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नई दिल्ली: हम आपके सामने एक बहुत बड़ा खुलासा करने वाले हैं, जिससे आपको पता चलेगा कि पाकिस्तान (Pakistan) को आप कितना भी दूध पिला लो वो कभी आपका अपना नहीं हो सकता. पाकिस्तान के साथ हमने क्रिकेट का एक मैच क्या खेल लिया कि पाकिस्तान ने दुनिया भर में इसका फायदा उठाकर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया. हम चाहते हैं कि ये स्पेशल खबर आप ध्यान से पढ़ें और जानें कि पाकिस्तान कितना नीचे गिर सकता है.
पाकिस्तान से मैच हारने के बाद विराट कोहली (Virat Kohli) और रोहित शर्मा (Rohit Sharma) समेत भारत के बहुत सारे खिलाड़ियों की ट्रोलिंग हुई. लेकिन ये हेडलाइन नहीं बनी. बल्कि सबसे बड़ी अतंर्राष्ट्रीय हेडलाइन बनी मोहम्मद शमी की ट्रोलिंग. मोहम्मद शमी की ट्रोलिंग बिल्कुल फर्जी थी (#ShamiKiFarziTrolling) और इसे पाकिस्तान में बैठे कुछ खास लोगों ने करवाया था. ताकि भारत में मौजूद टुकड़े टुकड़े गैंग के सदस्य इस फर्जी ट्रोलिंग से एक बहुत बड़ी खबर बना दें और फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम किया जा सके. ये कहकर कि भारत में मुसलमान खिलाड़ियों की कोई इज्जत नहीं है.
हम अपने साथ वो तमाम सबूत लेकर आए हैं जिनसे आप समझ जाएंगे कि पाकिस्तान में बैठे कुछ लोगें ने मोहम्मद शमी की फर्जी ट्रोलिंग के लिए सोशल मीडिया पर फर्जी नामों से नए अकाउंट क्रिएट किए थे और फिर उन अकाउंट्स से इस्लाम को हथियार बनाकर भारत की टीम को एक बार फिर से हराने की कोशिश की.
रविवार को भारत टी20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के हाथों हारा, इस मैच के दौरान भारत के कई खिलाड़ियों का प्रदर्शन खराब था और इन सबकी सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग हुई. इनमें मैच की पहली गेंद पर आउट होने वाले रोहित शर्मा भी थे, तो मैच के बाद पाकिस्तान के खिलाड़ियों को गले लगाने वाले विराट कोहली भी. इन खिलाड़ियों पर भी सवाल उठाए गए, इनकी आलोचना की गई और इनके खिलाफ अपशब्द भी लिखे गए. लेकिन किसी ने इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया. उदाहरण के लिए, विराट कोहली ने जब मैच के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ी को गले लगाया तो उनकी इस तस्वीर को ट्वीट करते हुए मेजर पवन कुमार नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया, ''बलिदान' और 'गले मिलना' आलिंगन एक साथ नहीं चल सकते.'
इसी तरह Certified 90s Kid नाम के यूजर ने आईपीएल का मैच हारने के बाद विराट कोहली की रोती हुई तस्वीर और पाकिस्तान से मैच हारने के बादविराट कोहली की हंसती हुई तस्वीर लगाकर उनकी आलोचना की. वहीं मनुभाई सिंगापुरी नाम के एक यूजर ने लिखा कि हार के बाद पाकिस्तान के खिलाड़ियों के साथ मिलकर हंसना जले पर नमक छिड़कने जैसा है. जबकि अमार नाम के एक व्यक्ति ने ट्विटर पर रोहित शर्मा की शून्य पर आउट होने वाली तस्वीर डालकर लिखा कि जब जब भारत और पाकिस्तान के बीच मैच होता है. रोहित शर्मा का शून्य पर आउट होना निश्चित होता है. इस ट्वीट में तो रोहित शर्मा को देशद्रोही तक कह दिया गया. इसी तरह, विनोम नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया कि मैं समझ सकता हूं कि आज करवा चौथ है. इसलिए रोहित शर्मा जल्दी में हैं. लेकिन, केएल राहुल और सूर्य कुमार यादव को किस बात की जल्दी है?
