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रांची: डॉक्टरों को यूं ही नहीं धरती का भगवान कहा जाता है, कोरोना काल (Corona Pandemic) में जहां लोगों का जीवन खतरे में है वहीं नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जिंदगी की डोर थामे हुए हैं. रांची के सदर अस्पताल में चिकित्सकों अपनी जान पर खेल कर एक महिला की जिंदगी बचाई है. 57 वर्षीय महिला का ऑक्सीजन लेवल (Oxygen Level) 40 पर पहुंच गया था लेकिन चिकित्सकों के अथक प्रयास से आज यह 93 पर है.
दैनिक जागरण में छपी खबर के मुताबिक कोरोना संक्रमित (Coronavirus Infected) महिला की हालत लगातार खराब होने के कारण पहले ऑक्सीजन बेड पर रखा गया था. इसके बाद मास्क वेल वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया. इसके बावजूद महिला का ऑक्सीजन लेवल लगातार नीचे गिरता जा रहा था. महिला का एबीजी टेस्ट कराया गया तो पता चला कि स्थिति और खराब होती जा रही है. लेकिन चिकित्सकों ने हार नहीं मानी, वे लगातार महिला को बचाने की कोशिश में जुटे रहे.
आईसीयू (ICU) के चिकित्सकों के पैनल ने चर्चा की, जिसमें यह निष्कर्ष निकला कि अगर जल्दी कुछ नहीं किया गया तो महिला बस कुछ मिनटों की मेहमान है. कोरोना संक्रमित महिला की जान बचाने के लिए चिकित्सकों ने बेहद कठिन फैसला लिया. तय किया गया कि महिला के मुंह के रास्ते ट्यूब डालकर इनवेसिव वेंटिलेटर पर डाला जाए. इससे पहले इस विधि से अस्पताल में कोई इलाज नहीं हुआ था. फिर भी जोखिम लेते हुए आइसीयू में तैनात चिकित्सक डा. राजकुमार, डा. अजीत कुमार और डा. विकास वल्लभ ने समय रहते यह प्रक्रिया पूरी की. आखिरकार महिला का ऑक्सीजन लेवल 40 से 93 पर पहुंच गया.
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महिला की जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने अपनी जान भी जोखिम में डाली. इस प्रक्रिया के दौरान ट्यूब महिला के मुंह, गले से होते हुए फेफड़े तक पहुंचाना था. इस दौरान कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण फैलने का पूरा खतरा था. इस प्रक्रिया को अंजाम देने वाले डॉक्टर संक्रमित हो सकते थे. लेकिन डॉक्टरों ने सभी चुनौतियों पर जीत हासिल कर महिला की जान बचाई.
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