भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की पहचान उस दौर में एक दमनकारी कंपनी के तौर पर थी, जो हिंदुस्तानियों का उत्पीड़न करती थी. साल 2003 में शेयर धारकों के एक समूह ने कंपनी को खरीदा, जिन्होने एक बार फिर चाय और कॉफी बेचने का कारोबार शुरू किया.
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नई दिल्ली : भारत समेत दुनिया के एक बड़े हिस्से पर लंबे समय तक राज करने वाली वो कंपनी जिसके पास कभी लाखों की फौज थी, खुद की खुफिया एजेंसी थी और तो और टैक्स वसूली का भी अधिकार था, अब उस 'ईस्ट इंडिया कंपनी' (East India Company) के मालिक एक भारतीय उद्धमी हैं. कंपनी के नए मालिक का नाम संजीव मेहता (Sanjiv Mehta) है, जो भारतीय मूल के बड़े कारोबारी हैं.
गौरतलब है कि ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना वर्ष 1600 में हुई थी. उस दौर में एलिजाबेथ प्रथम (Queen Elizabeth I) ब्रिटेन (Britain) की महारानी थीं. जिन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को एशिया में कारोबार करने की खुली छूट दी थी. शुरुआत में कंपनी भारत (India) से यूरोप (Europe) में मसाले, चाय और असाधारण उत्पाद मंगाती थी. कंपनी ने अपना ज्यादातर कारोबार भारतीय उपमहाद्वीप और चीन में फैलाया. कंपनी तरह-तरह के खाद्य पदार्थ पूर्व के देशों से पश्चिम भेजने लगी थी.
1857 की क्रांति के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी बिखर गई थी क्योंकि उस वक्त कंपनी के सैनिकों ने ब्रिटेन और अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी थी. लेकिन इसके बावजूद कंपनी का अस्तित्व बना रहा. आज भी यह कंपनी दुनिया भर की यादों और इतिहास के पन्नों में दर्ज है.
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भारत में दमन और उत्पीड़न का प्रतीक थी कंपनी
भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की पहचान उस दौर में एक दमनकारी कंपनी के तौर पर होती थी, जो हिंदुस्तानियों का उत्पीड़न करती थी. साल 2003 में शेयर धारकों के एक समूह जिन्होने इस ईस्ट इंडिया कंपनी को खरीदा था उन्होने एक बार फिर चाय और कॉफी बेचने का कारोबार शुरू किया.
भारतीय उद्यमी ने बदली पहचान
भारतीय उद्यमी संजीव मेहता ने 2005 में कंपनी में अपना दखल हासिल किया और कंपनी को लक्जरी टी, कॉफी और खाद्ध पदार्थों के कारोबार में एक नया ब्रांड बनाकर कंपनी को नई पहचान दी. कंपनी के मालिक मेहता के मुताबिक जिस कंपनी ने कभी दुनिया पर राज किया आज उसका मालिक होना एक भारतीय के तौर पर उन्हे गर्व का अहसास कराता है.
2010 में लंदन में खोला पहला स्टोर
मेहता ने नई पहचान के साथ कंपनी का पहला स्टोर लंदन के धनवान लोगों का इलाका कहे जाने वाले मेफेयर (Mayfair ) में खोला था. नए मालिक संजीव मेहता का कहना है कि भले ही ये कंपनी कभी अपनी आक्रामकता के लिए जानी जाती थी लेकिन आज की ईस्ट इंडिया कंपनी की पहचान एक संवेदनशील कंपनी के रूप में है.
बेहद खास है 8 सितंबर की तारीख
आठ सितंबर को संजीव मेहता की इस कंपनी को आर्म्स सेक्टर में काम शुरू किया. फिर कंपनी ने टकसाल में सिक्के ढालने का काम किया. ऐसे में कंपनी के शेयर खरीदने का मतलब मेहता के लिए बेहद भावपूर्ण था, क्योंकि इसी कंपनी ने कभी भारतीय उपमहाद्वीप में तिजारत से लेकर सियासत करने के दौरान जुल्म और सितम की इंतहा कर दी थी.
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