14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में एक बहुत बड़ा आतंकवादी हमला हुआ था और इस हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे. इन हमलों के 556 दिनों के बाद आज इस मामले में National Investigation Agency यानी NIA ने चार्जशीट दायर की है.
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नई दिल्ली: 14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा (Pulwama) में एक बहुत बड़ा आतंकवादी हमला (Terrorist Attack) हुआ था और इस हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे. इन हमलों के 556 दिनों के बाद आज इस मामले में National Investigation Agency यानी NIA ने चार्जशीट दायर की है. 15 हजार पन्नों की इस चार्जशीट में 19 आतंकवादियों के नाम हैं जिनमें से 7 पाकिस्तानी आतंकवादी हैं. इनमें सबसे बड़ा नाम आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर का है. जिसका पूरा नाम है मसूद अजहर अल्वी. इस चार्जशीट में मसूद अजहर के दो रिश्तेदारों अब्दुल रऊफ और अम्मार अल्वी का भी नाम है.
पाकिस्तान में बनाई गई थी आतंकवादी हमले की योजना
NIA की इस चार्जशीट में कहा गया है कि इस आतंकवादी हमले की योजना पाकिस्तान में ही बनाई गई थी और इसका मास्टर माइंड मसूद अजहर था. वही मसूद अजहर जिसका नाम पाकिस्तान के उस नोटिफिकेशन में भी था जो पाकिस्तान ने United Nations Security Council यानी UNSC की आतंकवादियों की सूची के आधार पर जारी किया था. इसी लिस्ट में दाऊद इब्राहिम का नाम भी शामिल था.
NIA की चार्जशीट में कहा गया है कि पुलवामा हमले की साजिश में शामिल आतंकवादियों ने अल कायदा और तालिबान के कैंपों में जाकर ट्रेनिंग ली थी. इस हमले के मुख्य आरोपियों में से एक मुहम्मद उमर ने साल 2016 से 2017 के बीच अफगानिस्तान जाकर ट्रेनिंग ली की थी.
मुहम्मद उमर अप्रैल 2018 में जम्मू के सांबा बॉर्डर से भारत में दाखिल हुआ था. इसके बाद मुहम्मद उमर ने पाकिस्तान के आतंकवादियों कामरान उर्फ सैफुल्लाह, काज़ी यासिर और कश्मीर के स्थानीय आतंकवादी समीर डार और आदिल अहमद डार के साथ मिलकर इस हमले की योजना बनाई.
जिन आतंकवादियों ने इन लोगों को अपने घर में शरण दी उनके नाम है शाकिर बशीर जान, पीर तारिक, अहमद शाह और बिलाल अहमद.
आतंकवादी शाकिर बशीर ने इस हमले के लिए सबसे पहले जम्मू-श्रीनगर हाइवे का मुआयना किया था.
एक और आतंकवादी मुदासिर अहमद खान ने Geletin Stick का इंतजाम किया और शाकिर बशीर ने हमले में इस्तेमाल हुए RDX को अपने घर में छिपाया था.
पुलवामा धमाके में इस्तेमाल होने वाले इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस IED को समीर डार और आदिल डार के अलावा आतंकवादी मोहम्मद उमर फारुक़ ने बनाया था.
ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म से खरीदा गया बम बनाने का सामान
NIA ने कोर्ट को बताया है कि वर्ष 2019 में साजिद अहमद बट नाम के आतंकवादी ने एक मारूति इको कार खरीदी थी और इसी कार का इस्तेमाल इस हमले में किया गया था. जबकि वजीर उल इस्लाम नाम के आतंकवादी ने IED बनाने के लिए 4 किलोग्राम Aluminium Powder को ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म अमेजन से खरीदा था. Aluminium Powder का इस्तेमाल बम बनाने में भी होता है इससे धमाके की क्षमता और इससे पैदा होने वाली गर्मी कई गुना बढ़ जाती है. अब आप सोचिए कि हमारे देश में एक Online Shopping Platform पर ऐसी खतरनाक चीज़ें बिक रही हैं और आतंकवादी इनका इस्तेमाल लोगों की जान लेने के लिए कर रहे हैं. आज जब हमने अमेजन पर जाकर खुद Aluminium Powder को सर्च किया तो हमें ये जानकर हैरानी हुई कि ये खतरनाक विस्फोटक सिर्फ 1600 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मिल रहा है. इतना ही नहीं जब आप इस प्रोडक्ट को खरीदने की कोशिश करते हैं तो अमेजन का Algorithm यानी सॉफ्टवेयर आपको दूसरे विस्फोटक पदार्थ खरीदने का भी सुझाव देने लगता है. इनमें Sulfuric acid भी शामिल है.
Online इस तरह की चीजों का बिकना बहुत खतरनाक है और सरकार को इस विषय पर ध्यान देना चाहिए. लेकिन फिलहाल अब आपको NIA की चार्जशीट में लिखी गई बाकी बातों के बारे में जान लीजिए.
आतंकवादियों ने पुलवामा हमले से 8 दिन पहले यानी 6 फरवरी को ही इस आतंकवादी हमले की योजना बना ली थी. लेकिन बर्फबारी की वजह से ये प्लान टाल दिया गया और फिर 14 फरवरी को इस हमले को अंजाम दिया गया.
14 फरवरी को शाकिर बशीर 200 किलोग्राम विस्फोटक से भरी कार जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे तक लेकर आया. इसके बाद आदिल अहमद डार ने इस कार से CRPF के काफिले में टक्कर मारी और 40 जवान शहीद हो गए.
