DNA ANALYSIS: प्रवासियों के नाम पर विपक्ष चला रहा 'राजनीति की रेल'
Advertisement
trendingNow1676603

DNA ANALYSIS: प्रवासियों के नाम पर विपक्ष चला रहा 'राजनीति की रेल'

कोरोना वायरस से लड़ाई में अब तक केंद्र सरकार ने यही किया है. लेकिन इस देश का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े संकटकाल में भी मुद्दों को भावुक बनाकर विपक्ष की राजनीति हो रही है. 

DNA ANALYSIS: प्रवासियों के नाम पर विपक्ष चला रहा 'राजनीति की रेल'

किसी भी संकट में फैसले भावुक होकर नहीं किए जाते, फैसले समझदारी से और जमीनी हकीकत देखकर किए जाते हैं. कोरोना वायरस से लड़ाई में अब तक केंद्र सरकार ने यही किया है. लेकिन इस देश का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े संकटकाल में भी मुद्दों को भावुक बनाकर विपक्ष की राजनीति हो रही है. आज मजदूरों के मामले में भी यही राजनीति हुई है. जिसका सच हम आपको बताते हैं.

  1. आज इस बात पर राजनीति हुई कि इस संकटकाल में मजदूरों से भी रेलवे किराया वसूल रही है.
  2. सच ये है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए रेलवे किसी भी पैसेंजर से कोई पैसा नहीं ले रहा है.
  3. ट्रेनों के आने जाने पर जितना खर्च हो रहा है उसका 85 प्रतिशत खर्च रेलवे ही उठा रहा है.

आपको पता होगा कि सरकार ने 1 मई यानी पिछले शुक्रवार को श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया था. जिनके जरिए अलग राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों और तीर्थयात्रियों को उनके अपने राज्य में पहुचांया जा रहा है. लेकिन आज इस बात पर राजनीति हुई कि इस संकटकाल में मजदूरों से भी रेलवे किराया वसूल रही है. ऐसा सुनने में किसी को भी अच्छा नहीं लगेगा कि जो लोग 40 दिन से संकट में हैं उनसे किराया भी लिया जा रहा है. कांग्रेस और उसके नेता केंद्र सरकार को कोसने में जुट गए कि गरीब मजदूरों के साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कह दिया कि मजदूरों के रेल किराए का खर्च कांग्रेस उठाएगी. लेकिन जिस मुद्दे पर ये राजनीति हो रही है उसका सच क्या है वो हम आपको बताते हैं.

सच ये है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए रेलवे किसी भी पैसेंजर से कोई पैसा नहीं ले रहा है. इन ट्रेनों के आने-जाने पर जितना खर्च हो रहा है उसका 85 प्रतिशत खर्च रेलवे ही उठा रहा है. बाकी का 15 प्रतिशत हिस्सा रेलवे उन राज्य सरकारों से ले रहा है जहां से ट्रेन चल रही हैं. राज्यों ने खुद केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि मजदूरों को उनके राज्यों में ले जाने के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएं. इसके बाद ही केंद्र सरकार ने स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया था. जिसमें करीब 15 राज्यों में 45 स्पेशल ट्रेन चल रही हैं.

लेकिन इस पर राजनीति तब शुरू हो गई, जब ये खबरें आईं कि महाराष्ट्र, केरल और राजस्थान जैसे राज्यों ने मजदूरों से रेलवे टिकट के पैसे लिए. महाराष्ट्र और राजस्थान में तो खुद कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों की सरकार है. इसके बाद कांग्रेस और सोनिया गांधी की टीम ने ये कहना शुरू कर दिया कि केंद्र सरकार मजदूरों से पैसे ले रही है और मजदूरों के किराए का पूरा पैसा कांग्रेस चुकाएगी. जबकि पहली बात ये है कि रेलवे ने किसी मजदूर से कोई पैसा नहीं लिया और दूसरी बात ट्रेन के खर्च का 15 प्रतिशत राज्य सरकारों से ही लिया. जिसमें कई राज्य सरकारों ने रेलवे को पैसे दे भी दिए हैं.

