की कोई छूट नहीं दी. यानी सरकार का पूरा ध्यान खर्च बढ़ाने पर था इसलिए वो अपनी आय में कटौती नहीं कर सकती थी. जैसा आप भी करते होंगे.
-75 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले ऐसे बुजुर्ग जिनकी आय केवल पेंशन और उसके ब्याज से होती है उन्हें अब इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरना होगा. इससे वरिष्ठ नागरिकों की परेशानी कम होगी क्योंकि, देश इस समय भी कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहा है और इससे सबसे ज्यादा खतरा बुज़ुर्गों को ही है. ऐसे में सरकार का ये फैसला भी काफी महत्वपूर्ण है.
-Insurance Sector में सरकार ने Foreign Direct Investment की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ा कर 74 प्रतिशत कर दी है. सरल शब्दों में कहें, तो इससे अब आपको कम कीमत पर बीमा की ज्यादा सुरक्षा मिल सकेगी और Insurance Sector में भी कई बदलाव आएंगे. भारत की कुल GDP में Insurance Sector की भागीदारी सिर्फ 3.7 प्रतिशत ही है जबकि दुनिया में ये आंकड़ा औसतन 6.31 प्रतिशत है यानी भारत में अब भी करोड़ों लोग इस सेक्टर से दूर हैं. ऐसे में जब विदेशी निवेश से इस सेक्टर में कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तो ये तस्वीर बदल सकती है.
-बैंकों के डूबने पर अब ग्राहकों को मिलने वाली गारंटी राशि एक लाख रुपये से बढ़ा कर 5 लाख रुपये कर दी गई है. इसका मतलब है कि अगर आपने किसी बैंक में अपना पैसा जमा कर रखा है और वो बैंक गलत नीतियों की वजह से डूब जाता है तो सरकार से आपको 5 लाख रुपये मिलेंगे ही. इससे सरकार ने बैंकों को लेकर ग्राहकों के मन में बैठा डर कम करने की कोशिश की है.
-बजट में सरकार ने आपकी गाड़ियों की उम्र भी तय कर दी है. अब निजी वाहन 20 साल ही चल सकेंगे और कमर्शियल वाहनों पर ये सीमा 15 साल होगी. HDFC बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 तक 2 करोड़ 80 लाख वाहन सड़क पर नहीं चल पाएंगे और इन गाड़ियों के स्क्रैप होने से 43 हजार करोड़ रुपये का नया व्यापार खड़ा हो जाएगा. इसके अलावा ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी नई रफ्तार मिलेगी और रोजगार के भी नए अवसर पैदा होंगे. यानी सरकार का ये कदम गेम चेंजर साबित हो सकता है.
-आप किस कंपनी की बिजली सप्लाई चाहते हैं. ये तय करने का अधिकार भी अब आपको होगा. अभी इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसकी वजह से लोगों में बिजली कंपनियों के खिलाफ नाराजगी दिखती है और ये कंपनियां मनमानी भी करती हैं. लेकिन अब सरकार के इस ऐलान से बिजली उपभोक्ताओं को काफी फायदा होगा.
-स्टार्ट अप्स के लिए टैक्स में छूट एक साल के लिए बढ़ गई है. ये कितना महत्वपूर्ण है इसे आप इस बात से समझ सकते हैं कि पिछले वर्ष लॉकडाउन और कोरोना वायरस की वजह से स्टार्ट अप्स को ही बहुत नुकसान हुआ था. जिसे देखते हुए सरकार ने इस छूट का ऐलान किया है. सरकार को उम्मीद है कि इससे Startups को बढ़ावा मिलेगा.
-10 लाख से कम आबादी वाले छोटे शहरों में सस्ती मेट्रो सेवा शुरू होगी और आप कह सकते हैं कि ये मेट्रो सेवा इन शहरों में विकास की नई सम्भावनाओं को तलाशेंगी और साथ ही इससे परिवहन की सुविधाएं भी अच्छी होंगी
-इनकम टैक्स चोरी के किसी भी मामले में अब 3 साल तक ही कार्रवाई हो सकती है. पहले ये समय सीमा 6 साल थी. इससे कोर्ट पर पेंडिंग मामलों का दबाव कम होगा और आय कर विभाग के सामने तय समय में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की चुनौती होगी.
-सबसे आखिरी बात ये कि देश में NGO के सहयोग से 100 नए सैनिक स्कूल खोले जाएंगे. इसका बड़ा मकसद है पब्लिक स्कूल की शिक्षा को आम आदमी की पहुंच में लाना यानी बजट की इस घोषणा का भी देश के लोगों को आने वाले समय में काफी फायदा होगा.
अब आप ये समझिए कि इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं होने के बावजूद आपका खर्च कैसे बढ़ सकता है. इसके लिए सबसे पहले आपको Direct और Indirect Taxes में अंतर समझना होगा.