अब आप सोचिए, सोशल मीडिया पर भारत के लगभग हर बड़े खिलाड़ी को ट्रोल किया गया. लोगों ने विराट कोहली को भी नहीं बख्शा, जिन्होंने इस मैच में हाफ सेंचुरी बनाई थी और अच्छा प्रदर्शन किया था. विराट कोहली पाकिस्तान के खिलाफ अर्धशतक बनाने वाले एक हिंदू खिलाड़ी हैं. लेकिन किसी का ध्यान इन खिलाड़ियों के धर्म और इनकी ट्रोलिंग की तरफ नहीं गया और इसे एजेंडा नहीं बनाया गया. लेकिन जैसे ही ट्विटर पर मोहम्मद शमी के खिलाफ कुछ ट्वीट्स दिखाई दिए, हमारे देश के एक वर्ग ने इसे हाथों-हाथ ले लिया और मोहम्मद शमी के धर्म को आधार बनाकर कहा जाने लगा कि उन्हें एक मुसलमान होने की सजा दी जा रही है. लेकिन क्या वाकई ऐसा था?
आज हमने इस पूरे मामले की तहकीकात की है जिसे देखकर आपको पता चलेगा कि कैसे भारत में मोहम्मद शमी के खिलाफ एक आध भी असली ट्वीट नहीं हुआ, बल्कि ये पूरी तरह से पाकिस्तान की चाल थी. हमारे लिए ये भले ही क्रिकेट का मैच था, लेकिन पाकिस्तान ने इसे धर्म युद्ध बना दिया और धर्म के इस मैच में पाकिस्तान के बैट पर इस्लाम लिखा था. अब भारत में ही मौजूद कुछ लोगों ने पाकिस्तान के साथ मिलकर इस्लाम की नई-नई दुकानें खोल ली हैं. इन दुकानों में इस्लाम को एक प्रोडक्ट की तरह बेचा जाता है और फिर उसे बेचकर भारी मुनाफा कमाया जाता है. आज इन मुनाफाखोरों का नाम लेकर हम इन्हें एक्सपोज करेंगे.
मोहम्मद शमी की इस फर्जी ट्रोलिंग की शुरुआत हुई सोशल मीडिया पर मौजूद कुछ ऐसे अकाउंट्स से, जिनका भारत से कोई लेना देना नहीं था. बल्कि ये पाकिस्तानियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स थे. उदाहरण के लिए फैजी ग्राम (Faizi Gram) नाम के एक इंस्टाग्राम अकाउंट से मोहम्मद शमी की इंस्टा पोस्ट पर एक कमेंट किया गया, जिसमें लिखा था- 'मेजर मोहम्मद शमी ISI एजेंट.' जब हमने इस अकाउंट की पड़ताल की तो हमें पता चला कि ये किसी फैज रसूल सियाल का इंस्टाग्राम अकाउंट है जो खुद को एक वकील और पाकिस्तानी बताता है.
इसी तरह मोहम्मद कामरान नामक एक व्यक्ति ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा- 'वेल डन आईएसआई एजेंट मोहम्मद शमी..हमें आप पर गर्व है.' इसके प्रोफाइल में लिखा है कि ये पाकिस्तान के कराची में रहता है. इसके ट्विटर पर पर सिर्फ 164 फॉलोअर्स हैं. वहीं सुगर काका नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया- 'शमी अब बस मुसलमान होने का सबूत दें.' ये व्यक्ति भी पाकिस्तान के इस्लामाबाद शहर में रहता है. इसी तरह पाकिस्तानी न्यूज चैनल समा टीवी (Samaa TV) के लिए काम करने वाले एक पत्रकार ने लिखा- शमी, 'पाकिस्तान की तरफ से खेल रहे हैं.' इसी तरह कुछ और गिने चुने ट्विटर हैंडल से शमी के खिलाफ ट्वीट किए गए और इनमें से ज्यादातर हैंडल या तो फेक थे, या फिर इन्हें सिर्फ मोहम्मद शमी को ट्रोल करने के लिए ही क्रिएट किया गया था जिन पर न तो कोई पुराना ट्वीट था और न ही फॉलोअर्स थे.
यही हाल इंस्टग्राम का भी था. उदाहरण के लिए, नदीम खान नाम से एक इंस्टा यूजर की प्रोफाइल भी मैच वाले दिन ही क्रिएट किया गया था. इस पर सिर्फ एक पोस्ट और एक फॉलोअर है. लेकिन इस अकाउंट से मोहम्मद शमी के इंस्टाग्राम पोस्ट पर अपशब्दों से भरे कमेंट्स किए गए. इसी अकाउंट से मोहम्मद शमी को गद्दार तक कहा गया. लेकिन अब ये अकाउंट डिलीट हो चुका है. इसी तरह इंस्टाग्राम पर Mehu Cute Girl के नाम से हाल ही में एक अकाउंट बना गया जिस पर प्रोफाइल पिक्चर तक नहीं है, इस पर कोई पोस्ट नहीं है और सिर्फ 3 फॉलोअर्स हैं. इस अकाउंट से भी मोहम्मद शमी के खिलाफ अपशब्द लिखे गए. इसी तरह Rice Puller नाम के एक इंस्टा अकाउंट से भी रोहित शर्मा को भला बुरा कहा गया, लेकिन अब ये अकाउंट भी डिलीट हो चुका है.
