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नई दिल्ली: सेफ लाइफ फाउंडेशन और Mercedes-Benz रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंडिया ने हाल ही में एक सर्वे किया है. इस सर्वे में बताया गया है कि जिस ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल बच्चे स्कूल जाने के लिए करते हैं वह कितने ज्यादा सुरक्षित हैं, और किस तरह के सुधार की आवश्यकता है.
यह सर्वे हाल ही में किया गया है. इस सर्वे के लिए करीब 11845 सैंपल लिए गए हैं जिनमें कि 5711 बच्चे और 6134 पेरेंट्स शामिल हैं. इस सर्वे के लिए भारत में करीब 14 शहरों से लोगों के रिएक्शन लिए गए और इस सर्वे के लिए क्लास 1 से 12 तक के स्टूडेंट्स शामिल किए गए हैं.
रोड सेफ्टी (Road Safety) को जांचने के लिए अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, चेन्नई, दिल्ली और जयपुर जैसे 14 शहरों को चुना गया था. इसमें पाया गया कि 47% बच्चे स्कूल जाने के लिए स्कूल की गाड़ियां, वैन इस्तेमाल करते हैं. इन सभी गाड़ियों के ड्राइवर बिना सीट बेल्ट के गाड़ी इस्तेमाल करते हैं. 34% बच्चे टू-व्हीलर यानी दो पहिया वाहनों पर स्कूल जाते हैं और वह भी बिना हेलमेट के स्कूल जाते हैं.
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सेवलाइफ फाउंडेशन और मर्सिडीज-बेंज रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंडिया (MBRDI) के सर्वे से खुलासा हुआ है कि देश में करीब 30% बच्चे स्कूल जाते समय सड़क दुर्घटना के शिकार होते हैं, जबकि 6% अन्य दुर्घटनाओं की चपेट में आ जाते हैं. नंबरों की बात करें तो देश में रोज करीब 30 बच्चों की जान रोड एक्सीडेंट की वजह से जाती है. इस सर्वे में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि रोड पर चलने के लिए साइकिल ट्रैक नहीं हैं, खुद पैदल जाने के लिए फुटपाथ नहीं है. इसलिए भी ऐसे हादसे होते हैं.
सेफ लाइफ फाउंडेशन के फाउंडर और CEO पीयूष तिवारी ने कहा कि अभी करीब 25 राज्य और यूनियन टेरिटरीज में फैसला लिया गया है कि स्कूल दोबारा खुलेंगे तो ऐसे में यह सर्वे और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि कैसे हम स्कूली बच्चों को सावधानीपूर्वक स्कूल तक पहुंचा सकें और स्कूल से वापस घर ला सकें. मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे के डाटा के अनुसार 18 साल से कम उम्र के करीब 11,000 बच्चे 2019 में रोड ऐक्सिडेंट में अपनी जान गवां चुके हैं.
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