चुनाव आयोग ने राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में हटाया NOTA का विकल्प
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चुनाव आयोग ने राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में हटाया NOTA का विकल्प

चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के प्रमुख निर्वाचन अधिकारियों को जारी एक आदेश में कहा, 'राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में अब नोटा का विकल्प नहीं होगा.' 

(प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों के मतपत्रों से 'उपर्युक्त में से कोई भी नहीं' (नोटा) विकल्प मंगलवार को वापस ले लिया. बता दें उच्चतम न्यायालय ने 21 अगस्त को कहा था कि राज्यसभा चुनाव के मतपत्र में नोटा का विकल्प नहीं होगा. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसे प्रत्यक्ष चुनावों में नोटा एक विकल्प के रूप में जारी रह सकता है.

फैसले के आलोक में चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के प्रमुख निर्वाचन अधिकारियों को जारी एक आदेश में कहा, 'राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में अब नोटा का विकल्प नहीं होगा.' इसमें कहा गया है कि अब से इन चुनावों के मतपत्रों में नोटा के लिए कॉलम मुद्रित नहीं किया जाएगा.

आयोग ने जारी किया आप को नोटिस
वहीं आम आदमी पार्टी (आप) के चुनावी फंडिंग ब्यौरे में विसंगतियों का विषय उठाते हुए चुनाव आयोग ने मंगलवार को इस पार्टी को उसके पारदर्शिता दिशानिर्देशों का पालन करने में ‘पहली नजर में नाकाम रहने पर’ कार्रवाई के लिए चेताया. आयोग ने अपने कारण बताओ नोटिस में दावा किया कि हवाला आपरेटरों के जरिये लेनदेन को ‘गलत तरीके से स्वैच्छिक दान के रूप में दिखाया गया.’

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आयोग ने आप से नोटिस का जवाब ‘20 दिन में’ देने को कहा और कहा कि ऐसा नहीं करने पर उसके तथा केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के पास उपलब्ध जानकारी पर गुणदोष के आधार पर फैसला किया जाएगा. चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश का नियम 16 ए चुनाव आयोग को किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की मान्यता निलंबित करने या वापस लेने की अनुमति देता है. आप दिल्ली में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है.

नोटिस में कहा गया कि आप ने 30 सितंबर 2015 को वित्त वर्ष 2014-15 के लिए मूल दान रिपोर्ट सौंपी थी. बाद में पार्टी ने 20 मार्च 2017 को संशोधित रिपोर्ट दी. आयोग ने कहा कि वर्ष 2015 में सीबीडीटी प्रमुख के कार्यालय से वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान ‘‘आप द्वारा प्राप्त दान छिपाने’’ के संबंध में एक रिपोर्ट मिली थी.

(इनपुट - भाषा)

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