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India Will Send Wheat to needy countries: दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत शांति का सबसे बड़ा दूत है. आपको बता दें कि इस समय भारत किसी भी बड़े देश के मुकाबले पूरी दुनिया की सबसे ज्यादा मदद कर रहा है. अमेरिका जैसे देश शांति के नाम पर हथियार बेच रहे हैं. चीन छोटे और गरीब देशों को कर्ज बेच रहा है. रशिया दुनिया को युद्ध दे रहा है और यूरोप के देश लोकतंत्र और मानवता पर लेक्चर दे रहे हैं. लेकिन ऐसे समय में भारत पूरी दुनिया को अनाज दे रहा है. दवाइयां दे रहा है. कोविड की वैक्सीन दे रहा है. इन देशों के बीच भारत एक चमकते हुए सितारे की तरह दिखता है. आज जब पूरी दुनिया में अनाज को लेकर गम्भीर संकट की स्थिति है, तब प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया है कि भारत दुनिया में अनाज की कमी को पूरा करने के लिए तैयार है. ये बात उन्होंने 12 अप्रैल को एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान कही थी.
भारत हर साल 10 करोड़ 70 लाख Metric Ton गेहूं की पैदावार करता है. जिसमें से भारत सरकार 70 लाख Metric Ton गेहूं दूसरे देशों में भेजने के लिए तैयार है. इन देशों में Nigeria, Turkey, वियतनाम, यमन, सीरिया, अफगानिस्तान और Ethiopia जैसे देश प्रमुख हैं. इसके अलावा Egypt ने कहा है कि वो भारत से गेहूं का आयात करने पर विचार कर रहा है. जल्द वहां की सरकार इस आयात को मंजूरी दे देगी.
गेहूं की पैदावार के मामले में भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. लेकिन बड़ी बात ये है कि, भारत हर साल जितना गेहूं उगाता है, उसका एक प्रतिशत से भी कम दूसरे देशों को निर्यात करता है. जबकि रशिया गेंहू का निर्यात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश है. लेकिन आज जब पूरी दुनिया अनाज के संकट से संघर्ष कर रही है तो रशिया इन देशों की मदद करने के लिए आगे नहीं आया है. बल्कि ये काम भारत कर रहा है. जो अब तक अपनी कुल पैदावार का एक प्रतिशत गेहूं भी दूसरे देशों में नहीं भेजता था. इससे पता चलता है कि इस संकट काल में भारत विश्व गुरु बनकर उभरा है.
एक मजबूत देश वो नहीं होता, जो शांति और मानवता के नाम पर युद्ध में हथियारों की सप्लाई करता है. जैसा अभी यूक्रेन में अमेरिका कर रहा है. एक मजबूत देश वो भी नहीं होता, जो दूसरे देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर उन्हें निगलने की कोशिश करता है. जैसा श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान में चीन कर रहा है. बल्कि एक मजबूत देश वो होता है, जो समस्या का समाधान लेकर आता है और जो मुश्किल समय में दुनिया के साथ खड़ा रहता है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने ये करके दिखाया है. वर्ष 2020 में जब कोरोना महामारी आई थी और इसकी कोई वैक्सीन भी नहीं बनी थी. तब लगभग सभी देशों में एक ही दवा की सबसे ज्यादा मांग थी. ये दवा थी.. Hydroxychloroquine. तब बन्दूक की गोलियां बेचने वाला अमेरिका भी इस दवा को किसी भी तरह से हासिल करना चाहता था. उस समय भारत ही वो देश था, जिसने इस दवा की कमी और इसकी जरूरत को पूरा किया था. महामारी के शुरुआती दो महीनों में भारत सरकार द्वारा दुनिया के 120 देशों को Hydroxychloroquine और Paracetamol की दवा भेजी गई थी.
