DNA ANALYSIS: जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित की हत्या पर खुश होने वाले कौन हैं?
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DNA ANALYSIS: जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित की हत्या पर खुश होने वाले कौन हैं?

40 वर्ष के अजय पंडिता अपने गांव वालों की सेवा करना चाहते थे और उन्हें लोकतंत्र में पूरा विश्वास था. लेकिन सोमवार शाम कुछ आतंकवादियों ने गोली मारकर अजय पंडिता की हत्या कर दी. 

DNA ANALYSIS: जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित की हत्या पर खुश होने वाले कौन हैं?

नई दिल्ली: कश्मीरी पंडित आज से करीब 30 वर्ष पहले अपने ही घरों से निकाल दिए गए थे. उन घरों से, जिनमें वो कई पीढ़ियों से रह रहे थे. 19 जनवरी 1990 की रात को कश्मीरी पंडितों के सामने तीन विकल्प रखे गए थे. पहला ये कि वो इस्लाम कबूल कर लें. दूसरा ये कि वो कश्मीर छोड़कर चले जाएं और तीसरा ये कि दोनों विकल्प नहीं चुनने पर वो मरने के लिए तैयार रहें. 

इसके बाद रातों रात लाखों कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ना पड़ा था और लाखों कश्मीरी पंडित आज भी अपने ही देश में विस्थापितों का जीवन बिता रहे हैं. लेकिन आज से करीब 2 वर्ष पहले एक कश्मीरी पंडित ने घाटी में वापस लौटने का फैसला किया. इस कश्मीरी पंडित का नाम था अजय पंडिता. ये तब कि बात है जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया नहीं गया था, लेकिन अजय पंडिता को यकीन था कि कश्मीर लौटने पर उन्हें पहले जैसा सम्मान और सुरक्षा मिल जाएगी. 

अजय पंडिता कश्मीरियत और जम्हूरियत में विश्वास रखते थे. इसलिए वो ना सिर्फ कश्मीर लौटे बल्कि उन्होंने अनंतनाग से सरपंच का चुनाव लड़ा और वो जीत भी गए. 40 वर्ष के अजय पंडिता अपने गांव वालों की सेवा करना चाहते थे और उन्हें लोकतंत्र में पूरा विश्वास था. लेकिन सोमवार शाम कुछ आतंकवादियों ने गोली मारकर अजय पंडिता की हत्या कर दी. फिलहाल जम्मू कश्मीर पुलिस आतंकवादियों की तलाश कर रही है लेकिन माना जा रहा है कि ये हत्या नए आतंकवादी संगठन The Resistance Front यानी TRF ने की है. TRF लश्कर-ए-तैयबा का ही बदला हुआ नाम है. 

अजय पंडिता कांग्रेस से संबंध रखते थे. लेकिन हैरानी की बात ये है कि कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों ने इस हत्या की निंदा तो की है. लेकिन ये निंदा किसी खानापूर्ति से कम नहीं है. क्योंकि इस साल जब जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनाव कराए जाने का ऐलान हुआ था तब कांग्रेस समेत तमाम पार्टियों ने इसे शक की निगाह से देखा था और कांग्रेस ने तो ये शर्त तक रख दी थी कि पहले गिरफ्तार किए गए कश्मीरी नेताओं को रिहा किया जाए फिर वो चुनाव लड़ेगी.

कश्मीर की कई राजनीतिक पार्टियों ने तो अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोध में चुनावों का बहिष्कार करने की बात कही थी और अलगाववादियों और आतंकवादियों ने चुनाव कराए जाने पर धमकियां तक दी थीं.

हालांकि सुरक्षा कारणों से ये चुनाव टाल दिए गए थे. लेकिन इस दौरान इन सभी राजनीतिक पार्टियों की पोल खुल गई और आज अजय पंडिता की हत्या पर इन राजनैतिक पार्टियों का ये गुस्सा झूठ के सिवा कुछ नहीं लग रहा. 

जब हमारे ही देश के कुछ लोग लोकतंत्र के खिलाफ हो जाते हैं उससे जुड़ी प्रक्रियाओं पर शक करने लगते हैं तब पाकिस्तान जैसे देशों और आतंकवादियों के हौसले बुलंद होते हैं और आतंकवादी इतने वर्षों के बाद एक बार फिर कश्मीरी पंडितों का खून बहाने की हिम्मत कर पाते हैं. आपको इस हत्याकांड पर आई प्रतिक्रियाएं सुननी चाहिए.

देखें DNA-

कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि इस कश्मीरी पंडित की हत्या नए डोमिसाइल कानून के विरोध में की गई है. इस कानून के तहत अगर कोई भी व्यक्ति 15 वर्षों से जम्मू और कश्मीर में रह रहा है , या फिर उसने सात वर्षों तक जम्मू-कश्मीर में पढ़ाई की है या फिर उसने जम्मू कश्मीर में 10वीं और 12वीं की परीक्षा दी है तो उसे जम्मू कश्मीर का मूल निवास प्रमाण पत्र दिया जाएगा, और ऐसा ना करने वाले अधिकारियों पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा और जुर्माने की ये राशि उस अधिकारी की तनख्वाह से काटी जाएगी. 

