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DNA With Sudhir Chaudhary: आज एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या सरकार सेना में सुधार के लिए कोई दूसरा रास्ता भी अपना सकती थी? तो आज हमने इस मुद्दे पर रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, पूर्व सैनिकों और सेना में भर्ती की तैयार कर रहे युवाओं से बात की. इस दौरान हमने पांच बातें पाई हैं.
पहली बात यह है कि सरकार अगर चाहती तो वो इस योजना को एक साथ लागू करने के बजाय इसे कई चरणों में लागू कर सकती थी. जिस तरह सरकारी योजनाओं को लागू करने से पहले पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाता है, उस विकल्प को भी यहां चुना जा सकता था. जैसे, अगर सरकार इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू करती तो शुरुआती वर्षों में इसकी समीक्षा की जाती है. इस दौरान सभी भर्तियां चार साल के लिए नहीं होती. बल्कि कुछ ही भर्तियों को इसमें शामिल किया जाता. अगर इसके अच्छे परिणाम मिलते तो सरकार देश को और इन युवाओं को ये बता सकती थी कि इस योजना के क्या फायदे हैं.
दूसरी और जरूरी बात यह है कि अगर सरकार चाहती तो वो इसी योजना को अलग-अलग चरणों में लागू कर सकती थी. जैसे शुरुआत के 10 वर्षों में 30 प्रतिशत जवानों की भर्तियां चार साल के लिए होती और 70 प्रतिशत जवानों की भर्तियां स्थायी नौकरियों के लिए होती. पहले चरण के फायदे देखने के बाद सरकार दूसरे चरण में ये कोटा 30 प्रतिशत से बढ़ा 50 प्रतिशत कर सकती थी और फिर आने वाले वर्षों में इसे सभी भर्तियों पर लागू किया जा सकता था. यानी सरकार सीधे छलांग लगाने के बजाय. एक-एक कदम धीरे-धीरे आगे बढ़ाती तो शायद इस योजना का उतना विरोध नहीं होता.
तीसरी बात यह है कि अभी ज्यादातर युवा पेंशन समाप्त करने का विरोध कर रहे हैं. लेकिन अगर सरकार चाहती तो वो पेंशन के लिए एक वैकल्पिक रास्ता ढूंढ सकती थी. उदाहरण के लिए, अभी सरकार ने तय किया है कि वो अग्निवीरों को चार साल की नौकरी के बाद लगभग 12 लाख रुपये का रिटायरमेंट फंड देगी और इसे सरकार ने सेवा निधि पैकेज का नाम दिया है. अब सरकार चाहती तो वो अग्निवीरों को ये विकल्प दे सकती थी कि या तो वो चार साल के बाद पूरे 12 लाख रुपये सरकार से ले लें, या फिर इन्हीं पैसों को वो मासिक पेंशन के रूप में चार साल की सेवा के बाद हर महीने लेते रहें.
अगर ऐसा होता तो सरकार हर अग्निवीर को 10 हजार रुपये की मासिक पेंशन अगले 10 वर्षों तक दे सकती थी. इसके अलावा सरकार चाहती तो पेंशन की ये राशि भी बढ़ा सकती थी और ये ऐलान कर सकती थी कि हर अग्निवीर को रिटायरमेंट के बाद पांच साल तक 20 हजार रुपये पेंशन मिलेगी. ये पेंशन उतनी ही होती, जितनी अभी सेना में किसी Non Commissioned Rank के सिपाही को मिलती है.
उदाहरण के लिए, आज अगर कोई सिपाही 15 साल की सेवा के बाद रिटायर होता है तो उसे लगभग 18 हजार रुपये की मासिक पेंशन मिलती है. इसके अलावा इस पेंशन पर उसे 20 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलता है, जो 3 हजार 600 रुपये होता है. यानी इस हिसाब से कुल पेंशन 21 हजार 600 रुपये होती है और ये पेंशन 15 साल की सेवा के बाद मिलती है. लेकिन नई योजना के तहत अग्निवीरों को सिर्फ चार की नौकरी के बाद लगभग 12 लाख रुपये का पैकेज मिलेगा, जिसे किसी भी सूरत में कम नहीं माना जा सकता.
