लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनातनी के बीच अमेरिका ने बड़ा बयान दिया है.
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नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अचानक भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में मध्यस्थता करने की पेशकश की और कहा कि वह दोनों पड़ोसी देशों की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के दौरान तनाव कम करने के लिए ‘तैयार, इच्छुक और सक्षम’ हैं. ट्रंप ने पहले कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच भी मध्यस्थता की पेशकश की थी, लेकिन नई दिल्ली ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. भारत का कहना है कि द्विपक्षीय संबंधों में तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘‘हमने भारत और चीन दोनों को सूचित किया है कि अमेरिका उनके इस समय जोर पकड़ रहे सीमा विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम है. धन्यवाद.’’
ट्रंप के इस अनपेक्षित प्रस्ताव से एक सप्ताह पहले एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने चीन पर भारत के साथ सीमा पर संघर्ष में शामिल होने का आरोप लगाया था ताकि यथास्थिति को बदला जा सके. दक्षिण एशिया के लिए शीर्ष अमेरिकी राजनयिक एलिस जी वेल्स ने भारत को चीन के आक्रामक रुख का विरोध करने के लिए भी प्रोत्साहित किया था.
उन्होंने सेवानिवृत्त होने से कुछ दिन पहले 20 मई को यहां अटलांटिक काउंसिल में कहा, ‘‘अगर आप दक्षिण चीन सागर की तरफ देखें तो यहां चीन के परिचालन का एक तरीका है और यह सतत उग्रता है तथा यथास्थिति को बदलने, नियमों को बदलने की लगातार कोशिश है.’’
चीन ने अगले दिन वेल्स के बयान को बेतुका कहकर खारिज कर दिया था. चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने भी कहा कि बीजिंग और नई दिल्ली में राजनयिक माध्यमों से बातचीत हो रही है और वाशिंगटन को इसमें कोई लेना-देना नहीं है.
We have informed both India and China that the United States is ready, willing and able to mediate or arbitrate their now raging border dispute: US President Donald Trump (file pic) pic.twitter.com/JRwUKIFkQx
— ANI (@ANI) May 27, 2020
करीब 3,500 किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) भारत और चीन के बीच वस्तुत: सीमा है. एलएसी पर लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में अनेक क्षेत्रों में भारत और चीन दोनों की सेनाओं ने हाल ही में सैन्य निर्माण किये हैं. इससे दो अलग-अलग गतिरोध की घटनाओं के दो सप्ताह बाद भी दोनों के बीच तनाव बढ़ने तथा दोनों के रुख में सख्ती का स्पष्ट संकेत मिलता है.
लेकिन चीन ने बुधवार को एक तरह से सुलह वाले अंदाज में कहा कि भारत के साथ सीमा पर हालात कुल मिलाकर स्थिर और नियंत्रण में हैं तथा दोनों देशों के पास संवाद और परामर्श के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने के लिए उचित प्रणालियां और संचार माध्यम हैं.
भारत ने कहा है कि चीनी सेना लद्दाख और सिक्किम में एलएसी पर उसके सैनिकों की सामान्य गश्त में अवरोध पैदा कर रही है. भारत ने चीन की इस दलील को पूरी तरह खारिज कर दिया कि भारतीय बलों द्वारा चीनी पक्ष की तरफ अतिक्रमण से दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ गया.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सभी गतिविधियां सीमा के इसी ओर संचालित की गई हैं और भारत ने सीमा प्रबंधन के संबंध में हमेशा बहुत जिम्मेदाराना रुख अपनाया है. उसी समय विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पिछले सप्ताह एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में कहा था, ‘‘भारतीय सैनिकों द्वारा पश्चिमी सेक्टर या सिक्किम सेक्टर में एलएसी के आसपास गतिविधियां संचालित करने की बात सही नहीं है. भारतीय सैनिक भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा से पूरी तरह अवगत हैं और निष्ठापूर्वक इसका पालन करते हैं.’’
भारतीय सेना के कमांडरों की बैठक
इस बीच सीमा पर तनातनी के बीच भारतीय सेना के कमांडरों का सम्मेलन बुधवार को नई दिल्ली में शुरू हो गया है, जहां सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा के संबंध में गहन चर्चा की जाएगी. पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ तनाव से पहले इस सम्मेलन की योजना बनाई गई थी. सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं. भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बल के शीर्ष कमांडर बैठक में भाग ले रहे हैं. इस बैठक में लद्दाख में चीन के कारण उपजे हालात सहित सभी सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा होगी.
आर्मी कमांडर्स कांफ्रेंस महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों के लिए होता है, जिसमें शीर्ष स्तर के अधिकारी शामिल होते हैं. यह अप्रैल 2020 के लिए निर्धारित था, मगर कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित हो गया था. इसे अब दो चरणों में आयोजित किया जाएगा. सम्मेलन का पहला चरण बुधवार को शुरू हुआ और 29 मई, 2020 तक जारी रहेगा. इसके बाद दूसरा चरण जून 2020 के अंतिम सप्ताह में शुरू होगा.
भारतीय सेना का शीर्ष स्तर का नेतृत्व मौजूदा उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक चुनौतियों पर विचार-मंथन करेगा और भारतीय सेना के लिए भविष्य के पाठ्यक्रम को निर्धारित किया जाएगा. इसमें सेना कमांडरों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित कॉलेजिएट प्रणाली के माध्यम से निर्णय लिया जाता है.
साउथ ब्लॉक में शुरू पहले चरण के सम्मेलन दौरान, परिचालन और प्रशासनिक मुद्दों से संबंधित विभिन्न पहलुओं जिसमें रसद और मानव संसाधन से संबंधित अध्ययन शामिल हैं, पर चर्चा की जाएगी. इसमें चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ उभरती स्थिति भी शामिल है.
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पीएम मोदी ने रक्षा मंत्री और सैन्य प्रमुखों के साथ की बैठक
इससे पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में मौजूदा जमीनी हालात और हाल के दिनों में चीनी व भारतीय सेनाओं के आमने-सामने आ जाने की स्थिति पर चर्चा की. सिंह ने जमीनी स्थिति को समझने और बलों के अगले कदम के बारे में चर्चा करने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से भी बातचीत की.
सिंह को चीनी सैनिकों के संख्याबल के हिसाब से भारतीय प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी दी गई. बैठक के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि भारतीय सेना भी पूरी तरह मुस्तैद रहेगी और मौजूदा स्थिति के समाधान के लिए बातचीत भी जारी रहेगी. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सड़क निर्माण जारी रहना चाहिए और भारतीय किलेबंदी और सेना की तैनाती चीनी सेना से मेल खानी चाहिए.
पिछले कुछ हफ्तों से भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने आने के समाधान के लिए कई बैठकें कीं, हालांकि अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. सूत्रों का कहना है कि इसे लेकर पिछली बैठक रविवार को हुई थी, लेकिन कई बातें अनसुलझी रहीं. हालांकि मुद्दों को सुलझाने के लिए और भी कमांडर स्तर की वार्ता होनी है. सूत्रों ने कहा कि जमीनी स्तर पर सैन्य कमांडरों के बीच पांच दौर की बातचीत हुई है, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली है.