अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को लेकर बड़ा बयान दिया है.
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वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि आज हम डब्ल्यूएचओ के साथ अपने संबंधों को खत्म कर रहे हैं.
ट्रंप ने कहा, '40 मिलियन डॉलर प्रति वर्ष का भुगतान करने के बावजूद डब्ल्यूएचओ पर चीन का नियंत्रण है, जबकि अमेरिका प्रति वर्ष 450 मिलियन डॉलर का भुगतान कर रहा है. WHO कोरोना को रोकने में शुरुआती स्तर पर नाकाम रहा, क्योंकि अब सुधार की जरूरत है इसलिए आज हम डब्ल्यूएचओ के साथ अपने संबंधों को खत्म कर रहे हैं.'
ट्रंप ने कहा कि वह WHO को दिए जाने वाले फंड को अब पब्लिक हेल्थ की दिशा में काम करने वाले किसी और संगठन को देंगे.
#WATCH "China has total control over WHO despite only paying $40 million a year compared to what US has been paying which is approx $450 million a year.Because they have failed to make requested&needed reforms today we will be terminating our relationship with WHO": US President pic.twitter.com/4i4DlCHhqc
— ANI (@ANI) May 29, 2020
ट्रंप ने कहा, 'वर्षों से चीन की सरकार ने हमारे औद्योगिक रहस्यों को चुराने के लिए गलत तरीके से जासूसी की है. आज मैं हमारे राष्ट्र के महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय अनुसंधान को बेहतर ढंग से सुरक्षित करने के लिए एक घोषणा जारी करूंगा और संभावित विदेशी जोखिमों के रूप में पहचाने जाने वाले चीन के कुछ विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दूंगा.'
ट्रंप ने कहा, 'हांगकांग के खिलाफ चीनी सरकार का नया कदम उसकी साख को कम कर रहा है. यह हांगकांग के लोगों, चीन के लोगों और वास्तव में दुनिया के लोगों के लिए एक त्रासदी है.'
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ट्रंप ने कहा, 'चीन ने अपने एक देश, दो सिस्टम के वादे को एक देश, एक सिस्टम से बदल दिया है. इसलिए अब मैं अपने प्रशासन को निर्देश दे रहा हूं कि हांगकांग को अलग और स्पेशल ट्रीटमेंट देने वाली नीतिगत छूटों को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करें.'
उन्होंने कहा, 'हम हांगकांग के लिए ट्रैवल एडवाइजरी में संशोधन करेंगे.' उन्होंने कहा कि वुहान वायरस के चीन के कवर-अप ने इस बीमारी को पूरी दुनिया में फैलने की इजाजत दी, जिससे एक वैश्विक महामारी पैदा हुई, जिसने 1 लाख से ज्यादा अमेरिकी जीवन और दुनिया में लाखों लोगों की जान ले ली. चीनी अधिकारियों ने डब्ल्यूएचओ के प्रति अपनी रिपोर्टिंग के दायित्वों की अनदेखी की.