Farmers Protest: राकेश टिकैत ने लाल किले की घटना को लेकर कहा कि नौजवानों को बहकाया गया, उनको लाल किले का रास्ता बताया गया कि पंजाब की कौम बदनाम हो.
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नई दिल्ली: किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर एक तरफ जहां दिल्ली की सीमाओं पर भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है और जगह-जगह प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए अवरोधक लगाए गए हैं, इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने बड़ा ऐलान किया है.
गाजीपुर बॉर्डर से राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा, 'हमारा नारा है, कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं. ये आंदोलन अक्टूबर से पहले खत्म नहीं होगा और हाल में इसके खत्म होने की तो कोई संभावना नहीं है.'
राकेश टिकैत ने कहा कि हमने सरकार को बता दिया कि ये आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा. अक्टूबर के बाद आगे की तारीख देंगे. बातचीत भी चलती रहेगी.
Our slogan is - 'kanoon wapsi nahi, to ghar wapsi nahi'. This agitation will not conclude before October, it will not end anytime soon: Bhartiya Kisan Union (Arajnaitik) leader Rakesh Tikait pic.twitter.com/Vnu649AcIr
— ANI (@ANI) February 2, 2021
इसके साथ ही राकेश टिकैत ने लाल किले की घटना को लेकर कहा कि नौजवानों को बहकाया गया, उनको लाल किले का रास्ता बताया गया कि पंजाब की कौम बदनाम हो. किसान कौम को बदनाम करने की कोशिश की गई.
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर 6 लेयर की बैरिकेडिंग की है. इसके साथ ही आने जाने वालों को परेशानी न हो इसके लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने वैकल्पिक रूट भी लोगों को बताए हैं.
इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को कहा कि पुलिस एवं प्रशासन द्वारा ‘उत्पीड़न’ बंद होने और हिरासत में लिए गए किसानों की रिहाई तक सरकार के साथ किसी तरह की ‘औपचारिक’ बातचीत नहीं होगी.
कई किसान संगठनों के इस समूह ने एक बयान जारी कर यह आरोप भी लगाया कि सड़कों पर कीलें ठोकने, कंटीले तार लगाने, आंतरिक सड़क मार्गों को बंद करने समेत अवरोधक बढ़ाया जाना, इंटरनेट सेवाओं को बंद करना और ‘भाजपा एवं आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रदर्शन करवाना’ सरकार, पुलिस एवं प्रशासन की ओर से नियोजित ‘हमलों’ का हिस्सा हैं.
उसने दावा किया कि किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर ‘बार-बार इंटरनेट सेवाएं बंद करना’ और किसान आंदोलन से जुड़े कई ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करना ‘लोकतंत्र पर सीधा हमला’ है.
सूत्रों का कहना था कि ट्विटर ने सोमवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर करीब 250 ऐसे अकाउंट पर रोक लगा दी जिनके जरिए किसान आंदोलन से संबंधित ‘फर्जी और भड़काउ’ पोस्ट किए गए थे.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि सरकार किसानों के प्रदर्शन को विभिन्न राज्यों से समर्थन बढ़ने से बहुत डरी हुई है.
दिल्ली की सीमाओं के निकट कई स्थानों पर किसान दो महीनों से अधिक समय से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं. किसान मोर्चा ने कहा, ‘एसकेएम ने सोमवार को अपनी बैठक में फैसला किया कि किसान आंदोलन के खिलाफ पुलिस एवं प्रशासन की ओर से उत्पीड़न तत्काल बंद किया जाना चाहिए. ’
उसके मुताबिक, सरकार की तरफ से औपचारिक बातचीत को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है.
बयान में कहा गया है, ‘सरकार की तरफ से औपचारिक बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है. ऐसे में हम स्पष्ट करते हैं कि गैरकानूनी ढंग से पुलिस हिरासत में लिए गए किसानों की बिना शर्त रिहाई के बाद ही कोई बातचीत होगी. ’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है.
किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री के बयान पर कहा था कि तीनों कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए.
सरकार ने 22 जनवरी को सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई आखिरी दौर की बातचीत में कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था. किसान संगठन कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं. गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया था.
किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा कि दिल्ली पुलिस ने 122 आंदोलकारियों की सूची जारी की है जिन्हें हिरासत में लिया गया है.किसान मोर्चा ने कहा कि हिरासत में लिए गए सभी किसानों की रिहाई होनी चाहिए.
(इनपुट- ANI से भी )