NEET और JEE की परीक्षा को लेकर लगातार विरोध हो रहा है. कोरोना वायरस महामारी के बीच ये परीक्षा कराई जाए या न कराई जाए, इस पर बहस छिड़ी हुई है. लेकिन अब इस विवाद में राजनीति भी तेज हो गई है.
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नई दिल्ली: इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिले (Entrance Exam) के लिए होने वाली NEET और JEE की परीक्षा को लेकर लगातार विरोध हो रहा है. कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के बीच ये परीक्षा कराई जाए या न कराई जाए, इस पर बहस छिड़ी हुई है. लेकिन अब इस विवाद में राजनीति भी तेज हो गई है.
विपक्ष को लग रहा है कि सरकार के खिलाफ नाराजगी के लिए ये बड़ा मुद्दा बन सकता है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज मामले पर विपक्षी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों की बैठक की. इसमें ममता बनर्जी और अमरिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही.
दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने दोहराया है कि परीक्षा समय पर कराना ही ठीक होगा. सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि इस महामारी की वजह से छात्रों का पूरा साल बर्बाद करना समझदारी नहीं होगी.
वास्तव में पूरी बहस को गौर से देखें तो समझ में आता है कि दोनों पक्षों की अपनी-अपनी दलीलें हैं. इसमें कोई शक नहीं कि छात्रों की सुरक्षा सबसे अहम है. कोरोना के कारण अभी ट्रेनें और बसें बंद हैं, जिसके कारण परीक्षा केंद्रों तक जाना भी मुश्किल होगा. इस महामारी के कारण कई छात्रों की तैयारी पर भी बुरा असर पड़ा है.
85 प्रतिशत छात्रों ने अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड किया
NEET और JEE की परीक्षा न कराने का मतलब है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलजों में इस साल एडमिशन नहीं होंगे. देर से परीक्षा हुई तो भी पढ़ाई के लिए पूरा समय नहीं मिलेगा. यह स्थिति भी ठीक नहीं होगी. क्योंकि लाखों छात्रों ने पूरे साल इसकी तैयारी की है. परीक्षा रद्द होने से उनकी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी.
यहां पर आपके लिए ये जानना जरूरी है कि 1 सितंबर से JEE की मेन परीक्षा होनी है. 25 अगस्त यानी कल शाम 5 बजे तक के डेटा के अनुसार 85 प्रतिशत छात्रों ने अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड भी कर लिया है. जाहिर है ये वो छात्र हैं जो इम्तिहान देना चाहते हैं और उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है. ऐसे में ये सवाल भी उठ रहा है कि कौन लोग इसका विरोध कर रहे हैं?
जिस देश में आतंकी हमलों और सेना के एक्शन को लेकर राजनीति हो सकती है वहां लाखों छात्रों के भविष्य से जुड़े इस मुद्दे पर राजनीति कोई आश्चर्य की बात नहीं है. यही कारण है कि विरोध करने वालों की बातों में भी आपको विरोधाभास देखने को मिलेगा. वो एक तरफ दिल्ली में साप्ताहिक बाजार खोलने और मेट्रो ट्रेन चलाने का समर्थन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कह रहे हैं कि परीक्षा से कोरोना वायरस का खतरा बढ़ जाएगा.
घरेलू मामले को अंतरराष्ट्रीय रंग देने की कोशिश
NEET JEE की परीक्षा भारत में होती है और ये भारतीय छात्रों का मुद्दा है, लेकिन पर्यावरण कार्यकर्ता के तौर पर मशहूर ग्रेटा थनबर्ग ने भी कल इस मुद्दे पर ट्वीट कर डाला.
उन्होंने लिखा कि एग्जाम हुआ तो लाखों छात्रों को बीमारी का खतरा होगा. ये अलग बात कि खुद ग्रेटा थनबर्ग के देश स्वीडेन में लॉकडाउन के दौरान स्कूल खुले हुए थे. 17 साल की ग्रेटा भी स्कूल जा रही हैं और इसकी जानकारी भी वो ट्वीट करके दे चुकी हैं.
हो सकता है कि किसी ने ग्रेटा थनबर्ग से बोलकर ये ट्वीट करवा दिया हो, क्योंकि इतना तय है कि उन्हें भारत के इस मुद्दे की कोई समझ नहीं होगी. इस कारण ग्रेटा थनबर्ग सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल भी हो रही हैं. कई लोगों ने लिखा है कि जो लड़की अपने एक्टिविज्म के कारण लंबे समय तक खुद स्कूल नहीं गई, वो भारत के लाखों छात्रों के भविष्य पर न ही बोले तो अच्छा होगा. वैसे इससे ये शक पैदा होता है कि कौन सी ताकतें हैं जो इस घरेलू मामले को इस तरह से अंतरराष्ट्रीय रंग देने की कोशिश कर रही हैं.
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