Direct Tax का मतलब इनकम और कॉरपोरेट कंपनियों से मिलने वाले टैक्स से है और Indirect Taxes का मतलब GST से या ऐसे टैक्सेज से है, जो देश का अमीर भी देता है और गरीब भी.
सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब में तो कोई बदलाव नहीं किया है. लेकिन Indirect Taxes में कुछ बदलाव हुए हैं, जिनका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा.
सरकार ने कई वस्तुओं पर Agriculture Infrastructure and Development Cess लगाने की बात कही है. ये एक नए तरह का सेस है, जो इससे पहले नहीं था. जैसे सोना और चांदी पर 2.5 प्रतिशत, शराब पर 100 प्रतिशत, काबुली चना पर 30 प्रतिशत और मसूर की दाल पर 20 प्रतिशत सेस लगाया जाएगा. जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा और ये सारी चीजें महंगी हो जाएंगी. हालांकि यहां समझने वाली बात ये है कि इससे जो भी राशि सरकार को मिलेगी. वो देश के किसानों पर खर्च की जाएगी.
टैक्स से जुड़ी एक और अहम बात ये है कि 2014 से 2020 के बीच देश में इनकम टैक्स रिटर्न भरने वाले लोगों की संख्या तीन करोड़ 31 लाख से बढ़ कर साढ़े 6 करोड़ हो चुकी है.
- नौकरीपेशा वर्ग को Affordable Housing के लिए होम लोन के ब्याज पर मिलने वाली छूट एक साल और बढ़ाई गई है. लेकिन इनकम टैक्स में कोई नई छूट नहीं मिली है और PF में ढाई लाख से ज्यादा रुपये जमा करने वालों पर टैक्स लगेगा.
- युवा और छात्रों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी खबर है. देश में 100 नए सैनिक स्कूल खोले जाएंगे और 15 हजार आदर्श स्कूल बनेंगे. वर्ष 2022 तक Startups को टैक्स से छूट दी गई है. हालांकि युवाओं के लिए नई नौकरियों के बारे में कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई है.
- अब देश की एक करोड़ महिलाओं को उज्जवला योजना के जरिए रसोई गैस का कनेक्शन मुफ्त में मिलेगा. कस्टम ड्यूटी में कमी के बाद महिलाओं की जूलरी सस्ती, लेकिन दालें महंगी हो जाएंगी.
- कस्टम ड्यूटी में कमी की वजह से किसानों के लिए कृषि उपकरण सस्ते होंगे. उन्हें खेती के लिए 16 लाख करोड़ तक का कर्ज मिलेगा. ये पहले से 10 प्रतिशत ज्यादा है. हालांकि किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत मिलने वाले पैसे नहीं बढ़ाए गए हैं. अभी किसानों को हर वर्ष तीन किस्तों में 6 हजार रुपये मिलते हैं.
- और 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को IT Return भरने की जरूरत नहीं है. हालांकि बुजुर्गों को सिर्फ पेंशन पर ये छूट मिलेगी, बाकी हर तरह की कमाई पर उन्हें टैक्स देना होगा.
सरकार का अनुमान है कि देश की GDP का विकास V Shape जैसा होगा और आप चाहें तो इसे विकास की विक्ट्री शेप भी कह सकते हैं. कोरोना की वजह से GDP विकास दर में जो गिरावट पिछले 1 वर्ष में हुई है. उसकी न सिर्फ भरपाई हो जाएगी, बल्कि अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 में GDP विकास दर 11 प्रतिशत से ज्यादा हो सकती है.
दुनिया में आर्थिक स्थिरता के लिए काम करने वाली संस्था International Monetary Fund का अनुमान है कि अगले कारोबारी साल में दुनिया में सबसे ज्यादा GDP ग्रोथ रेट भारत की होगी. ये 11.5 प्रतिशत हो सकती है. वर्ष 2020 में जहां दुनियाभर के देशों में Foreign Direct Investment 42 प्रतिशत तक घटा तो भारत में ये तस्वीर पूरी तरह अलग नजर आई. भारत में FDI में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और इस मामले में हमारा देश पहले स्थान पर रहा. हमारे बाद चीन दूसरे स्थान पर है, जहां FDI में 4 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
कल दिनभर एक Fake News की भी खूब चर्चा हुई है. बजट की घोषणा के बाद ये दावा किया गया कि अब पेट्रोल और डीजल महंगा हो जाएगा क्योंकि, सरकार ने डीजल पर 4 रुपए और पेट्रोल पर ढाई रुपए प्रति लीटर की दर से AGRI INFRA CESS लगा दिया है, पर ये एक फेक न्यूज़ थी. सच्चाई ये है कि AGRI INFRA CESS की वजह से पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ेंगे क्योंकि, पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी उतनी ही कम कर दी गई है जितना सेस बढ़ाया गया है. इसलिए सेस तो लगा है पर इसकी वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं बढ़ेंगी.