इसके अलावा कोरोना महामारी की शुरुआत में चीन, रशिया, अमेरिका और ज्यादातर पश्चिमी देशों ने जरूरी दवाइयों और वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. जबकि इसी दौरान भारत ने दुनिया के 40 देशों को जरूरी दवाइयां मुफ्त में भेजी. इसके लिए इन देशों से कोई पैसा नहीं लिया गया. इसी तरह जब कोविड की वैक्सीन आई, तब भी ये बड़े-बड़े देश अपनी जिम्मेदारी से भाग गए. इन देशों ने वैक्सीन की जमाखोरी शुरू कर दी. कनाडा ने अपने हर एक नागरिक के लिए वैक्सीन की 9 डोज खरीद कर जमा कर लीं. इसी तरह ब्रिटेन ने भी इतनी वैक्सीन की जमाखोरी कर ली कि वो अपने हर एक नागरिक को पांच डोज लगा सकता था. European Union में शामिल देशों की कुल आबादी 37 करोड़ है. लेकिन उसने भी 37 करोड़ लोगों के लिए वैक्सीन की 160 करोड़ डोज खरीद कर उनकी जमाखोरी कर ली. जबकि समानता और मानवता की बातें करने वाले अमेरिका ने भी अपनी 18 साल से ऊपर की आबादी के लिए तीन गुना ज्यादा वैक्सीन को स्टॉक कर लिया था.
लेकिन आपको पता है.. भारत ने क्या किया?.. भारत ने वैक्सीन मैत्री के तहत, दुनिया के 98 देशों को वैक्सीन की साढ़े 17 करोड़ डोज भेज कर उनकी मदद की. इन देशों में कमजोर और गरीब देश ज्यादा थे. जैसे, इनमें म्यांमार था. इसके अलावा Morocco, Barbados, Dominica, Congo, Nigeria और भूटान जैसे देश भी इनमें शामिल थे. भारत के अलावा चीन ने भी दुनिया को वैक्सीन की मदद भेजी. लेकिन चीन ने ऐसा अपने निजी हितों के लिए किया. उदाहरण के लिए, उसने मध्य अमेरिका के एक देश.. Honduras (हॉन्ड्युरस) को वैक्सीन देने के लिए ये शर्त रखी कि उसे वैक्सीन लेने के लिए ताइवान से अपने रिश्ते खत्म करने होंगे. जबकि भारत ने किसी भी देश को वैक्सीन देते समय ऐसी कोई शर्त नहीं रखी.
पिछले साल जब अफगानिस्तान पर तालिबान के आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया था, तब भी भारत ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान दूसरे देश के नागरिकों की मदद की थी. उस समय भारत सरकार द्वारा ऑपरेशन देवशक्ति के तहत 221 विदेशी नागरिकों को वहां से रेस्क्यू किया था. इसके अलावा यूक्रेन में भी जब युद्ध शुरू हुआ था और अमेरिका और चीन जैसे देशों ने वहां फंसे अपने नागरिकों को ये कह दिया था कि वो मौजूदा हालात में उनकी ज्यादा मदद नहीं कर पाएंगे. तब ऑपरेशन गंगा के तहत भारत सरकार ने अपने 22 हजार 500 नागरिकों को तो वहां से सुरक्षित निकाला ही, साथ ही 18 देशों के 147 नागरिकों को भी रेस्क्यू करके उनकी जान बचाई. आपमें से जिन लोगों ने विमान में हवाई सफर किया है, उन्हें पता होगा कि विमान के Take Off से पहले Crew Members ये बताते हैं कि अगर कोई इमरजेंसी होती है तो पहले अपना ऑक्सीजन मास्क लगाना चाहिए और फिर दूसरों की मदद करनी चाहिए. लेकिन मौजूद परिस्थितियों में देखें तो भारत ने ये बताया है कि वो कैसे आपातकाल की स्थिति में अपनी भी मदद कर रहा है और दुनिया को भी मदद पहुंचा रहा है.