इस नए कानून की वजह से उन हजारों लाखों लोगों को जम्मू कश्मीर में वो सारे अधिकार मिल पाएंगे जिनसे अनुच्छेद 35A की आड़ में वंचित कर दिया गया था. इन नए कानून का पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियों ने विरोध किया है और कहा है कि ये जम्मू कश्मीर की जनसंख्या बदलने की साजिश है. हैरानी इस बात की है जब ये पार्टियां खुद कश्मीर में सत्ता में थी और जब वहां से लाखों हिंदुओं को रातों रात भागने पर मजबूर कर दिया गया तब इन पार्टियों को इसमें जनसंख्या बदलने की साजिश नजर नहीं आई. लेकिन आज जब हजारों लाखों लोगों को उनका हक दिया जा रहा है तो इन्हें इसमें साजिश नजर आ रही है. 

30 वर्ष पहले जब कश्मीरी पंडितों को इस्लाम कबूल करने, कश्मीर छोड़कर चले जाने या मारे जाने के विकल्प दिए जा रहे थे तब इन पार्टियों ने कभी इसका विरोध नहीं किया. अब आप सोचिए एक स्वतंत्र देश में वहां के नागरिकों के सामने, जब ऐसे विकल्प रखे जाते हैं तब सही मायने में उस देश के संविधान को चोट पहुंचती है या फिर तब, जब वो देश सताए हुए लोगों को उनके अधिकार देता है. 

कश्मीर में एक हिंदू सरपंच की हत्या पर अब कुछ लोगों ने नफरत फैलानी भी शुरू कर दी है. सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग इस हिंदू सरपंच की हत्या का समर्थन कर रहे हैं, और ये लोग कह रहे हैं कि इस सरपंच को मारकर आतंकवादियों ने शानदार काम कर दिया है. अब आप खुद समझ सकते हैं कि कैसे कुछ लोग कश्मीर को सामान्य नहीं होने देना चाहते और ये लोग कश्मीर को हमेशा धर्म के नाम पर दो हिस्सों में बांटकर रखना चाहते हैं. 

कश्मीर में एक कश्मीरी पंडित की हत्या की खबर को आधार बनाकर आज से हम DNA में एक नई परंपरा शुरू कर रहे हैं. जिसका नाम है दृष्टिकोण. Zee News देश का सबसे पुराना प्राइवेट न्यूज चैनल है. भारत में खबरों को सरकार से स्वतंत्र बनाने का श्रेय भी Zee News को ही जाता है. इसकी शुरुआत डॉक्टर सुभाष चंद्रा ने की थी. आप इसे आजाद भारत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मान सकते हैं. 

इसी तरह DNA आप सबका पंसदीदा न्यूज शो है, और ये टेलिविजन पर दिखाया जाने वाला पहला ऐसा प्राइम टाइम न्यूज शो है, जिसमें सिर्फ खबरें नहीं दिखाई जातीं बल्कि आप और हम मिलकर तमाम मुद्दों पर एक संवाद करते हैं. आपके इसी भरोसे के दम पर Zee News पिछले 262 हफ्तों से नंबर 1 प्राइम टाइम शो बना हुआ है. ये अपने आप में एक कीर्तिमान है और इसके लिए हम आपको धन्यवाद कहना चाहते हैं. DNA के माध्यम से हमने पूरी दुनिया को ये संदेश देने की कोशिश की है कि हर खबर पर परिवार के बीच बातचीत होनी चाहिए और ये परिवार आपसे और हमसे मिलकर बनता है. आज इसी परंपरा को आगे बढाते हुए हम आज से एक विशेष पहल शुरू कर रहे हैं. जिसे हमने दृष्टिकोण नाम दिया है. 

इसके तहत हम हर खबर पर आपको अपना दृष्टिकोण बताएंगे और आप अलग-अलग माध्यमों से अपनी राय हम तक पहुंचा सकते हैं. ये राय आप मेरे और Zee News के ट्विटर हैंडल के जरिए हम तक पहुंचा सकते हैं. दृष्टिकोण में आज हम आपके सामने तीन बातें रखना चाहते हैं. 

पहली बात- जम्मू कश्मीर से विस्थापित किए गए लाखों हिंदुओं की घर वापसी जल्द से जल्द होनी चाहिए और उन्हें पूरी सुरक्षा और सम्मान के साथ उनका हक वापस मिलना चाहिए. 

दूसरी बात-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की बात करने वालों के लिए और इसे समर्थन देने वालों के लिए राजनीति में कोई जगह नहीं होनी चाहिए. 

तीसरी बात - जो लोग कश्मीर से हिंदुओं और सिखों के पलायन के लिए जिम्मेदार रहे हैं उनके खिलाफ एक ट्रायल होना चाहिए और इस ट्रायल के तहत उन तमाम लोगों को सजा मिलनी चाहिए जो हजारों कश्मीरी पंडितों की मौत और लाखों कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के लिए जिम्मेदार हैं. अगर आप हमारे दृष्टिकोण से सहमत हैं तो आप हमें ये बात जरूर बताएं. 

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