अब सवाल ये है कि जब 85 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार उठा रही है और बाकी का 15 प्रतिशत खर्च राज्य सरकारें उठा रही हैं तो फिर कांग्रेस के नेता क्यों ऐसी बातें करके सबको धोखा दे रहे हैं कि मजदूरों के किराए का पैसा कांग्रेस पार्टी देगी. ये तो खुद कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि क्यों महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में मजदूरों से रेलवे टिकट के पैसे लिए गए. जहां कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों की सरकार है. जबकि सच ये भी है कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे कई राज्यों ने मजदूरों से कोई किराया नहीं लिया.

रेलवे के मुताबिक अब तक जितनी श्रमिक स्पेशल ट्रेन चली हैं और जितने यात्री अब तक उन ट्रेनों से ले जाए गए हैं उनका किराया करीब 23 करोड़ 35 लाख रुपये होता है. लेकिन रेलवे को इसमें सिर्फ 3 करोड़ 60 लाख रुपये ही मिले हैं यानी अब तक रेलवे को करीब 19 करोड़ 75 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. सवाल ये है कि क्या ये 19 करोड़ 75 लाख रुपये कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी चुकाएंगी?

भारतीय रेलवे पहले से ही किराए पर करीब 50 प्रतिशत सब्सिडी देती है यानी आपकी टिकट का आधा पैसा सरकार देती है और आधा पैसा आप देते हो. इसलिए रेलवे पर सवाल उठाने का कोई तुक नहीं बनता है. हम आपको श्रमिक स्पेशल ट्रेन में रेलवे के खर्च के बारे में समझा देते हैं.

मान लीजिए एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का खर्च 100 रुपये है. तो इसमें 43 रुपये की सब्सिडी है. यानी 57 रुपये ही बचे. श्रमिक स्पेशल ट्रेन पूरी भरी हुई नहीं जाती. सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से सिर्फ 2 तिहाई सीट पर ही यात्री होते हैं. इसका मतलब ये है कि 57 रुपये का दो तिहाई हिस्सा यानी 38 रुपये ही बचे. क्योंकि ये ट्रेन यात्रियों को छोड़कर वापस खाली आती है इसलिए 38 रुपये दो हिस्सों में बांट दिए जाएंगे. ऐसे में सिर्फ 19 रुपये ही बचते हैं. 19 रुपये में 4 रुपये यात्रियों के खाने-पीने और ट्रेन की साफ-सफाई पर जाते हैं इसलिए बचे सिर्फ 15 रुपये. यही 15 रुपये रेलवे राज्य सरकारों से ले रही है.

जो लोग ये सवाल उठाते हैं कि लॉकडाउन में गरीबों के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है और इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं. वो लोग पूरा सच जानकर भी देश को गुमराह कर रहे हैं. क्योंकि सच ये है कि लॉकडाउन के असर से गरीबों को बचाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से लगातार आर्थिक मदद राशि पहुंचाई जा रही है. इसके लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का इस्तेमाल किया जा रहा है. ताकि मदद सीधे जरूरतमंदों तक पहुंचे. 

30 अप्रैल तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 33 करोड़ से अधिक गरीबों को कुल 34 हजार 670 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता दी गई है. इसमें प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत करीब 20 करोड़ 5 लाख महिला जनधन खातों में 500-500 रुपये की किश्तों में पैसा ट्रांसफर किया गया है. जिसके जरिए करीब 10 हजार 29 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी जा चुकी है

प्रधानमंत्री किसान योजना की किश्त के तौर पर 8 करोड़ 18 लाख किसानों के खातों में दो-दो हजार रुपये ट्रांसफर किए गए हैं जिसके तहत कुल 16 हजार 363 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है.

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत लगभग 2 करोड़ 81 लाख वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगजनों को 500-500 रुपये की मासिक किश्त के जरिए करीब 1405 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी गई है.

भवन और निर्माण कार्यों में लगे 2 करोड़ 19 लाख श्रमिकों को करीब 3488 करोड़ रुपये आर्थिक मदद के तौर पर दिए गए हैं.

कर्मचारी भविष्य निधि के 8 लाख 72 हजार से ज्यादा अंशधारकों के खातों में 2743 करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की गई है.

इसके अलावा सरकार की तरफ से 41 हजार 797 लोगों के EPF खातों में 639 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जमा करवाई गई है.

सरकार ने उज्जवला योजना के तहत एक अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच 4 करोड़ 53 लाख से ज्यादा मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर बांटे हैं

54 करोड़ 55 हजार लोगों को 27 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा मुफ्त अनाज बांटा गया है.

Trending news