Money laundering: ED ने झारखंड के मुख्यमंत्री की मुख्य सचिव वंदना को लिखी चिट्ठी. बता दें, ED के अधिकारियों से मांगे जवाब पर चिट्ठी लिखी है. एजेंसी ने इसे मनी लॉड्रिंग की जांच में दखल बताया है.
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Jharkhand : वंदना दादेल ने 9 जनवरी को झारखंड के सभी सरकारी अधिकारियों को चिट्ठी लिख कर कहा था, कि ED की तरफ से आने वाले नोटिस और जांच के लिए मांगे जाने वाले दस्तावेजों को सीधे ना भेजा जाए. आदेश में यह भी कहा गया था, कि सभी अधिकारी जिनको नोटिस आता है वो अपने विभाग अधिकारी के जरिए संबधित मंत्रालय और विजिलेंस विभाग को बताए. वही इसका जवाब देंगे. इसके अलावा वंदना दादेल ने ED के जांच अधिकारी को चिट्ठी लिख कर वैभव कुमार, नौशाद आलम, राजा मित्रा, अवधेश कुमार और IAS अधिकारी राम निवास यादव के खिलाफ चल रही जांच में जानकारी मांगने और इन अधिकारियों को नोटिस भेजे जाने की जानकारी मांगी थी.
इसके जवाब में ED के जांच अधिकारी ने चिट्ठी लिख इसे जांच में दखल बताया और कहा कि राज्य सरकार और वहां के अधिकारी को इस तरह से मनी ल़ॉड्रिंग मामले में चल रही जांच में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है और ना ही वो इस तरह से जांच अधिकारी से कोई जानकारी मांग सकते है. इसके अलावा जो चिट्ठी अधिकारियों को निर्देश देने के लिए लिखी गयी थी और सीधे जवाब ना देने के लिए कहा गया, उसे भी जांच में दखल बताया गया.
एजेंसी के जांच अधिकारी ने चिट्ठी में कहा कि मनी लॉड्रिंग मामले में चल रही जांच में जिससे जानकारी मांगी जाती है सिर्फ वहीं इस मामले की जानकारी दे सकता है और मनी लॉड्रिग का कानून के हिसाब से वो कानूनी रूप से बाध्य है कि इस जानकारी को किसी और के साथ साझा ना करे. एजेंसी ने कहा कि जिस वय्कित को नोटिस जाता है और कानून के अनुसार बाध्य है कि वो जांच में शामिल हो और साथ ही सही जानकारी एजेंसी को दी जाए.
इसी हिसाब से एजेंसी ने वंदना दादेल से पूछा कि आखिर वो कानून के किस अधिकार से अधिकारियों को चिठ्ठी लिख जानकारी मांग रही है और जांच के दायरे में आये आरोपियों से जानकारी ना देने की बात कर उनसे साझा करने को कह रही है. एजेंसी ने कहा कि जो भी व्यकित जांच से जुड़ी जानकारी मांगने और उसमें दखल देने की कोशिश करता है वो एक तरह से जांच के दायरे में आ सकता है. इसी तरह से वंदना दादेल ने एजेंसी के जांच अधिकारी से पांचों अधिकारियों के खिलाफ चल रही जांच की जानकारी और इन आरोपियों को निर्देश दिये है उसका सीधा मतलब है कि आप जांच से जुड़ी खुफिया जानकारी जानना चाहते है और जांच को भटकाना भी चाहते हो. इसके अलावा इन आरोपियों पर दबाव या डर दिखा सही जानकारी ना देने का दबाव भी बना रहे है. इस तरह की कोशिश करने करने पर जांच अधिकारी कानूनी कार्यवाही के लिये मजबूर हो जायेगा और कानून के हिसाब से कार्यवाही की जाएगी.
चिट्ठी में ये भी लिखा गया कि PMLA कानून देश की संसद से पास हुआ है और इसमें किसी भी तरह से राज्य सरकार का दखल नहीं हो सकता है और जो भी इसे करने की कोशिश करेगा वो गलत होगा. इस मामले में केवल केंद्र सरकार किसी भी तरह के दिशा निर्देश दे सकती है क्योंकि संसद ने राज्य सरकारों को इसमें दखल देने की शक्ति नहीं दी है.