ट्विटर पर हमें ऐसे ही कुछ और अकाउंट मिले. इन्ही में से एक था किसी अलितजा (Alitaza) का अकाउंट. इससे मोहम्मद शमी के बारे में ऐसी ऐसी बातें लिखी गई जो हम आपको पढ़कर बता भी नहीं सकते. लेकिन जब हमने इस अकाउंट को ध्यान से देखा तो पता चला कि इस पर एक भी फॉलोअर नहीं है. लेकिन इस अकाउंट के जरिए जिन लोगों को फॉलो किया जाता है, उनमें पाकिस्तानी सरकार के अफसरों से लेकर वहां के सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी, पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद से लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तक शामिल हैं. यानी जिस अकाउंट से शमी को गद्दार और ISI एजेंट लिखा जा रहा था, वो शर्तियां तौर पर पाकिस्तान के लोगों के अकाउंट थे.
इनमें से जितने भी अकाउंट के बारे में हमने आपको बताया, उनमें से किसी के पास शून्य फॉलोअर्स हैं, किसी के पास 5 तो किसी के पास 10. यानी इनमें से कोई भी अकाउंट, किसी इन्फ्लुएंसर या बड़े व्यक्ति का नहीं है. लेकिन इन्हीं फर्जी ट्रोलिर्स को असली मानकर हमारे देश के कुछ ऐसे लोग जिन्हें ट्विटर पर ब्लू ट्रिक हासिल है, और जिन्हें लाखों लोग फॉलो करते हैं, उन्होंने शमी के समर्थन में बोलना शुरू कर दिया. उदाहरण के लिए पत्रकार बरखा दत्त (Barkha Dutt) ने लिखा भारत की क्रिकेट टीम नस्ल भेद के खिलाफ तो घुटने टेक देती है, लेकिन वो भारत की सच्चाई से अंजान है. भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली भी शमी के खिलाफ सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग पर चुप है और हम उनसे बेहतर की उम्मीद करते हैं.
ब्लू टिक वाले हरनीत सिंह के अकाउंट से भी विराट कोहली की आलोचना की गई और कहा गया कि उन्हें इस कट्टरता के खिलाफ बोलना चाहिए. वहीं राना सैफी ने लिखा स्टैंड-अप फॉर शमी फ्रेंड्स. जबकि पूर्वा चिटनिस ने भी विराट कोहली को टैग करते हुए लिखा कि कोहली को और भारतीय टीम को इस पर सार्वजनिक रूप से बात करनी चाहिए और शमी के साथ मजबूती से खड़ा होना चाहिए. अब सवाल ये है कि वो ऐसा करेंगे या नहीं. अब इनमें से किसी के 70 लाख, किसे के 10 लाख तो किसी के कुछ हजार फॉलोअर्स हैं और इसी वजह से पाकिस्तानियों की जिस ट्रोलिंग पर किसी का ध्यान भी नहीं जाता उसे इन लोगों ने बड़ा बना दिया. इसके बाद भारत के तमाम क्रिकेट खिलाड़ी भी दबाव में आ गए. उन्हें लगा कि जब ये पढ़े लिखे और लिबरल लोग कुछ लिख रहे हैं तो उसमें जरूर कोई न कोई सच्चाई होगी और फिर सबने एक लाइन से शमी के समर्थन में ट्वीट करने शुरू कर दिए.
लोग भूल गए कि भारत में कभी न कभी हर खिलाड़ी की ट्रोलिंग होती है. लोग सचिन तेंदुलकर को भी नहीं छोड़ते, जिन्हें क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. विराट कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा को भी ट्रोल किया जाता है. रोहित शर्मा अच्छा प्रदर्शन नहीं करते तो उनकी पत्नी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. ये सब हिंदू खिलाड़ी हैं, लेकिन तब कोई ये नहीं कहता कि इनके साथ ऐसा इनके धर्म की वजह से हो रहा है. लेकिन जब किसी मुसलमान खिलाड़ी की बात होती है तो इस्लाम के नाम पर तमाम दुकानें खुल जाती हैं और एक बड़ा वर्ग इन दुकानों के बाहर लाइन में खड़ा हो जाता है.
