DNA ANALYSIS: दिल्ली दंगों का 'जामिया कनेक्शन', 'बस जलाने' वाले का 'कबूलनामा'
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DNA ANALYSIS: दिल्ली दंगों का 'जामिया कनेक्शन', 'बस जलाने' वाले का 'कबूलनामा'

फरवरी में हुए दिल्ली दंगों की स्क्रिप्ट तभी लिखी जा चुकी थी, जब इससे दो महीने पहले जामिया इलाके में हिंसा हुई थी. दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी से शुरू हुई ये हिंसा, नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर हुई थी.

DNA ANALYSIS: दिल्ली दंगों का 'जामिया कनेक्शन', 'बस जलाने' वाले का 'कबूलनामा'

नई दिल्ली: दिल्ली दंगों का हर सच, ज़ी न्यूज़ लगातार आपके सामने ला रहा है. इसी कड़ी में ज़ी न्यूज़ ने एक और बड़ा खुलासा किया है. ये खुलासा दिल्ली दंगों से पहले जामिया इलाके में हुई हिंसा से जुड़ा है जिसके एक आरोपी का कबूलनामा हमें मिला है. आसिफ इकबाल नाम के इस आरोपी ने दिल्ली पुलिस की जांच में जामिया हिंसा का पूरा सच बताया है.

फरवरी में हुए दिल्ली दंगों की स्क्रिप्ट तभी लिखी जा चुकी थी, जब इससे दो महीने पहले जामिया इलाके में हिंसा हुई थी. दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी से शुरू हुई ये हिंसा, नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर हुई थी और इसमें आपको याद होगा कि सबसे पहले जामिया इलाके में कई सरकारी बसों को जलाकर हिंसा फैलाई गई थी.

जिस आसिफ इकबाल का कबूलनामा हमें मिला है, उसने दिल्ली पुलिस को दिए अपने बयान में बताया है कि उसने खुद जामिया इलाके में बसों में आग लगाई थी और हिंसा भड़काई थी. ये आरोपी खुद जामिया यूनिवर्सिटी का छात्र है और स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन नाम के एक संगठन का सदस्य है.

मकसद था पुलिस से टकराना और हिंसा फैलाना
इस आरोपी के मुताबिक जामिया में हिंसा फैलाने के लिए बड़ी प्लानिंग की गई थी. नागरिकता कानून के विरोध में पहले 12 दिसंबर को जामिया से संसद तक मार्च निकालने का ऐलान किया गया, जिसे पुलिस ने रोका था और लाठीचार्ज किया था. इसके तीन दिन बाद इन लोगों ने एक और मार्च निकाला, जिसे गांधी पीस मार्च नाम दिया गया.

लेकिन असल में इन लोगों का मकसद ही पुलिस से टकराना और हिंसा फैलाना था. इसलिए बड़े पैमाने पर इन लोगों ने पथराव किया और बसों में भी आग लगा दी. आरोपी आसिफ इकबाल के मुताबिक जामिया में हिंसा के बाद, विरोध प्रदर्शन तेज करने के लिए कई वामपंथी छात्र संगठनों, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के छात्र संगठनों से जुड़े लोगों का एक संगठन बनाया गया.

इन विरोध प्रदर्शनों को पीएफआई जैसे इस्लामिक संगठनों से फंडिंग भी होती थी. खुद आसिफ इकबाल ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि उसके साथ के लोग, देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहते थे और उसके इस्लामिक संगठन स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन के कहने पर वो खुद दिल्ली से बाहर कोलकाता, लखनऊ, कानपुर, पटना, कोटा, अहमदाबाद जैसे कई शहरों में भड़काऊ भाषण देने के लिए गया था.

हिंसा करने के लिए ये लोग पहले से ही तैयार हो चुके थे
ये लोग नागरिकता कानून और एनआरसी के नाम पर मुस्लिम समुदाय को भड़काते थे और उन्हें सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए बोलते थे. ये लोग मुस्लिम समाज से ये भी कहते थे कि अगर जरूरत पड़े तो हिंसक प्रदर्शन करने में कोई हिचकिचाहट न दिखाएं यानी हिंसा करने के लिए ये लोग पहले से ही तैयार हो चुके थे.

आरोपी आसिफ इकबाल का दावा है कि उसे जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे के दौरान चक्का जाम करने के लिए कहा था. जिसके बाद इसने दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर दिल्ली में कई जगहों पर, विरोध प्रदर्शन के बहाने, सड़कें जाम की और जिसके बाद दिल्ली में दंगे हुए थे.

उत्तर प्रदेश सरकार ने बनाए दो ट्रिब्यूनल
दंगा करने वालों से उत्तर प्रदेश सरकार की तरह निपटना चाहिए. जहां दंगों से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए आज दो ट्रिब्यूनल बना दिए हैं. इनमें एक ट्रिब्यूनल लखनऊ में होगा तो दूसरा मेरठ में होगा. दंगों में जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई करने वाले दावों के जल्द निपटारे के लिए, ये ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं और इनके आदेश को किसी अदालत में चुनौती भी नहीं दी जा सकती. दंगाइयों से वसूली के इस मॉडल के लिए ही उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी वर्ष मार्च में एक अध्यादेश जारी किया था, जिसमें ये प्रावधान किया गया था कि सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से, उनकी संपत्ति जब्त करके, नुकसान की पूरी भरपाई की जाएगी. आज कर्नाटक सरकार ने भी उत्तर प्रदेश के इस मॉडल पर चलने का ऐलान किया है. बेंगलुरू दंगों में हुए नुकसान की भरपाई, इसी तरह से वहां के दंगाइयों से की जाएगी.

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