Odisha Train Accident: बालासोर का दंश, एक महीने बाद भी अपनों की तलाश में भटक रहे लोग
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Odisha Train Accident: बालासोर का दंश, एक महीने बाद भी अपनों की तलाश में भटक रहे लोग

Odisha Balasore Rail Accident: रेल हादसे में मारे गए 293 लोगों में से 81 अज्ञात शव एम्स भुवनेश्वर में रखे गए हैं, जिनमें से 29 की पहचान डीएनए परीक्षण के जरिए की गई है. अन्य 52 शवों की पहचान अभी बाकी है.

Odisha Train Accident: बालासोर का दंश, एक महीने बाद भी अपनों की तलाश में भटक रहे लोग

One month of Odisha Rail accident: ओडिशा के बालासोर में एक महीने पहले हुई ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना का दर्द लोग अभी तक नहीं भुला पाए हैं. पिछले तीन दशकों में भारत की सबसे भीषण ट्रेन दुर्घटना में कम से कम 293 लोग मारे गए, और 1000 से अधिक घायल हो गए थे. मगर आज भी कुछ लोग अपनों की तलाश में जुटे हैं. भारत की सबसे भीषण ट्रेन दुर्घटना होने के बाद यात्रियों के परिवार वालों ने अपनों की तलाश शुरू कर दी थी. 210 से अधिक लोग अपने परिवार के सदस्यों के शवों की पहचान कर पाए. जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को घायल अवस्था में अस्पतालों में पाया, वे भाग्यशाली थे.

हादसे का एक महीना

मगर, घटना के एक महीना बीत जाने के बावजूद कई परिवार अभी भी अपने परिजनों का इंतजार कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल के अशोक रबीदास उनमें से एक हैं. वह अधिकारियों द्वारा अपने छोटे भाई कृष्णा रबीदास (22) के शव को ले जाने की अनुमति दिए जाने का इंतजार कर रहे हैं. एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकने के बाद अशोक रबिदास एम्स भुवनेश्वर पहुंचे जहां अज्ञात व्यक्तियों के शवों को संरक्षित किया गया है.

डीएनए रिपोर्ट का इंतजार

वहीं, उनके भाई कृष्णा के शव की पहचान करने के लिए एम्स प्राधिकरण ने संबंधित शव के डीएनए के नमूने नई दिल्ली स्थित केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) को भेजे हैं. इस बीच एम्स भुवनेश्वर को अन्‍य दावेदारों से मेल खाने वाले 29 शवों की डीएनए रिपोर्ट मिल गई है. हालांकि,पी‍डि़तअशोक ने कहा कि कृष्णा की डीएनए रिपोर्ट नहीं आई है.

रेल हादसे के पीड़ितों की केस स्टडी -1

पश्चिम बंगाल के मालदा के हरिश्चंद्रपुर ट्रिपलतला गांव के मूल निवासी अशोक यहां रेलवे द्वारा उपलब्ध कराए गए एक गेस्ट हाउस में रह रहे थे. इंतजार खत्म नहीं हुआ है और उन्हें अपने काम पर लौटना है, इसलिए अशोक चार दिन पहले अपने गांव चले गए. अब उनके भाई सिबचरण रबीदास कृष्णा के शव के लिए भुवनेश्वर में इंतजार कर रहे हैं.

आईएएनएस के साथ अपनी कहानी साझा करते हुए अशोक ने कहा कि कृष्णा जुलाई 2022 से बेंगलुरु में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करता था. दो जून को वह अपनी छोटी बहन की शादी के लिए यशवंतपुर हावड़ा एक्सप्रेस से घर लौट रहा था.

उन्‍होंने कहा, 'मेरी बहन की शादी 12 जून को होने वाली थी. अब इसे रद्द कर दिया गया है. अपनी बहन की शादी के बाद, हमने कृष्णा की शादी करने की योजना बनाई थी. अशोक ने कहा, लेकिन हादसे ने सब कुछ खराब कर दिया.'

उन्‍होंने आगे बताया, घटना के बाद मेरे पिता और मां पूरी तरह से टूट गए हैं. चिंता की बात यह है कि हमें अभी तक हमारे भाई का शव नहीं मिला है, जिसके कारण हमारे घर में कुछ भी सामान्य नहीं है.

केस स्टडी- 2

इसी तरह पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के सिबकांत रॉय सदमे में हैं. उनके बेटे बिपुल रॉय का शव बिहार का एक अन्य परिवार ले गया. सिबकांत रॉय ने कहा, जब मुझे दुर्घटना के बारे में पता चला तो मैं अरुणाचल प्रदेश में था. मैं तुरंत घर गया और हमारे बीडीओ से मेरे लिए एक वाहन की व्यवस्था करने का अनुरोध किया. रॉय ने कहा, उन्होंने इसकी व्यवस्था की और मैं बालासोर पहुंचा.

इधर-उधर खोजने के बाद, पिता को सभी मृत व्यक्तियों की तस्वीरों के बीच एक दीवार पर बिपुल की तस्वीर दिखाई दी. स्तब्ध सिबकांत ने जब अपने बेटे का शव खोजा तो पता चला कि बिहार का कोई व्यक्ति उसे पहले ही ले जा चुका है.

एम्स भुवनेश्वर में 81 अज्ञात शव

एम्स भुवनेश्वर पहुंचने के बाद मुझे पता चला कि मेरे बेटे का शव कोई और ले गया है. रॉय ने पूछा,अब मैं क्या करूं? 2 जून की शाम को हुए इस रेल हादसे में मारे गए 293 लोगों में से 81 अज्ञात शव एम्स भुवनेश्वर में रखे गए हैं, जिनमें से 29 की पहचान डीएनए परीक्षण के जरिए की गई है. अन्य 52 शवों की पहचान अभी बाकी है.

(इनपुट: IANS)

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