DNA With Sudhir Chaudhary: दंगों में घायल हुआ भारत का तिरंगा, आपसे क्या कहता है?
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DNA With Sudhir Chaudhary: दंगों में घायल हुआ भारत का तिरंगा, आपसे क्या कहता है?

DNA With Sudhir Chaudhary: ये वही तिरंगा है, जिसके लिए इसी देश के सैनिक अपने प्राणों की कुर्बानी दे देते हैं. लेकिन दंगे के बीच हमला करने वालों ने इसे भी घायल कर दिया. 

फोटो साभार: वीडियोग्रैब

DNA With Sudhir Chaudhary: अब हम आपको भारत के घायल तिरंगे की कहानी दिखाना चाहते हैं. ये कहानी उस तिरंगे की है, जिस पर दिल्ली में हुए दंगों के दौरान सैकड़ों पत्थर और कांच की बोतलें फेंकी गईं. और इस दौरान भारत के राष्ट्रीय ध्वज का ना सिर्फ अपमान हुआ बल्कि पत्थरबाजों ने इसे कई जगहों से छलनी कर दिया. जब हमारी टीम दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में पहुंची तो हमें लोगों ने बताया कि शोभायात्रा में शामिल जिस रथ में भगवान हनुमान की मूर्ति रखी हुई थी, उसी रथ के पीछे ये तिरंगा लगा था. लेकिन इस दौरान उग्र भीड़ ने इस तिरंगे को भी नहीं बख्शा और इस पर खूब पत्थर बरसाए.

कांच की बोलतों से तिरंगे पर हमला

ये वही तिरंगा है, जिसके लिए इसी देश के सैनिक अपने प्राणों की कुर्बानी दे देते हैं. आपने देखा होगा कि जब कोई जवान शहीद होता है तो उसके पार्थिव शरीर को इसी तिरंगे में लपेटा जाता है. लेकिन इन लोगों ने उस तिरंगे पर ना सिर्फ पत्थर बरसाए बल्कि कांच की बोतलों से भी इस पर हमला किया.

क्या कह रहा है तिरंगा

सोचिए, आज अगर तिरंगा आपसे कुछ कहना चाहता तो उसके शब्द क्या होते. वो आपसे यही कहता कि उसने तो भारत के 140 करोड़ लोगों को देश से प्यार करना सिखाया. लेकिन इस देश के कुछ लोगों ने उससे नफरत करनी शुरू कर दी. इन लोगों ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज का ये हाल बना दिया.

क्या है तीन रंगों का संदेश

तिरंगे में मौजूद केसरिया रंग को साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है. सफेद रंग सच्चाई, शांति और पवित्रता को परिभाषित करता है और तिरंगे के तीसरे यानी हरे रंग को सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है. ये रंग मिलकर देश के गौरव का प्रतीक बनाते हैं और साथ ही भाईचारे का भी संदेश देते हैं. लेकिन ये इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि भारत के संसद भवन से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर देश के इसी राष्ट्रीय ध्वज पर ना सिर्फ पत्थर बरसाए गए बल्कि इसे जगह-जगह से छलनी कर दिया गया. अब तक आपने इस हिंसा में घायल हुए लोगों की पीड़ा सुनी होगी. उन लोगों का भी पक्ष जाना होगा, जिनकी गाड़ियों और घरों को इन दंगों में नुकसान पहुंचाया गया. लेकिन आज हम आपको इन दंगों में जख्मी हुए भारत के तिरंगे की कहानी दिखाना चाहते हैं. और ये कहानी आज आपको क्रोध से भर देगी. आप भी सोचेंगे कि ये कौन लोग हैं, जो देश के राष्ट्रीय ध्वज से भी इतनी नफरत करते हैं?

ध्वज के अपमान पर इस देश में है मौत की सजा

भारत में तिरंगे के अपमान को कानूनन अपराध माना गया है. The Prevention of Insults to National Honor Act 1971 के तहत भारत में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने पर दोषी को तीन साल जेल की सजा हो सकती है. लेकिन अगर ईरान में कोई व्यक्ति वहां के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करता है तो इसके लिए उस व्यक्ति को मौत की सजा हो सकती है. ईरान के राष्ट्रीय ध्वज पर अल्लाह-हू-अकबर लिखा है. यानी वहां राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का मतलब है. इस्लाम धर्म का अपमान करना और इसके लिए वहां मौत की सजा तक हो सकती है. यानी अगर दिल्ली जैसी घटना आज ईरान में हुई होती तो इन लोगों को वहां मौत की सजा सुना दी जाती. कतर में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने पर तीन साल की जेल हो सकती है. और 40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा सऊदी अरब में ऐसा करने पर एक साल की जेल हो सकती है.

नहीं हुआ मामला दर्ज 

हालांकि भारत के मामले में कानून होते हुए भी आरोपियों को दोषी साबित करना बहुत मुश्किल है. इस मामले में भी अब तक दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय ध्वज के अपमान को लेकर कोई मामला दर्ज नहीं किया है. इसलिए हम पुलिस से मांग करेंगे कि वो तिरंगे पर पत्थर बरसाने वालों पर भी कार्रवाई करे.

5 के खिलाफ NSA

हालांकि दिल्ली में दंगों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है. आज मंगलवार को दंगों में शामिल पांच आरोपियों के खिलाफ National Security Act यानी NSA के तहत मामला दर्ज किया गया है. इन आरोपियों के नाम हैं, मोहम्मद अंसार, सलीम, इमाम शेख उर्फ सोनू चिकना, दिलशाद और आहिद. इमाम शेख उर्फ सोनू चिकना वही व्यक्ति है, जिसने दंगों के दौरान गोली चलाई थी. अब तक इसका नाम सोनू ही बताया जा रहा था. लेकिन इसका असली नाम इमाम शेख है. अब आपके मन में भी ये सवाल होगा कि NSA के तहत मामला दर्ज होने का क्या मतलब है?

क्या है NSA

जब किसी आरोपी के खिलाफ NSA लगता है तो पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां उसे Detention में रख सकती हैं. Detention की ये अवधि 12 महीने तक हो सकती है और इसे जरूरत के हिसाब से बढ़ाया भी जा सकता है. इसके अलावा सामान्य कानून के तहत जब किसी आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश करना जरूरी होता है. जबकि NSA लगने पर एक साल तक आरोपी को कोर्ट में पेश करना जरूरी नहीं होता. यानी NSA लगने पर आरोपी को तुरंत जमानत नहीं मिलती. जबकि IPC और CRPC की धाराओं में केस दर्ज होने पर मामला तुरंत कोर्ट में चला जाता है और आरोपी खुद को बेकसूर बता कर जमानत लेने की कोशिश कर देता है. इसके अलावा जिस आरोपी पर NSA लगता है वो Legal Advice लेने का अधिकार खो देता है. ये सुरक्षा एजेंसियों पर निर्भर करता है कि वो आरोपी को Legal Advice लेने देंगी या नहीं.

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