चौथी बात ये कि सरकार को योजना का ऐलान करते समय ही ये बताना चाहिए था कि इन अग्निवीरों को किन-किन नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी. क्योंकि अभी जो युवा प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें सबसे ज्यादा डर इसी बात का है कि उन्हें सेना की नौकरी के बाद कहीं और नौकरी नहीं मिलेगी. जबकि सच ये है कि देश के 12 से ज्यादा राज्यों ने ये ऐलान किया है कि वो अपनी पुलिस में इन अग्निवीरों को नौकरी के लिए प्राथमिकता देंगे. इसके अलावा Central Armed Police Forces और Assam Rifles की नौकरियों में भी इन्हें प्राथमिकता मिलेगी. इसके अलावा सरकार इन्हें जो अग्निवीर कौशल प्रमाणपत्र देगी, उसके आधार पर इन्हें बैंकों से आसानी से लोन मिल जाएगा. लेकिन समस्या ये है कि ये सारे ऐलान तब हुए, जब इस योजना की घोषणा हो चुकी थी. इसीलिए युवाओं तक सरकार का सही संदेश नहीं पहुंचा.
यहां हम आपको ये भी बताना चाहते हैं कि अग्निवीरों को जिन सुरक्षबलों और पुलिस में प्राथमिकता मिलेगी, उनमें कितनी नौकरियां है...
CPRF में आज 3 लाख जवान हैं, BSF में 2 लाख 46 हजार, CISF में 1 लाख 42 हजार, SSB में 80 हजार, ITBP में 83 हजार और Assam Rifles में साढ़े 63 हजार जवान हैं. यानी Central Armed Police Forces से आज 9 लाख 17 हजार जवान जुड़े हुए हैं. इसके अलावा राज्यों की पुलिस में 2019 में साढ़े 18 लाख जवान थे. अब सोचिए, सेना की चार साल की नौकरी के बाद इन अग्निवीरों के पास नौकरियों के कितने विकल्प होंगे.
पांचवी और आखिरी बात सरकार अमेरिका जैसे देशों के भी मॉडल को अपना सकती थी. अमेरिका में जो सैनिक आठवें साल में सेना से रिटायर हो जाते हैं, उन्हें प्राइवेट क्षेत्र की नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती है. जैसे वहां बहुत सारी प्राइवेट कम्पनियों में नौकरी के लिए जो इंटरव्यू और Written Exam होते हैं, उनमें पूर्व सैनिकों को 5 प्रतिशत Extra Marks दिए जाते हैं. और सरकार अग्निवीरों के लिए भी ऐसी कोई व्यवस्था कर सकती थी.
इसके अलावा सरकार के पास एक और विकल्प था और इस विकल्प को आपको बहुत ध्यान से सुनना चाहिए. अभी सेना के तीनों अंगों में सबसे ज्यादा नौकरियां थल सेना में हैं. थल सेना में इस समय लगभग एक लाख 16 हजार पद खाली पड़े हैं. जबकि नौसेना में सिर्फ 13 हजार और वायु सेना में सिर्फ पांच हजार पद खाली पड़े हैं. इसलिए सरकार चाहती तो वो शुरुआत में ये योजना सिर्फ नौसेना और वायु सेना पर लागू कर सकती थी, क्योंकि यहां नौकरियां कम हैं. जब इस योजना के सकारात्मक नतीजे सामने आते तो इसे थल सेना में भी लागू कर दिया जाता.
#DNA : 'अग्निपथ' पर सरकार के पास और क्या विकल्प थे?@sudhirchaudhary
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— Zee News (@ZeeNews) June 17, 2022