उदाहरण के लिए शमी के खिलाफ हुई फर्जी ट्रोलिंग को आधार बनाकर पत्रकार बरखा दत्त ने अमेरिकी अखबार द वॉशिंग्टन पोस्ट (The Washington Post) में एक लंबा चौड़ा ओपिनियन लिख दिया और कहा कि भारतीय टीम का नस्ल भेद के खिलाफ मैदान पर घुटने टेकना एक पाखंड था और जिस देश में मोहम्मद शमी के साथ ऐसा होता है उस देश में इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है. बरखा दत्त के इस ओपिनियन पीस में सोशल मीडिया पर मोहम्मद शमी के खिलाफ किए गए कमेंट्स का जिक्र है, जिनके बारे में हम आपको बता चुके हैं कि ऐसे कमेंट्स करने वाले ज्यादातर अकाउंट सिर्फ इसी मकसद से बनाए गए थे. लेकिन पत्रकार होने के बावजूद बरखा दत्त ने इसकी सच्चाई जानने की कोशिश नहीं की. क्योंकि ये उनके एजेंडे को सूट नहीं करता.
इसके अलावा खुद को द वॉशिंग्टन पोस्ट का लेखक बताने वाली राणा अयूब (Rana Ayyub) ने भी इसी तर्ज पर एक आर्टिकल लिखा और उन्होंने भी भारत के खिलाड़ियों को पाखंडी बता दिया और कहा कि भारत के खिलाड़ी असहनशीलता के खिलाफ एकजुटता नहीं दिखाते. राणा अयूब ने भी अपने आर्टिकल का आधार सोशल मीडिया पर मोहम्मद शमी की ट्रोलिंग को बनाया. इतना ही नहीं इस नकली ट्रोलिंग को सच मानकर भारत के कई वर्तमान और पूर्व क्रिकेटर्स ने भी शमी के समर्थन में ट्वीट करने शुरू कर दिए. इनमें सचिन तेंदुलकर से लेकर, मोहम्मद अजहरूद्दीन, वेंकटेश प्रसाद , वीवीएस लक्ष्मण, यजुवेंद्र चहल, विरेंद्र सहवाग और इरफान पठान जैसे खिलाड़ी शामिल थे. इन लोगों ने अपनी तरफ से इन ट्वीट्स की कोई जांच नहीं की और बिना अपना दिमाग लगाए. शमी को बचाने वाली भीड़ का हिस्सा बन गए.
यानी कुछ नकली ट्विटर हैंडल से भारत को बदनाम करने वाला एक मुद्दा उछाला गया और उसे ब्लू टिक वाले सेलिब्रेटी और बड़ी-बड़ी हस्तियों ने बिना सोचे समझे लपक लिया. राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला जैसे नेता भी इस लाइन में शामिल हो गए. कुल मिलाकर मैच के बाद, पाकिस्तान के खिलाड़ियों को गले लगाकर भारत के खिलाड़ियों ने बड़प्पन की जो लकीर खींची थी. उस लकीर को हमारे ही देश के कुछ लोगों ने बिना देर लगाए छोटा कर दिया और स्थिति ये हो गई कि पाकिस्तान के बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान मोहम्मद शमी के समर्थन में ट्वीट करके भारत के लोगों को ये समझाने लगे कि अपने स्टार खिलाड़ी के साथ ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए. क्योंकि क्रिकेट लोगों को बांटता नहीं है बल्कि आपस में जोड़ता है.
ये वही मोहम्मद रिजवान हैं जो भारत के साथ मैच में ऐसे खेल रहे थे, जैसे कोई जंग लड़ने आए हों. इशारों-इशारों में धर्म को बीच में न लाने की सलाह देने वाले मोहम्मद रिजवान ने मैच के दौरान मैदान पर नमाज भी पढ़ी. जिसके बाद पाकिस्तान के एक पूर्व क्रिकेटर वकार यूनिस ने एक पाकिस्तानी चैनल पर ये तक कह दिया कि मैदान पर नमाज पढ़कर रिजवान ने शानदार काम किया क्योंकि वो हिंदुओं के बीच ये नमाज पढ़ रहे थे और उनकी बल्लेबाजी से ज्यादा मजा उनके नमाज पढ़ने से आया.
ये वही लोग हैं, जो भारत को समझा रहे हैं कि खेल को खेल की तरह लेना चाहिए. लेकिन इन्हीं लोगों ने इस खेल को हिंदू Vs मुसलमान बना दिया, धर्म की लड़ाई बना दिया और खेल भावना को कमजोर कर दिया. लेकिन ये लोग इसलिए बच गए क्योंकि भारत के ही कुछ लोग झूठे एजेंडे को असली मान बैठे. यानी उस दिन सिर्फ भारत ही मैच नहीं हारा, बल्कि हमारे देश के कुछ लोगों की समझ भी पाकिस्तान के हाथों हार गई.
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