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बेंगलुरु: ऑनलाइन फूड डिलीवरी (Online Food Delivery) में 15 मिनट की देरी महत्वपूर्ण है या इस देरी की वजह से एक डिलीवरी ब्वॉय (Delivery Boy) की रोजी-रोटी छिन जाना ज्यादा महत्वपूर्ण है. ये सवाल हम इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि बेंगलुरु में कामराज नामक एक डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी सिर्फ इसलिए चली गई क्योंकि वो 15 मिनट देरी से एक महिला कस्टमर के घर खाना लेकर पहुंचा और ये खबर सोशल मीडिया पर एक बड़ा मुद्दा बन गई.
पहली नजर में लोगों को यही लगा कि गलती इस डिलीवरी ब्वॉय (Zomato Delivery Boy Case) की है क्योंकि हितेशा चंद्रानी नामक महिला ने उस पर मारपीट का आरोप लगाया और सोशल मीडिया पर अपनी कुछ तस्वीरें भी डाल दीं.
उसका आरोप था कि उसने 9 मार्च की दोपहर साढ़े तीन बजे Zomato पर 198 रुपये का खाना ऑर्डर किया था और Zomato की App के मुताबिक ये फूड डिलीवरी (Food Delivery) एक घंटे बाद 4 बजकर 31 मिनट पर होनी थी. ये डिलीवरी (Zomato Delivery Boy Case) कामराज के पास थी. जिसका कहना है कि वो ट्रैफिक जाम में फंस गया और 15 मिनट की देरी से हितेशा के घर पहुंचा.
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हितेशा ने इसके बाद कामराज से खाना तो ले लिया लेकिन पैसे देने से मना कर दिए. पुलिस के मुताबिक, हितेशा चाहती थी कि फूड डिलीवरी (Food Delivery) में हुई देरी की वजह से उसे ये खाना फ्री में दिया जाए. लेकिन कामराज उससे पैसे मांगता रहा. कामराज को डर था कि अगर हितेशा ने उसे पैसे नहीं दिए तो ये पैसे उसे भरने पड़ेंगे.
VIDEO
हितेशा का आरोप है कि कामराज ने इसके बाद उसकी नाक पर मुक्का मारा और वो घायल हो गई. उसने इसका एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी अपलोड किया. जिसे अब तक 18 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं. पहली नजर में तो लोगों को यही लगा कि गलती कामराज की थी. लेकिन जब बाद में कामराज की रोते हुए एक तस्वीर सोशल मीडिया पर आई तो इस खबर ने लोगों के बीच बहस छेड़ दी.
क्योंकि सिर्फ 15 मिनट की देरी की वजह से एक डिलीवरी ब्वॉय की रोजी-रोटी छीन ली गई. उसके खिलाफ पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज हो गया, उसे गिरफ्तार कर लिया गया. किसी ने भी उससे उसका पक्ष जानने की कोशिश नहीं की. इसीलिए ये सवाल पूछा जाना जरूरी है कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी (Online Food Delivery) में 15 मिनट की देरी महत्वपूर्ण है या इस देरी की वजह से एक डिलीवरी ब्वॉय की रोजी-रोटी छिन जाना.
अब तक आपने सोशल मीडिया और News Channels पर हितेशा के कई वीडियो देखे होंगे. लेकिन हम चाहते हैं कि आज आप हितेशा के साथ इस Delivery Boy की भी बातें सुनें. जो अपना वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर तो नहीं डाल सकता लेकिन हम कहना चाहते हैं कि हम कामराज के साथ हैं और हम चाहते हैं कि आज आप उसका पक्ष भी ध्यान से सुनें.
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इस समय का एक बड़ा अपडेट ये है कि इस मामले में बेंगलुरु पुलिस ने मारपीट का आरोप लगाने वाली Zomato की महिला Customer के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है. जिससे पता चलता है कि इस मामले में पहले कामराज के पक्ष को नजरअंदाज किया गया था.
कामराज बेंगलुरु में एक किराए के घर में अपनी बीमार मां का साथ रहता है और उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं है. Zomato के मुताबिक, अपने 26 महीने के करियर में कामराज ने अब तक 5 हजार डिलीवरी की हैं और उसे 5 में से 4.75 Ratings मिली हैं जो कि अब तक की सबसे ज्यादा Ratings में से एक है. लेकिन इसके बावजूद Zomato ने उसे नौकरी से निकाल दिया है.
आज हम Zomato से भी कहना चाहते हैं कि जितनी सहानुभूति उसे अपने ग्राहकों के लिए है उतनी ही सहानुभूति उसे अपने कर्मचारियों के साथ भी दिखानी चाहिए क्योंकि यहां सिर्फ बात कामराज की नहीं है. बात उसके जैसे लाखों लोगों की भी है, जो आप तक तय समय में खाना पहुंचाने के लिए दिनभर सड़कों पर चक्कर लगाते रहते हैं.
