DNA ANALYSIS: स्कूल खुलेंगे तो कोरोना बढ़ेगा? UNICEF और WHO की रिपोर्ट का डराने वाला सच
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DNA ANALYSIS: स्कूल खुलेंगे तो कोरोना बढ़ेगा? UNICEF और WHO की रिपोर्ट का डराने वाला सच

कोरोना वायरस के दौर में स्कूल खोलने को लेकर UNICEF और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक स्टडी की तो उनकी रिपोर्ट में परेशान कर देने वाला सच सामने आया.

DNA ANALYSIS: स्कूल खुलेंगे तो कोरोना बढ़ेगा? UNICEF और WHO की रिपोर्ट का डराने वाला सच

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के दौर में स्कूल खुलने चाहिए या नहीं ? इसे जानने के लिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNICEF और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक स्टडी की. इसकी रिपोर्ट में परेशान कर देने वाला सच सामने आया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के करीब 43 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों के लिए साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है. दुनिया के करीब 24 प्रतिशत स्कूलों में हाथ धोने के लिए न पानी उपलब्ध है और न ही साबुन. जबकि 19 प्रतिशत स्कूलों में पानी तो उपलब्ध है लेकिन साबुन की सुविधा नहीं है. यानी दुनिया के हर पांच में से दो स्कूलों में साबुन से हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध नहीं है. जो कोरोना से बचने के लिए बेहद ज़रूरी है.

  1. दुनिया के 24 प्रतिशत स्कूलों में हाथ धोने के लिए पानी- साबुन उपलब्ध नहीं है
  2. कोरोना की वजह से पूरी दुनिया में 150 करोड़ से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है
  3. अमेरिका में स्कूल खुले तो 97 हजार बच्चे संक्रमित हो गए
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रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दुनिया के 42 प्रतिशत Secondary Schools और 56 प्रतिशत Primary Schools में हाथ धोने की उचित सुविधा नहीं है. ग्रामीण इलाकों में हालत और भी ज़्यादा ख़राब है. जहां तीन में से दो स्कूलों में साबुन से हाथ धोने की व्यवस्था नहीं है.  कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में स्कूलों को बंद करना पड़ा. जिससे 190 देशों में 150 करोड़ से ज़्यादा छात्र प्रभावित हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर हाथ धोने की उचित व्यवस्था किये बिना स्कूल दोबारा खोल दिये गये तो इससे दुनियाभर में करीब 82 करोड़ बच्चों के कोरोना महामारी से संक्रमित होने का ख़तरा है.

एशिया- अफ्रीका के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित
इनमें से सबसे ज़्यादा, करीब 30 करोड़ बच्चे, सब-सहारा अफ्रीका में हैं. करीब साढ़े बारह करोड़ मध्य और दक्षिणी एशिया में रहते हैं. जिनमें से नौ करोड़ से ज़्यादा बच्चे भारत में रहते हैं. जो स्कूलों में साबुन और पानी से हाथ धोने की सुविधा से वंचित हैं. अब, जब भी सरकार स्कूल खोलने का फ़ैसला लेगी तो हर स्कूल को ये सुनिश्चित करना पड़ेगा कि बच्चों को साबुन से हाथ धोने की व्यवस्था हो. लेकिन सवाल ये है कि स्कूलों में ऐसी मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए भी कोरोना जैसी महामारी का इंतज़ार क्यों करना पड़ता है? यूनिसेफ की ये रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब भारत समेत दुनिया के कई देशों में ये विचार किया जा रहा है कि स्कूलों को कब से और कैसे खोला जा सकता है. 

अमेरिका में स्कूल खुले तो 97 हजार बच्चे संक्रमित हो गए
इसी बीच अमेरिका में एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसके मुताबिक जुलाई के अंतिम दो हफ्तों में पूरे अमेरिका में 97 हज़ार से ज़्यादा बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. जिसके बाद विशेषज्ञ राय दे रहे हैं कि अमेरिका में अभी स्कूल नहीं खोले जाने चाहिए. हालांकि अमेरिका के कुछ राज्यों ने स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है. जहां ये डर सच साबित हो रहा है. अमेरिका के राज्य, जॉर्जिया में 3 अगस्त से स्कूल दोबारा खोले गए थे. जिसके बाद से अब तक ढाई सौ से ज़्यादा छात्र और शिक्षक कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इसकी वजह ये है कि वहां स्कूल तो खोल दिये गये लेकिन Social Distancing और मास्क पहनने जैसे नियमों का पालन नहीं किया गया. स्कूल के एक छात्र ने सोशल मीडिया पर ये तस्वीर पोस्ट की तो उसे स्कूल प्रशासन ने सस्पेंड कर दिया था. 

परीक्षाएं रद्द करने की मांग 
देशभर में कोरोना के कारण कई परीक्षाएं रद्द और स्थगित की जा चुकी हैं. ऐसे में JEE और नीट (NEET) कैंडिडेट्स भी लगातार परीक्षा स्थगित करने की मांग कर रहे हैं.  जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में दोनों प्रवेश परीक्षाओं को स्थगित करने के लिए याचिका भी दायर की गई थी. छात्रों का कहना है कि स्थितियां सामान्य होने के बाद ही परीक्षा कराई जाएं. JEE Main 2020 की परीक्षा 1 से 6 सितंबर तक होगी । जिसके लिए इस बार 11 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. जबकि NEET की परीक्षा 13 सितंबर को प्रस्तावित है.  जिसके लिए 16 लाख छात्रों ने आवेदन दिया है.

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