DNA: नोएडा की जेल में कैदियों से वसूली, फोन पर जानलेवा धमकियां..कौन कर रहा है ये धंधा?
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DNA: नोएडा की जेल में कैदियों से वसूली, फोन पर जानलेवा धमकियां..कौन कर रहा है ये धंधा?

Noida Jail: जब जेल के अंदर से ही अपराध का एक पूरा नेक्सस चल रहा हो, तो फिर क्या ही कहा जाए। कैदियों को डराकर, उनके परिजनों से अवैध वसूली करना, कैदियों से मिलने आने वाले लोगों से अवैध वसूली करना, गंभीर आरोप हैं।

DNA: नोएडा की जेल में कैदियों से वसूली, फोन पर जानलेवा धमकियां..कौन कर रहा है ये धंधा?

Death Threats To Prisoners: उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर की जेल में वसूली का खेल चल रहा है। इस जेल के फोन नंबर से जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के परिजनों को कॉल किया जा रहा है। परिजनों से 2-2 लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। आरोप है कि जिन लोगों ने पैसे देने से इनकार किया है, उनके विचाराधीन कैदी को यातनाएं दी जा रही हैं। आरोप है कि जेल कर्मचारी, विचाराधीन कैदियों को डरा धमकाकर, परिजनों से लाखों रुपये मांग रहे है. पैसे ना लाने पर, कैदियो को मारापीटा भी जा रहा है। जेल में ही बंद एक विचाराधीन कैदी की ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आई है, जिसमें वो अपनी बहन से पैसे लाने की अपील कर रहा है, और बता रहा है कि अगर उसने पैसे नहीं दिए तो उसके साथ कुछ भी हो सकता है।

कैदियों को भी यातनाओं का भय
जेल के दरवाजों की ऐसी तस्वीरें देखकर,आप सोचते होंगे. कि इन ऊंची ऊंची दीवारों और दरवाजों के पीछे क्या होता होगा. जिनके परिवार के लोग...जेल के अंदर हैं...वो जानते हैं कि जेलों में कैदी...केवल सज़ा नहीं काटते...याताएं झेलते हैं.. कभी कभी ये यातनाएं शारीरिक होती हैं, तो कभी कभी मानसिक. यूपी के गौतमबुद्ध नगर की जेल के अंदर विचाराधीन कैदियों को भी यातनाओं का भय है इस दहशत को दूर करने के लिए वो अपने परिजनों से लाखों रुपये मांगते हैं।

उनके परिजनों से वसूली कर रहे
बात हैरान वाली है..कि जेल के अंदर बंद किसी विचाराधीन कैदी को लाखों रुपये क्यों चाहिए. तो इसका जवाब ये है कि पैसा उन्हें नहीं...उनको लोगों को चाहिए..जो यातना देकर इन विचाराधीन कैदियों के जरिए...उनके परिजनों से वसूली कर रहे हैं। गौतम बुद्ध नगर की जिला जेल के अंदर चल रहा वसूली का खेल...जिस लैंडलाइन फोन नंबर से चल रहा है...वो जेल परिसर के अंदर है...ये है उसका नंबर- 0120- 2978887....आरोप है कि इस नंबर से आने वाले वसूली के कॉल पर कोई गैंगस्टर नहीं होता...बल्कि विचाराधीन कैदी होते हैं, जो अपने परिजनों से किसी के इशारे पर पैसा मांगते हैं। इसी तरह के एक कॉल की रिकॉर्डिंग ने जेल की व्यवस्था पर सवाल उठा दिए हैं।

इस ऑडियो रिकॉर्डिंग में विचाराधीन कैदी एक लड़का, अपने बहन से जेल के गेट तक पैसे लाने की अपील कर रहा है। जेल कर्मचारी, किसी विचाराधीन कैदी से अवैध उगाही, किस तरह कर रहे हैं, इसका पता चलता है। अगली रिकॉर्डिंग में जब आप इस विचाराधीन कैदी का दर्द महसूस करेंगे, तो तब आपको पता चलेगा कि जेल के अंदर, कैदियों को किस तरह की यातनाओं को डर दिखाया जाता है।