NIA के मुताबिक मसूद अजहर और उसके रिश्तेदार अब्दुल रऊफ और अम्मार अल्वी पाकिस्तान में बैठकर इन आतंकवादियों को लगातार निर्देश दे रहे थे.
ये भी पता चला है कि जैश ए मोहम्मद पुलवामा हमले के बाद ऐसे ही एक और हमले को अंजाम देना चाहता था. लेकिन बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद, जैश ए मोहम्मद के हौसले पस्त हो गए.
इस चार्जशीट से जुड़े कुछ अहम दस्तावेजों से साफ हो जाता है कि कैसे ये पूरा हमला पाकिस्तान के इशारे पर ही किया गया था और कैसे पाकिस्तान ने इन आतंकवादियों को इस हमले के लिए सारी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई थीं.
भारत के शौर्य की सबसे बड़ी परीक्षा
पुलवामा के हमले को कैसे अंजाम दिया गया था. इस पर ज़ी न्यूज़ ने कुछ समय पहले एक ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की थी और इस हमले की एक एक डिटेल आपको दी थी. आज इस मामले में चार्जशीट दायर होने के बाद आपको उस ग्राउंड रिपोर्ट के बारे में आपको फिर से बताते हैं ताकि आपको ये समझ आ जाए कि हमला कितना बड़ा था और जिन्होंने इस हमले को झेला उनका दर्द कितना गहरा था.
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले ने भारत के शौर्य की सबसे बड़ी परीक्षा ली थी. आज भी पुलवामा हमले की उस जगह पर सुरक्षाबलों का पहरा रहता है. जम्मू-कश्मीर के इस हिस्से में हर एक जवान पूरी तैयारी के साथ तैनात रहता है क्योंकि यहां हर दिन आतंकी हमले की साजिश होती है. यहां कुछ देर के लिए रुकना भी खतरे से खाली नहीं है.
हमले के एक साल के बाद जम्मू-कश्मीर के इस हाईवे पर मौजूद धमाके के निशान हल्के पड़ गए हैं. लेकिन इस हमले की पूरी साजिश को समझने के लिए Zee News की टीम इस साल उसी आतंकवादी हमले के ग्राउंड जीरो पर पहुंची थी और देश के शहीदों के लिए इस खतरनाक इलाके से एक संवेदनशील रिपोर्टिंग की थी.
छुट्टियों से वापस आ रहे थे जवान
14 फरवरी 2019 को जम्मू से श्रीनगर की तरफ CRPF के जवानों का एक काफिला आ रहा था और ये सभी जवान छुट्टियों से वापस आ रहे थे. बर्फबारी की वजह से पिछले तीन-चार दिनों से ये रास्ता बंद था और इन जवानों को साधारण बसों में लाया जा रहा था जिसकी सुरक्षा में हथियारबंद जवान तैनात थे. लेकिन छुट्टियों से वापस आ रहे जवान निहत्थे थे और उनके पास कोई हथियार नहीं था. धमाके के समय वहां पर CRPF की 110वीं बटालियन के जवान तैनात थे जो आज भी वहां पर सुरक्षा को संभाल रहे हैं.
उन दिनों कश्मीर घाटी का माहौल अच्छा नहीं था क्योंकि 9 फरवरी को संसद हमले के दोषी आतंकवादी अफजल गुरु और 11 फरवरी को आतंकवादी मकबूल भट की बरसी थी. आशंका थी बदला लेने के लिए पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी हमला कर सकते हैं और सुरक्षाबलों ने अपनी तरफ से इसकी पूरी तैयारी कर ली थी. लेकिन इस बार आतंकवादियों ने नए तरीके से हमले की साजिश तैयार की थी.
काफिले पर आतंकवादी हमला
तब सीआरपीफ के काफिले सुरक्षा में लगे जवानों को ये नहीं मालूम था कि उनपर एक आत्मघाती हमला होने वाला है. हमले से करीब 25 मिनट पहले आतंकवादियों की एक कार उनके काफिले को निशाना बनाने के लिए जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर आगे बढ़ी.
उस समय जम्मू कश्मीर में सीआरपीएफ के काफिले के लिए सड़कों पर ट्रैफिक को रोका नहीं जाता था और काफिले (Convoy) के साथ सामान्य गाड़ियां भी चलती रहती थीं और इसी का फायदा उठाकर काफिले पर आतंकवादी हमला किया गया. दोपहर में करीब साढ़े तीन बजे पुलवामा के लेथपुरा इलाके में एक Suicide Bomber ने विस्फोटकों से भरी हुई एक कार से जवानों की एक बस में टक्कर मार दी और इस भयंकर धमाके में CRPF की बस के टुकड़े टुकड़े हो गए. ये हमला एक सोची समझी साजिश थी.
पुलवामा हमले के 12 दिनों बाद पूरी दुनिया ने भारत का शौर्य देखा. जब भारत ने सीमा पार बालाकोट में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग सेंटर पर हवाई हमला किया और सरहद के इस तरफ सुरक्षाबलों ने इस साजिश में शामिल हर एक आतंकवादी का चुन-चुनकर एनकाउंटर किया.
देश के 40 बहादुर सैनिकों की कुर्बानी को शायद आपमें से कुछ लोग भूल गए होंगे. हमें इस मानसिकता को तोड़ना होगा क्योंकि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देना आसान नहीं है. देश के कंधों पर शहीदों का बोझ बहुत भारी होता है और आज भी इस बोझ से भारत के कंधे झुके हुए हैं.
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