पूर्वी एशिया सम्मेलन का मंच सुरक्षा और रक्षा संबंधी मुद्दों पर महत्वपूर्ण फैसले लेने में अहम भूमिका निभा सकता है. संघ ने क्षेत्र के रणनीतिक, भू राजनीतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S.Jaishankar) आज पूर्वी एशिया सम्मेलन (East Asia Summit) में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. विदेश मंत्रालय ने समूह के 15वें शिखर सम्मेलन में एस जयशंकर के भाग लेने की घोषणा की है. कोरोना काल में ऑनलाइन यानी वर्चुअल सम्मेलन का आयोजन होगा. शिखर वार्ता को लेकर मंत्रालय ने बताया कि सम्मेलन की अध्यक्षता वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन शुआन हु (Prime Minister of Vietnam Nguyen Xuan Phuc) करेंगे और इसमें समूह के सभी 18 सदस्य देश भाग लेंगे.
ईस्ट एशिया ऑर्गेनाइजेश का मंच
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इस संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका है. पूर्वी एशिया सम्मेलन सुरक्षा और रक्षा संबंधी मुद्दों पर महत्वपूर्ण फैसले लेने में अहम भूमिका निभा सकता है. इस संगठन ने वर्ष 2005 में अपनी स्थापना के बाद से, इसने पूर्वी एशिया के रणनीतिक, भू राजनीतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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र्तमान चुनौतियों पर होगी चर्चा
विदेश मंत्रालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों के अलावा सम्मेलन में समूह को और मजबूत बनाने के तरीकों और आपात स्थिति से निपटने की क्षमता को बेहतर बनाने के संबंध में चर्चा होगी. मंत्रालय से साझा जानकारी के मुताबिक इस दौरान संघ में शामिल राष्ट्राध्यक्ष और प्रतिनिधि कोरोना महामारी से निपटने के साथ कोरोना काल में हुए अर्थव्यवस्था के नुकसान की भरपाई पर भी चर्चा करेंगे.
भारत-प्रशांत क्षेत्र की रणनीति
आयोजन के दौरान मंच में शामिल सभी गणमान्य प्रतिनिधि भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थायित्व बरकरार रखने के लिए समुचित रणनीति और विश्वास बहाली पर भी मंथन करेंगे.
आसियान से अहम नाता
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत का मानना है कि आसियान को लेकर तय हुए लक्ष्यों को पूरा करने में ईस्ट एशिया मंच भी सहयोग कर सकता है. गौरतलब है कि
इस मंच में आसियान के 10 सदस्य ब्रूनेई दारुसल्लाम, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यामां, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के अलावा भारत, चीन, जापान, कोरिया गणतंत्र, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस भी शामिल हैं.