रिकॉर्डिंग- लुट जाएगा भाई तेरा...G टूट जाएगी.....2 लाख के चक्कर में पिट जाउंगा
विचाराधीन कैदियों के परिजनों से वसूली का इस खेल का आरोप, जेल कर्मचारियों पर लग रहा है। वजह ये है कि जिस नंबर के वसूली का कॉल करवाया जा रहा है, वहां तक पहुंचने के लिए बैरक से निकलना जरूरी है। और बिना जेल कर्मचारियों की मदद के, कॉल करना बहुत मुश्किल है। मामला एक कॉल सेंटर से फ्रॉड के मामले में गिरफ्तार हुए 15 लोगों से जुड़ा हुआ है। जिनको गौतम बुद्ध नगर जिला कारागार में रखा गया था। आरोप है कि विचाराधीन कैदियों को कई तरह के काम करवाकर और यातनाएं देकर, उन के परिजनों से पैसे मंगवाने के लिए मजबूर किया जाता है। पैसे देने वालों को राहत दी जाती है, और जो पैसे नहीं देता है, उसे यातनाएं दी जाती हैं। फ्रॉड के इस मामले में जेल बंद 15 आरोपियों में से कईयों को कॉल की गई थी। लेकिन कुछ ने ही इस वसूली को लेकर आवाज उठाई।

वसूली के धंधे में लगे
जेल के लैंडलाइन नंबर से विचाराधीन कैदियों के परिजनों को कॉल जाना, उनसे 2-2 लाख रुपये लेकर जेल के गेट पर पहुंचने के लिए कहा जाना, गंभीर आरोप हैं। इस तरह के आरोप बताते हैं, जेल कर्मचारियों और जेल में बंद गैंगस्टर्स में कुछ खास फर्क नहीं है। दोनों ही वसूली के धंधे में लगे हैं। आरोपों को जेल में हमारे संवाददाता ने जेल अधीक्षक से बात की। 

गौतमबुद्ध नगर जिला कारागार में वसूली केवल विचाराधीन कैदियों के परिजनों से ही नहीं हो रही है। बल्कि यहां वसूली गैंग, हर उस व्यक्ति से अलग-अलग स्तर पर पैसे वसूल रहा है,जिसके परिवार के लोग इस जेल में बंद हैं। जेल में बंद लोगों से मिलने आने वाले परिजनों को पर्ची बनाने के ज्यादा पैसे लिए जाते हैं, कैदियों तक सामान पहुंचाने के लिए अलग से पैसे लिए जाते हैं। सामान भी कैदी तक पहुंचने से पहले चुराया जाता है। जेल के कर्मचारी हर स्तर पर अपना अपना हिस्सा काटकर,माल आगे भेज देते हैं।

अपराध का एक पूरा नेक्सस
इस मामले की शिकायत डीएम से लेकर सीएम तक की गई है। जिन परिवारों ने शिकायत की है, उनको उम्मीद है कि उनकी शिकायत के बाद कार्रवाई होगी, लेकिन क्या सच में ऐसा होगा? जेलों का मकसद कैदियों को सज़ा देने से ज्यादा उनमें सुधार लाना होता है। लेकिन जब जेल के अंदर से ही अपराध का एक पूरा नेक्सस चल रहा हो, तो फिर क्या ही कहा जाए। कैदियों को डराकर, उनके परिजनों से अवैध वसूली करना, कैदियों से मिलने आने वाले लोगों से अवैध वसूली करना, गंभीर आरोप हैं। लेकिन क्या इन आरोपों की गंभीरता समझकर, इसी स्तर पर कार्रवाई के उठाए जाएंगे, या जेल की व्यवस्था ऐसी चलेगी, इस हमारी नजर बनी रहेगी

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