बड़ी-बड़ी कंपनियां ये दावा करती हैं कि वो आधे घंटे में आप तक खाना पहुंचा देंगी और जब तय समय में आप तक खाना नहीं पहुंचता तो आपको गुस्सा आ जाता है. ये गुस्सा फिर कामराज जैसे लोगों पर निकलता है और इन कंपनियों की कोई बात नहीं करता.
क्योंकि जब ये कंपनियां आपसे कहती हैं कि आपका ऑर्डर 30 मिनट में आप तक पहुंच जाएगा तब आपको ये नहीं कहा जाता कि रास्ते में जाम भी हो सकता है और बाइक खराब भी हो सकती है. यानी दावा ये कंपनियां करती हैं और गुस्सा कामराज जैसे Delivery Boys को झेलना पड़ता है. इसे आप कुछ आंकड़ों से समझिए.
भारत में इस समय 30 से 40 लाख लोग अलग-अलग Digital Apps के जरिए Delivery का काम करते हैं. इनमें Amazon, Flipkart, Urban Company, Big Basket, Groffers, Swiggy, Zomato और Uber Eats जैसी कंपनियां शामिल हैं.
अहम बात ये है कि Swiggy और Zomato में Delivery Boy का काम करने वाला एक शख्स महीने में 15 से 20 हजार रुपये ही कमा पाता है. ये नौकरी भी इन्हें तब मिलती है जब इनके पास खुद की मोटरसाइकल होती है और एक Smartphone होता है.
Tata Institute of Social Sciences की एक Study के मुताबिक, 18 प्रतिशत Delivery Boys को दिन में 15 घंटे या उससे ज्यादा काम करना पड़ता है. जबकि 47 प्रतिशत दिन के 12 घंटे या उससे ज्यादा काम करते हैं.
इन Delivery Boys को कोई छुट्टी नहीं मिलती और Bonus के लिए इन्हें त्योहार के दिन भी काम करना पड़ता है. वो भी तब जब इन्हें Regular Employees को मिलने वाली कई तरह की सुविधाएं नहीं मिलती. यानी Provident Fund नहीं होता, बीमार पड़ने पर कोई छुट्टी नहीं मिलती और परिवार के सदस्यों के लिए Health Insurance भी नहीं होता.
यहां समझने वाली बात ये है कि भारत में इस तरह के काम करने वाले 70 प्रतिशत लोग 18 से 30 साल की उम्र के होते हैं. सालों की मेहनत के बावजूद इनके पास न तो Job Security होती है और न ही भविष्य के लिए ये कोई पैसा जोड़ पाते हैं.
अगर कोई शख्स 4.5 किलोमीटर के दायरे में किसी Delivery के लिए जाता है तो उसे इसके लिए सिर्फ 42 रुपये मिलते हैं. उसके बाद प्रति किलोमीटर 7 रुपये मिलते हैं. हफ्ते में अगर पांच Delivery कैंसिल हो जाती हैं तो 500 रुपये का जुर्माना भी इन्हें भरना पड़ता है. इतना ही जुर्माना इन लोगों पर वर्दी नहीं पहनने पर भी लगता है.
भारत में इसे लेकर कोई नियम कानून नहीं है. हालांकि हम चाहें तो अमेरिका और यूरोप के देशों से सीख सकते हैं. अगस्त 2020 में अमेरिका की एक कोर्ट ने UBER और दूसरी कंपनियों से कहा था कि वो अपने Drivers के साथ अपने दूसरे कर्मचारियों की तरह ही पेश आएं और उन्हें वो सभी फायदे दें जो कंपनी के दूसरे कर्मचारियों को मिलते हैं.
इटली ने भी फरवरी 2021 में Food Delivery कंपनियों पर अपने Riders के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करने के लिए उन पर 880 मिलियन डॉलर यानी 6 हजार 424 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.
स्पेन (Spain) ने भी पिछले हफ्ते ही एक नया कानून लागू किया है. जिसके तहत Food Delivery का काम करने वाली कंपनियों को अपने Riders के साथ परमानेंट कर्मचारियों की तरह ही व्यवहार करना होगा और उन्हें समान लाभ देने होंगे.
हालांकि भारत में इसे लेकर अभी कोई नीति नहीं है और यही वजह है कि हमारे देश में कामराज जैसे लोग दिन के 300 रुपये कमाने के लिए 15-15 घंटे काम करते हैं और शिकायत होने पर उन्हें एक झटके में नौकरी से निकाल दिया जाता है.