टैटू गुदवाना दुश्मन का सिर काटकर लाने वाले योद्धाओं का प्रतीक
Advertisement

टैटू गुदवाना दुश्मन का सिर काटकर लाने वाले योद्धाओं का प्रतीक

शेष भारत में शहरी फैशन बने टैटू ने नगालैंड में अपना सदियों पुराना आकर्षण खो दिया है जहां कभी चेहरे पर टैटू गुदवाना दुश्मन का सिर काटकर लाने वाले योद्धाओं का प्रतीक हुआ करता था।

कोलकाता : शेष भारत में शहरी फैशन बने टैटू ने नगालैंड में अपना सदियों पुराना आकर्षण खो दिया है जहां कभी चेहरे पर टैटू गुदवाना दुश्मन का सिर काटकर लाने वाले योद्धाओं का प्रतीक हुआ करता था।

नगा शोधकर्ता फेजिन कोन्याक का कहना है कि टैटू गुदवाना सदियों से एक जनजातीय परंपरा रही है, जिसे अब आधुनिकता के आगमन के चलते मोन जिले की कोन्याक जनजाति ने पूरी तरह त्याग दिया है।

उन्होंने कहा, ‘टैटू जनजातीय परंपरा का हिस्सा था जो जीवन में आपकी उपलब्धियों को दर्शाने के लिए होता था। योद्धा यदि दुश्मन का सिर काटकर लाते थे तो उनके चेहरे पर गोदना गोदकर उन्हें पुरस्कृत किया जाता था। किसी अन्य को चेहरे पर टैटू बनवाने की अनुमति नहीं थी।’ शरीर के अन्य हिस्सों पर टैटू पुरूषों के लिए बचपन से बड़े होने तक की यात्रा तथा महिलाओं के लिए शादी, मां बनने जैसे जीवन चक्र को दर्शाने का जरिया होता था।

टैटू सिर काटकर लाने और जनजातीय संस्कृति से इतनी गहराई से जुड़ा था कि सिर काटकर लाने की प्रथा खत्म होने और गांवों में ईसाइयत फैलने के साथ कला भी लुप्त हो गई।

खुद जनजातीय समुदाय से संबंध रखने वाली फेजिन ने कहा, ‘अब पारंपरिक टैटू कलाकार नहीं बचे हैं और न ही कोई उनकी सेवा लेता है।’ 

Trending news