कोरोना वायरस (Coronavirus) से ठीक हुए लोगों को प्रदूषण का खतरा ज्यादा है और डॉक्टरों ने उन्हें फ्लू वैक्सीन लगवाने का सुझाव दिया है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) से भारत में अब तक 70 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं. ठीक होने के बाद भी मरीजों में कुछ लक्षण दिखते रहते हैं और इसे 'लॉन्ग कोविड' (long Covid) कहा जाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना से ठीक हुए लोगों के लिए प्रदूषण (Air Pollution) काफी खतरनाक है और डॉक्टरों ने उन्हें फ्लू वैक्सीन लगवाने का सुझाव दिया है.
प्रदूषण से बढ़ सकता है जोखिम
हवा की खराब गुणवत्ता में रहने वाले कोरोना वायरस के संक्रमितों की संवेदनशीलता, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु का जोखिम बढ़ सकता है. इसके अलावा डॉक्टरों का मानना है कि वायु प्रदूषण से ठीक हुए लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण भी बढ़ सकते हैं, जो काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं.
मरीजों में देखे गए हैं ये लक्षण
एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि रोम के एक अस्पताल में कोरोना वायरस (Coronavirus) से ठीक हुए 134 मरीजों में से 87 फीसदी रोगियों में दो महीने बाद ही कोविड-19 के कम से कम एक लक्षय दिखाई देने लगे. मरीजों ने खांसी, थकान, दस्त, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द और फेफड़े, दिल व गुर्दे में क्षति की शिकायत की. अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल JAMA के अनुसार, लॉन्ग कोविड में थकान सबसे आम लक्षण है.
इन लोगों को होता है ज्यादा खतरा
रिपोर्ट के अनुसार वृद्ध, महिलाओं, अधिक वजन वाले और मोटे लोगों, अस्थमा के रोगियों में शुरुआती पांच सप्ताह में अगर कोरोना के लक्षण (symptoms of Covid-19) पाए जाते हैं, उन्हें लॉन्ग कोविड का खतरा अधिक होता है. वहीं, जिन लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण या बिना लक्षण होते हैं, उनके लिए भी खतरा अधिक है. किंग्स कॉलेज लंदन में एक अप्रकाशित शोध के हवाले से कहा गया है कि 20 में से एक व्यक्ति आठ सप्ताह तक बीमार रहता है.
एम्स डायरेक्टर ने भी दी टीकाकरण सलाह
एम्स (दिल्ली) डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) ने कहा, 'बढ़ते प्रदूषण, गिरते तापमान और त्योहारों के मौसम में बढ़ती भीड़ से खतरा ज्यादा है. जो लोग लॉन्ग कोविड वाले हैं, उन्हें फ्लू के खिलाफ टीकाकरण करा लेना चाहिए, ताकि पोस्ट-रिकवरी लक्षणों की गंभीरता कम हो सके और फ्लू इन्फेक्शन से भी सुरक्षा मिले.'
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